नमक का हक अदा करना – खुशी : Moral Stories in Hindi

गोपाल दास एक फैक्ट्री में मुनीम थे।उनकी पत्नी सविता और मां शांति तीन जन घर में थे।शादी को 5 साल हो गए थे परंतु अब तक उनकी कोई संतान नहीं थी। इस कारण मां और पत्नी बहुत दुखी थे।

गोपाल कहते भी जब ईश्वर की इच्छा होगी तब हो जाएगी।गोपाल दास की फैक्ट्री के रस्ते में एक मंदिर पड़ता था जिसमें दोनों पति पत्नी दर्शन करने जाते एक दिन उन्हें मंदिर के बाहर एक दो साल का लड़का मिला।

पंडित जी बोले जाने कौन की संतान है कल से यही पड़ा है कोई लेने भी नहीं आया।गोपाल दास ने उस बच्चे को गोद में उठा लिया और वो नन्ही सी जान चुप हो गया।गोपाल दास और सविता उस बच्चे को घर ले आए।

अगले दिन गोपाल दास ने पुलिस में भी कंप्लेंट करवा दी पर 6 महीने तक उस बच्चे की खोज में कोई नहीं आया।फिर उन्होंने उस बच्चे को कानूनन गोद ले लिया।बच्चे का नाम रखा गया देवेंद्र ।देवेंद्र को पाकर सविता और गोपाल बहुत संतुष्ट थे

पर कभी कभी शांति कहती अपनी औलाद तो अपनी होती हैं।गोपाल दास कहता भी मां ये तो ईश्वर की इच्छा है हम क्या कर सकते है अब हम बेऔलाद तो नहीं है कम से कम ।

वक्त बिता और देवेंद्र 4 साल का हो गया और एक दिन सुबह काम करते हुए सविता को चक्कर आ गए।गोपाल उसे डॉक्टर के यहां ले गए तो पता चला कि सविता गर्भवती है और जुड़वा बच्चे हैं।गोपाल बहुत खुश हुए घर आकर शांति को बताया उन्होंने मंदिर में प्रसाद चढ़ाया

और बोली अब बनूंगी मैं दादी।गोपाल दास बोले देखो हमारे लिए देबू कितना भाग्यशाली हैं हम दुबारा माता पिता बनेंगे ।समय बीता और सविता ने बच्चों को जन्म दिया सब खुश थे।अब सविता बच्चो में लग गई अब उसका ध्यान  भी देबू पर कम जाता।

गोपाल कहते भी कि देबू पर भी ध्यान दो पर सविता बच्चो में व्यस्त रहती और शांति जी तो पहले ही देवेन्द्र पर ध्यान नहीं देती ।समय बीता बच्चे बड़े हो गए।

देवेंद्र पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी पर लग गया।सविता के बच्चे ऋद्धि और ऋत्विक दोनों लाड में पले और दादी के प्यार ने बच्चों को बिगाड़ रखा । ऋत्विक ने ba पास किया पर ढंग से नौकरी नहीं लगी।

ऋद्धि भी बारहवीं पास हुई और उसके लिए अच्छे घर का रिश्ता आया और उसकी शादी हो गई।ऋत्विक सिर्फ़ पैसे उड़ाता कोई काम ना करता।

इसी बीच गोपाल दास की तबियत खराब हो गई।अब वो दफ्तर भी ना जा पाते।देवेंद्र पूरा घर संभालता गोपाल दास की बीमारी का खर्च उठता।सविता और शांति का ध्यान रखता।ऋत्विक सिर्फ़ पैसों के लिए मां के पास आता पर बाकी किसी चीज का ध्यान नहीं रखता।

गोपाल दास को हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा।उनका किडनी ट्रांसप्लांट होना था देवेंद्र ने अपनी एक किडनी डोनेट की ऋत्विक देखने भी नहीं आया और घर में ही पैसा पड़ा था वो लेकर भाग गया।गोपाल दास  देवेन्द्र से बोले बेटा तूने ऐसा क्यों किया अभी तो तेरी  पूरी जिंदगी

पड़ी है। देवेंद्र बोला बापूजी  ये ज़िंदगी आप की देन है ।यदि आप इस अनाथ को सहारा ना देते तो आज मै कही सड़क पर पड़ा होता या मर गया होता।आपका ऋण चुकाने का यही समय था।गोपाल दास बोले बच्चे कभी नमक का हक अदा नहीं करते।

तुम मेरे बेटे हो मेरी पहली संतान तो हम ही तुम्हारे ऋणी है कि तुमने हमे ये सौभाग्य दिया। सविता बोली बेटा मुझे माफ करना कही जगह में स्वार्थी हो गई थी। देवेन्द्र बोला मां बाबा आप माफी मांगते नहीं आशीर्वाद देते अच्छे लगते हैं और सब मुस्कुरा उठे।

खुशी

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