मुझे दिखावा पसंद नहीं सिमरन….. – मीनाक्षी सिंह

यार सिमरन तुम रोज रोज यहीं बातें लेकर क्यूँ घर में कलेश करती हो ! हमारी शादी को दस साल हो गए हैँ ,जब मैं अभी तक नहीं बदला  तो अब क्या ही बदलूँगा ,और वैसे भी मुझे बदलना भी नहीं ,ये दिखावा मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं …

इसमें क्या दिखावा हैँ राहुल ,बताना तो ज़रा…क्या प्यार का इजहार करना गलत हैँ …पत्नी को कोई उपहार देना गलत है ..तुम पता नहीं किस सदी में जी रहे हो ..देखो मेरे सारे

रिश्तेदार,सहेलियां कैसे चिपक चिपक कर अपने पति के साथ फोटो खिंचाती हैँ ..कहाँ कहाँ घूमने जाती हैं ..सबके पति उन्हे शादी की सालगिराह पर ..जन्मदिन पर कितने अच्छे प्रेजेंट देते हैँ…हर चीज सब डालकर दिखाते हैँ फेसबुक पर..वाट्सअप

स्टेटस पर..इंस्टा पर..पर तुम तो ठहरे बाबा आदम के ज़माने के..ना  तो फेसबुक चलाते हो ना कुछ…सब सहेलियां पूछती हैँ मेरी यार सिम्मी तू जीजू के साथ कोई फोटो नहीं डालती …उन्हे क्या  बताऊँ मेरा पति बहुत बोरिंग हैँ ..उन्हे कुछ पसंद ही नहीं ..वो मीरा का पति उससे कितना प्यार करता हैँ ..देखा था कैसे किस देते हुए मीरा को डायमंड की रिंग दे रहा था ….पर मेरी किस्मत में ये सब कहाँ ….सिमरन एक सांस में सब बोल गयी …




मुझे ये सब दिखावा पसंद नहीं सिमरन..तुम अच्छे से जानती हो इस बात को .फिर भी हर दिन किसी ना किसी की फोटो देखकर मुझसे लड़ने बैठ ज़ाती हूँ..जानती हो पति पत्नी का रिश्ता दिखावे का नहीं होता ..उनका अटूट प्यार दुनिया को दिखाने के लिए नहीं होता..उनका प्यार उनके कमरे तक ही सीमित अच्छा लगता हैँ..जो भी ये सब डालते हैँ बेवकूफ लगते हैँ मुझे …मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ ये तुम भी जानती हूँ…रही बात प्रेजेंट देने की तो ज़रूरी हैँ की सालगिराह पर या जन्मदिन पर ही कुछ दिया जाए..तुम्हारे लिए कुछ ना कुछ कभी ना कभी ले ही आता हूँ..पैसे जितने मांगती हो उतने देता हूँ…जो मन करें ले लो..किसी ने मना किया हैँ…क्या हम सबको दिखायेंगे तभी तुम्हे मेरा प्यार दिखेगा…और मुझे पसंद नहीं कि मेरी बीवी को कोई और देखें .अब तो भी बदल गया हूँ मैं..पता है ना कोलेज में कोई तुम्हारे बगल से भी गुजर ज़ाता था तो कैसे मेरे तन बदन में आग लग जाती थी मेरे ..अगर बाबा  आदम के ज़माने का होता मैं तो तुमसे परिवार के खिलाफ जाकर लव मैरिज नहीं करता …समझी..मुझ जैसा चाहने वाला तो मिलता भी नहीं…बस मुझे ये शो ऑफ़ पसंद नहीं ..तुम्हे मेरे प्यार में कभी कोई कमी नजर आयी हैँ..बस दूसरों की फोटो देखकर जलभुन जाती हो और घर का ,बच्चों का सारा गुस्सा मुझ पर निकाल देती हो…

सिमरन मन ही मन सोच रही सही तो कह रहे हैँ राहुल….कोलेज में जब पहली बार सिमरन ने राहुल को देखा था तो देखती ही रह गयी थी …बुलेट पर ,हल्की आसमानी रंग की शर्ट पहने …बड़ी बड़ी नशीली आँखें…6 फुट हाईट का लड़का ..नैंन नक्श बिल्कुल अजय देवगन जैसे..ऐसा लगा सिमरन को कि जैसे उसकी सांस दो मिनट को थम गयी हो….बस सीधा सिमरन के पास आकर इतना ही बोला …आपसे प्यार हो गया हैँ मुझे..अगर मुझे अपने काबिल समझो तो मैं तुम्हारा ..तुम मेरी…नहीं तो तुम्हारी  राहें अलग ..मेरी अलग …बस अब किसी और को दिल में बसा नहीं पाऊंगा ..सिमरन को ये सब एक सपना सा लगा..उसने शर्म की वजह से उस दिन कुछ नहीं कहा ..पर धीरे धीरे दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगी…बस राहुल को सबके सामने सिमरन की तरह दिखावा करना पसंद नहीं था ..वो कभी भी सबके सामने राहुल का हाथ पकड़ती …पर राहुल उसे खुद से दूर कर देता ..गुस्सा हो ज़ाता…राहुल बहुत ही समझदार लड़का था ..वो सिमरन का बचपना जानता था ..इसलिये उससे जल्द से जल्द विवाह बंधन में बंधना चाहता था ..परिवार वालों के खिलाफ जाकर उसने सिमरन से शादी की..फिर सिमरन की ज़िम्मेदारी आने से उस पर नौकरी का दबाव पड़ा ..वो नौकरी की तैयारी में लग गया …जल्द ही उसे पीडब्ल्यूडी में छोटी सी नौकरी मिल गयी…इसी बीच दोनों के दो प्यारे से बच्चों का दुनिया में आना हुआ..धीरे धीरे परिवार वालों ने भी उन्हे अपना लिया ..पर सिमरन अभी भी राहुल  के स्वभाव को पसंद नहीं करती थी ..वो चाहती थी ..राहुल भी उसे गोद में उठा ..फूल देते हुए फोटो खिंचाये ..उसे कुछ ना कुछ देता रहे ..सबको घर पर बुलाये ..पार्टी करे .पर राहुल को यह सब कतई पसंद नहीं था !!




तभी सिमरन की सासु माँ अंदर कमरे से आयी ..ये ले राहुल..तेरे पापा ने तेरी और बहू की गोवा की टिकेट करा दी हैँ..उसे घुमा के ला .और खूब फोटो खिंचाना  ..हमें भी देखनी हैँ बहू के चेहरे की ख़ुशी..बच्चों को मैं देख लूँगी….बहू के अरमान तो पूरे कर दे..क्या बुढ़ापे में करेगा..सब तेरे जैसे नहीं होते…तेरे पापा को भी मेरे साथ फोटो खिंचाने का ..घूमने का बहुत शौक था …तभी अन्दर से ससुर जी भी आ गए..गधा हैँ ये..ये फोटो ही तो यादें होती हैँ .ज़िन्हे हम बुढ़ापे में देखके खुश होते हैँ..भले ही किसी को मत दिखाओं..पर खुद की ख़ुशी के लिए ये यादें संजोना ज़रूरी हैँ…जा बहू तैयारी कर ..इसे तो मैं देखता हूँ…

राहुल सिमरन को देख बस मुस्कुरा दिया…

#दिखावा 

स्वरचित

मौलिक अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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