रानी की अम्मा क्या करती हो? कुछ नहीं बरतन धुल रही हूं आओ चाची बैठो बस थोड़े ही बर्तन है अभी धुलकर फुर्सत में बातें करते हैं। रज्जो ने अपनी पडौसिन राधा चाची की तरफ छोटी सी चटाई खिसकाते हुए कहा। अरे आज तुम्हारी बहू कही गई है क्या? राधा चाची ने सवाल करते हुए कहा।अरे नहीं वो तो अपने कमरे में आराम कर रही है रज्जो ने अपना चेहरा कुछ इस तरह बनाया जैसे कोई कड़वा करेला खा लिया हो। और राधा चाची से बहू के कमरे की तरफ इशारा करते हुए कहा।
अच्छा और तूं काम कर रही है ।राधा चाची सिर हिलाते हुए बोली।जब से रानी की शादी हुई तूं तो एकदम से दुबला गई है रज्जो। क्या करूं चाची जब तक जीना है तब तक सीना है। रज्जो बुरा सा मुंह बनाकर कर बोली।अरे काहे का जब तक जीना है तब तक सीना है। है नई तो ये कौन सी बात हुई बहू आराम करे और सास काम करे। चाची ने रौब से कहा अरे अब तो तेरे आराम के दिन है बेटी ब्याह दी बहू भी आ गई तूं आराम किया कर।चलती हूं घर में जाकर देखूं बहूं रानी क्या गुल खिला रही है।
मै तो हमेशा लगाम खींच कर रखती हूं।जरा सी ढील दी तो बहुएं तो सिर पर चढ़कर ही बोलेंगी। अरे नहीं चाची मेरी बहू ऐसी नहीं है बहुत ख्याल रखती है मेरा। हूं उ उ सो तो दिख रहा है। मुझे। ठीक है तूं जान तेरी बहू मुझे क्या मैं तो चली। राधा चाची रोज इसी तरह की बातें करके चली जाती। लेकिन रज्जो उनकी बातों को नजरंदाज करती रहती।आज सुबह ही रज्जो की बहू खाना बना रही थी कि अचानक उसकी बहन का फोन आ गया।
रज्जो की बहू मीना ने अपनी सास से कहा मां जी क्या आप दो रोटी बना देंगी मेरा फ़ोन आ रहा है मैं अभी देखकर आती हूं रज्जो ने कहा हां बेटा ला मै करती हूं तूं जाकर देख किसका फोन है। मीना ने फोन उठाया और कहा मां जी मेरी बहन का फोन है जरा मैं बात कर लूं। हां हां बेटा कर ले। तभी अचानक सुबह सुबह चाची का आना हो गया रज्जो अरी रज्जो क्या कर रही है। चाची मैं रसोई घर में हूं आ जाओ इधर ही अरे तूं तो हमेशा काम ही करती दिखती है कितनी बार कहा अब तेरी उम्र नहीं है
काम करने की आराम किया कर पर तूं तो सुनती ही नहीं। चाची कहते हुए रसोई घर की ओर बढ़ी तभी उनकी नज़र मीना पर पड़ी मीना अपनी बहन से बड़े हंस हंसकर बात कर रही थी उसने चाची को आते हुए नहीं देखा। चाची रज्जो के पास जाकर बोली तूने अपनी बहू को बहुत सिर पर चढ़ा रखा है। राम राम राम क्या जमाना आ गया सास सारा दिन काम करे और बहू आराम।अरे नहीं चाची ऐसी बात नहीं है रज्जो ने बात को सम्हालते हुए कहा। अरे क्या ऐसी बात नहीं मुझसे ये सब नहीं देखा जाता मेरी बात मान नहीं तो जिंदगी भर चूल्हा चौका में ही घुसी रहेगी अरे अब तो तेरे तीर्थ करने के दिन है।
देख मैं जो कह रही हूं उसे ध्यान से सुन। चाची ने रज्जो को पट्टी पढ़ाना शुरू किया।कल से तूं तब काम हाथ में लेना जब तेरे बेटे के आफिस से घर आने का समय हो। ठीक है। चाची के जाने के बाद रज्जो के दिमाग में चाची की बातें घर कर गई। उसने वहीं किया जैसा चाची पट्टी पढ़ाकर गई थी विमल के आने के समय ही वह घर का काम करती।बेटे के पूछने पर कहती बहू आराम कर रही है।कई दिनों तक यह सब देखकर विमल को एक दिन मीना पर गुस्सा आ गया। विमल मीना पर बरस पड़ा और मां के सामने ही उसे भला बुरा कहने लगा।
रज्जो भी बीमारों की तरह अपना चेहरा बना लेती विमल ने मीना से कहा तुम सारा दिन आराम करती हो और मां काम देखो कैसी हालत हो गई मेरी मां की। मीना अपनी बात कहती तो उसे बस करो अब मुझे कुछ नहीं सुनना यह कहकर चुप करा देता अब तो दोनों के बीच में झगड़ा काफ़ी बड़ गया यहां तक की मीना घर छोड़कर चली गई चाची की पट्टी ने रज्जो के घर की खुशियां छीन ली थी।
निमीषा गोस्वामी