रमा जी के छोटे बेटे का विवाह हाल ही में बहुत घूमघाम से सम्पन्न हुआ। छोटी बहु रागिनी सँस्कारी रिश्तों को महत्व देती बड़ी ही नेक दिल सीधी-सादी इंसान। उसकी माँ ने उसे सदा ही मिलजुल रहने सबका आदर सम्मान करने की शिक्षा दी थी वो उसी का पालन कर रही । रमा देवी को चिंता लगी रहती अभी तो उसका स्वभाव अच्छा है कहीं बड़ी बहु शालू उसे सिखा पढ़ा न दे और अपनी तरह न बना दे क्योंकि शालू स्वभावत अपनी ही मन मर्जी की करने वाली सासूमां की बातों को अधिक महत्व ही नहीं देती। उसे रिश्ते नाते संभालने में कोई दिलचस्पी नहीं। रमा देवी छोटी बहु रागिनी को बड़ी बहु शालू की आदतों से धीरे धीरे अवगत कराने लगती हैं।
बड़ी बहु को अब ये कैसे बर्दाश्त हो की सासूमां हर समय छोटी के साथ ही लगी रहें उसके आने से तो वो उसकी तरफ देखती भी नहीं उनका वर्ताव ही दिन-प्रतिदिन बदलने लगा है..वो ऐसे में अपनी देवरानी को फसाद की जड़ समझने लगती है । उसका दिमाग उल्टी सीधी हरकत सोचने लगता है। वो देवरानी और सासूमां में लड़ाई कराने के हथकंडे सोचने लगती है। उसने मौका मिलते ही देवरानी के कान भरने शुरू कर दिये उसका तो बस अब एक ही मकसद था देवरानी की बर्बादी ताकि वो ससुराल में दिखा सके वो कितनी गलत है। उसने अपनी नौटंकी को अंजाम देने के लिए देवरानी रागिनी से बड़े प्रेम से पेश आने लगी उसको बनावटी प्रेम दिखाती,कहती तुम मेरी देवरानी नहीं बिल्कुल छोटी बहन की तरह हो उससे भावनात्मक ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। उसको भड़काती कहती पता है जब वो बहु बनकर यहां आई तो सासूमां उसको भी तुम्हारी तरह चाहती थी बाद में ओढ़ने पहने बाहर जाने तक पाबंदी लगानी शुरू कर दी …अब देखना तुम्हारे साथ भी ऐसा ही करेंगी। रागिनी एक बार तो जेठानी की चिकनी चुपड़ी बातों में आ जाती है उसके सिखाने में आकर वो भी मनमानी करने लगती है जिसे देख रमा जी को बहुत दुख होता है।
लेकिन एक दिन रागिनी चुपचाप सुनती है जेठानी शालू सासूमां को कह रही होती हैं ये छोटी बहु बहुत ही शातिर दिमाग है आप इससे संभल कर रहना ज्यादा सर पर मत चढ़ाना ये बाद में आपको नाच नचाने वाली है। देखों आजकल कैसी मनमानी कर रही, हमारा तो कोई लिहाज ही नहीं करती…। रागिनी जेठानी की भड़काऊ आदत से वाकिफ हो जाती है। वो समझ जाती है ये जेठानी तो बहुत चालाक है ये तो रिश्तों में नकारात्मकता उत्पन्न कर रही है वो जेठानी से सतर्क हो जाती है । दूसरे दिन जब जेठानी सालू उसे भडकाने का नया पैंतरा अपनाती है तो रागिनी उनको सीधे मुंह जवाब दे देती है, जेठानी जी मैं आपकी आदत अच्छे से समझ गई हूँ…हर इंसान का व्यक्तित्व उसके विचारों पर निर्भर करता है।अच्छे विचार होगे तो वो व्यक्ति को विकास मार्ग पर ले जाते हैं वरना घर टूटने बर्बाद होने में देरी कहां लगती..? मुझे आपका व्यवहार अच्छे से समझ आ गया है कल मैंने आपकी सारी बातें सुन ली जो आप मेरे विषय में सासूमां से कह रहीं थी । अब मुझे आपके झांसे में आकर गलत रास्ता नहीं अपनाना आपका पट्टी पढ़ाना ससुराल में मेरे सम्बन्धों को खराब कर देगा ओर मेरे वैवाहिक जीवन को बर्बाद कर देगा जो मैं कभी नहीं चाहूँगी ।उसकी बाते सुनकर सासूमां खुश हो जाती है और जेठानी का देवरानी को “पट्टी पढ़ाना “ व्यर्थ चला जाता है।
लेखिका डॉ बीना कुण्डलिया
मुहावरा, लघुकथा
“ पट्टी पढ़ाना “