नहीं! मुझे बुरा नहीं लगता। – मधू वशिष्ट 

“सुनो, आज शाम को सरसों का साग बना कर रखना, थोड़ा सा गाजर गोभी का अचार भी डाल देना। यह रोटी ले जाओ, ठंडी हो गई है गरम फुल्का ले आना।”

बिना विरोध किए गंगा विनय की हर बात मुस्कुराकर मानी जा रही थी। शीला ने देखा था रात को जीजा जी ने सोते हुए भी जब पानी मांगा था तो गहरी नींद में होने के बावजूद भी गंगा ने उठकर इतनी ठंड में हल्का सा पानी गर्म करके विनय को पीने के लिए दिया था।

गंगा, शीला की बड़ी बहन थी और क्योंकि उसके पति 3 दिन के लिए दूसरे शहर में गए थे तो वह उसके पास रहने को आ गई थी। वह तब से यही नोटिस कर रही थी कि दीदी का हर काम सिर्फ जीजा जी के लिए ही होता था। ऑफिस में जीजा जी के दोस्त की पत्नी अपने गांव गई हुई थी तो जीजाजी दीदी को ही फालतू खाना रखने और बनाने को बोलते थे, दीदी ने कभी विरोध क्यों नहीं किया? 

शीला ने दीदी को समझाने की कोशिश करी आज का जमाना कोई पुराना जमाना नहीं है, मैं तो हमेशा अपनी मनपसंद सब्जी बनाती हूं और रात को अगर मैं सो जाऊं तो दिनेश की हिम्मत नहीं है कि मेरे से पानी भी मांग सके। मैं किसी की नौकर नहीं हूं कि उनके दफ्तर में भी सबका खाना बनाती फिरूं। उनके कपड़े धो कर प्रेस करती फिरूं। दीदी यह सब करते हुए तुम्हें क्या बुरा नहीं लगता? शीला ने पूछा।




गंगा हंस पड़ी और बोली तभी तो तुम्हें यह शिकायत रहती है कि दिनेश रात को देर से घर आता है और अक्सर बाहर ही खाना खा लेता है और यदा-कदा पीकर भी घर आता है। मैं जानती हूं कि दिनेश की इनकम बहुत अच्छी है, यह तो सिर्फ एक कंपनी में सुपरवाइजर ही लगे हैं। इनका बॉस सारा दिन इन्हें डांटता ही रहता है, कंपनी के ही नहीं, उसके घर के भी आधे काम इन्हें ही करने पड़ते हैं तब भी वह समय पर पैसे दे दे तो बड़ी बात है। इन सब बातों के कारण इनके मन में कितना क्षोभ और गुस्सा होता होगा यह मैं समझ सकती हूं लेकिन घर के कारण या यूं कहूं कि मेरे कारण यह सब कुछ सुन लेते हैं।

इस घर में तुम कोई भी चीज की कमी देख रही हो क्या? मुझे हाथ से कपड़े ना धोने पड़े इसलिए इन्होंने वॉशिंग मशीन लाई है और भी ऐसा सामान जिससे कि मुझे सहूलियत हो मेरे लिए ला कर रखा हुआ है। मेरे कहने से पहले ही यह समझ जाते हैं कि मुझे किस चीज की जरूरत होगी। वहां तो यह बुरा व्यवहार झेल कर आते ही है, अगर मैं भी ऐसा ही करूं और इनका ख्याल ना करूं तो यह जो सुख और शांति इस घर में तुम देख रही हो ,यह होती कहीं? गंगा ने शीला को समझाते हुए कहा कि तुम्हारा व्यवहार ही निर्धारित करेगा कि तुम कैसे रहोगी। यदि पति को राजा बना कर रखोगी तो स्वत: ही तुम घर की रानी होगी। और यदि उन्हें गुलाम बनाकर रखोगी तो तुम गुलाम की पत्नी नौकरानी ही होगी। वह बाहर तो इतनी परेशानियां और इतना काम झेलते हैं लेकिन घर में उन्हें बहुत सम्मान मिलता है, तभी तो वह मेरे हर सुख का इतना ख्याल रखते हैं।

दिनेश की इतनी इनकम है कि तुमने घर में काम करने के लिए, कपड़े धोने और प्रेस के लिए भी नौकर रखा हुआ है, लेकिन फिर भी अपने पति केे प्रति तुम्हारा यह व्यवहार तुम्हें उस घर की रानी बना पाया है क्या? मेरा घर प्रेम और समर्पण से ही तो बना है इसी कारण मेरे घर में इतनी इनकम ना होते हुए भी सब सुख हैं। इसी सुख की लालसा में तुम्हारे जीजा जी कभी भी बाहर ना भटकते हुए ऑफिस से छुट्टी होते ही सीधा घर आते हैं क्योंकि सिर्फ एक यही ऐसी जगह है जहां उन्हें अपने राजा होने का एहसास होता है। तुम्हें कुछ भी लगता हो लेकिन ऐसा करके मुझे बुरा नहीं लगता यही मेरे सुख का आधार है।

मधू वशिष्ट 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!