सुधा एक साधारण ग्रहणी थी।परिवार में पति आदित्य जो बिजली विभाग में क्लर्क थे।सास सावित्री ,ससुर निवास और ननद सुनीता। इतना सा ही परिवार था।ससुर निवास की घर में ही परचून की दुकान थी। जिससे घर के छोटे मोटे खर्चे वो पूरे कर देते ।सुनीता की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी उसके लिए लड़के देखे जा रहे थे।
आदित्य और सुधा की शादी को दो साल हो गए थे परंतु अभी तक कोई खुश खबरी नहीं थी।सास सावित्री दबे शब्दों में कह भी देती बहु अब ये परहेज बंद करो और बच्चा पैदा कर लो।
पर सुधा सास को क्या समझाए कि ये तो ईश्वर की मर्जी है वो तो कोई परहेज नहीं करती। वो कई बार आदित्य से भी कहती की दो साल हो गए चलो किसी डॉक्टर को दिखाए पर आदित्य कहता क्यों परेशान होती हो जब होना होगा हो जाएगा और अभी वैसे भी सुनीता की शादी की जिम्मेदारी है पहले वो पूरी कर ले।सुधा चुप हो जाती।
सुनीता की शादी हो गई और साल भर के अंदर वो दो जुड़वा बच्चों की मां भी बन गई अब तो सास का मुंह और भी खुल गया देखो हमारे खानदान में तो साल भर में ही गोद हरी हो जाती हैं पता नहीं ये मनहूस खानदान को वारिस देगी भी या नहीं।सुनीता भी कहती भाभी डॉक्टर को दिखा लो कही तुममें कोई कमी तो नहीं।
सावित्री का मन बहुत दुखता फिर वो कुछ दिन अपनी मां के घर गई।मां ने उसे डॉक्टर को दिखाया । डॉक्टर ने कहा सुधा में कोई कमी नहीं है हो सकता है इनके पति में कुछ कमी हो या हो सकता है दोनो ही स्वस्थ हो ईश्वर की तरफ से ही देर हो।सुधा घर आई उसने यह बात आदित्य को बताई। आदित्य को यह सुन गुस्सा आ गया
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बोला तुम मेरी मर्दानगी पर सवाल उठाओगi। सुधा बोली मैने।तो वही कहा जो डॉक्टर ने कहा।आदित्य भी अब सुधा से सीधे मुंह बात ना करता।कुछ महीने बीत गए सुधा दिन पर दिन कमजोर हो रही थी।पड़ोस में जानकी की गोद भराई का कार्यक्रम था वहां सावित्री और सुधा भी गए जब सुधा गोद भरने लगी तो गायत्री की बुआ सास ने
उसका हाय पकड़ लिया और बोली गायत्री की सास तू।पागल है क्या एक बांझ से अपनी बहु की गोद भरवा रही है।यह सुन सुधा बेहोश होकर नीचे गिर पड़ी।वही सब काना फूसी करने लगे वहां एक महिला डॉक्टर भी थी उन्होंने सबको पीछे किया और सुधा को देखने लगी ।उन्होंने सुधा को पानी पिलाया और बोली मुझे शक है
तुम मां बनने वाली हो तुम कल मेरे क्लीनिक आना और बाकी औरतों से बोली पढ़ी लिखी होकर कैसी बाते करती है आप किसी के यहां जल्दी तो किसी के यहां देर से ये खुशी आती हैं।अगले दिन सुधा आदित्य और सावित्री डॉक्टर के यहां गए डॉक्टर ने चेकअप कर बताया यह 3 महीने की गर्भवती है
कमजोर है इनका खाने पीने का ध्यान रखिए।सब आज बड़े ही खुश थे आखिर 6 साल बाद सुधा की गोद भरी थी और आदित्य का प्रमोशन भी हो गया सब कहते बच्चा भाग्यशाली है नियत समय पर सुधा ने गोल मटोल से विक्रम को जन्म दिया और 2 साल के अंदर बेटी पूजा को परिवार पूरा हो चुका था विक्रम सब का लाडला था और भाग्यशाली भी क्योंकि उसके आते ही घर में रहीसी भी आ गई।विक्रम पढ़ाई में भी अच्छा था पर वो अपनी मां
को कुछ नहीं समझता था उसका 10 का रिजल्ट आया 98% से उसने टॉप किया सबका ताता लगा था।सुधा भी उसे आशीर्वाद देने के लिए खड़ी थी पर उसने पिता और दादा दादी के पैर छुए ।सुधा के पास आया ही नहीं पूजा बोली भैया मां ने सुबह से आपकी तरक्की के लिए उपवास रखा है उनसे मिल तो लो तब विक्रम बोला मां
ये उपवास रखने से कुछ नहीं होता ये सफलता मैने अपने दम पर हासिल की है।और वो बाहर चला गया सुधा ने मोहल्ले में मिठाई बाटी समय पंख लगा के उड़ रहा था आज बिक्रम 6साल बार अमेरिका से डॉक्टर की डिग्री ले कर आ रहा था।सब खुश थे आज वो सुधा से भी मिला शायद इतने सालों बाद मिला था।आदित्य रिटायर हो चुके थे।
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पूजा की अगले महीने शादी थी और दादा दादी परलोक सिधार चुके थे।पूजा की शादी धूमधाम से हुई और उसकी विदाई के बाद आदित्य जो सोए वो उठे ही नहीं।अब सुधा अकेली थी क्योंकि अगले महीने विक्रम भी वापस अमेरिका जा रहा था।उसने विक्रम से कहा विक्रम ना जा बेटा मै अकेली कैसे रहूंगी।
विक्रम बोला पहले भी तो रहती थी ना पापा कौन सा।आपको मुंह लगाते थे।मै देखूंगा एक दो महीने में बुला लूंगा।विक्रम चला गया सुधा पूरे घर में अकेली थी पति की पेंशन उसके लिए काफी थी।वो रोज विक्रम के फोन का इंतजार करती पर फोन नहीं आता।पूजा मिलने आती वो कभी विक्रम के बारे मे कुछ बोलती तो सुधा उसे चुप करवा देती
अरे बड़ा काम है उसे ।3 साल बाद विक्रम आया और बोला यह घर बेच कर मै मां को अपने साथ ले जा रहा हूं। पूजा बोली घर बेचने की क्या जरूरत है ।विक्रम बोला मुझे बेचना है सुधा ने चुपचाप दस्तखत किए और वो विक्रम के साथ जाने की तैयारी करने लगी।विक्रम ने घर का सब सामान कबाड़ी को दे दिया।
सुधा की दिल बहुत दुखा पर पुत्र मोह में वो अंधी थी। विक्रम इतने प्यार से बात कर रहा है इतना ध्यान रख रहा है अपने साथ ले जा रहा है इसी बात से सुधा खुश थी। सुधा और विक्रम
अमेरिका जाने वाली फ्लाइट पर सवार थे। अमेरिका पहुंच विक्रम सुधा को घर ले गया। वहां एक लड़की ने दरवाजा खोला और बोली ओह विक्रम तुम आ गए और साथ में मासी भी ले आए।सुधा बोली ये कौन है विक्रम बोला यह तुम्हारी बहू नीता है
मेरे साथ डॉक्टर है और यह तुम्हारा पोता विशाल है एक 3 महीने के बच्चे को सुधा की गोद में डाल कर विक्रम और नीता अंदर चले गए।पोता बहु विक्रम ने तो कुछ बताया भी नहीं।सुधा दरवाजे पर खड़ी थी उस बच्चे को लिए हुए खुद ही अंदर आई सामान को घसीटते हुए।विक्रम आया उसने एक कमरा दिखाया
बोला मां ये तुम्हारा और विशाल का कमरा है।नीता बोली यह रसोई है अब कल से सब तुम्हे ही करना है।9:00 बजते ही नाश्ता तैयार 10:00 बजे हमे निकलना होता है वो घर के विशाल के साब काम बता रही थी पर एक कप चाय या पानी भी उसने सुधा से नहीं पूछा।रात को सुधा को खाना मिला वो भी नूडल्स जो उसने आज तक नहीं खाए थे।
वो सोने जाने लगी तो विक्रम विशाल को उसे पकड़ा गया सारी रात ना विशाल सोया ना वो सुबह आंख लगी तो नीता के चिलाने से नीता चिला रही थीं इसे हम सोने के लिए लाएं हैं विक्रम भी चिल्लाने लगा सुधा को कुछ कहने का मौका ना मिला।नीता बोली महारानी अब शाम का खाना बना।के रखना और
घर का काम भी।सुधा कि हालत एक नौकरानी जैसी थी इतनी ठंड में वो पतली सी साड़ी में घर के सारे काम करती बच्चा संभालती बहु बेटे की बाते सुनती पर वो औलाद के मोह में सब सहती चली गई।उमर का असर और अमेरिका की सर्दी उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी।फिर 3 दिन की छुट्टी पर विक्रम,नीता और विशाल
बाहर घूमने गए।घर पर सुधा अकेली थी उसकी तबियत भी खराब थी तेज बुखार था महीनों से रोज बुखार आता था डॉक्टर बेटा बहु पर बुढ़िया के लिए ना दवा ना दारू।
और इसी बुखार में सुधा चल बसी ।तीन दिन बाद जब घर खुला तो पता चला यह सब हो गया पूजा को फोन कर जानकारी दी।वही इलेक्ट्रॉनिक चिता गृह में सुधा को अंतिम विदाई दी गई और विक्रम के कर्तव्य की इति श्री हो गई।
सुधा जिसने इतनी मुरादों से बच्चा मांगा वो बच्चा जो उसे कभी समझ ही ना पाया उससे जुड़ ही नहीं सका।मां मोह में सब सहती चली गई।मां होती ही ऐसी है ना अपने बच्चों पर ममता लुटाती हैं चाहे वो उसे पूछे या नहीं।
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