“अरे वंश बेटा चाय तुमने बनाई है ?” नीतिका ने अपनी सहेली ऋतु के घर उसके चौदह साल के बेटे को चाय लाता देख हैरानी से पूछा।
” जी आंटी और ये सैंडविच भी मैने ही बनाए हैं !” वंश ने जवाब दिया।
” वर्तिका ( वंश की बहन बड़ी बहन ) कहां है तो ? मुझे लगा चाय वहीं बना रही होगी !” नीतिका बोली।
” आंटी दीदी के बोर्ड के एग्जाम हैं इसलिए वो घर के कोई काम नहीं करती मैं ही मम्मा की मदद करता हूं!” वंश बोला और अन्दर चला गया।
” क्या बात है ऋतु तूने तो अपने बेटे को भी परफेक्ट बना रखा है रसोई के काम में !” नीतिका ऋतु से बोली।
” नीतिका जब ये काम वर्तिका कर सकती है तो वंश क्यों नहीं यही सोचकर मैने वंश को हर वो काम सिखाए जो वर्तिका को सिखाए भले वो खाना बनाना हो या सफाई करना !” ऋतु बोली।
” पर लड़के कहां घर के काम करते हैं लड़कियां तो सदियों से करती ही अा रही हैं !” नीतिका बोली।
” यही सोच तो बदलने की जरूरत है नीतिका डियर । जब लड़की हर वो काम कर सकती जो लड़के करते हैं तो लड़के वो काम क्यों नहीं कर सकते जो लड़कियां करती हैं …सदियों पहले लड़कियां नौकरी पर नहीं जाती थी , घर चलाने को पैसे नहीं कमाती थी …आज जब लड़कियां हवाई जहाज तक चला रही तो लड़के क्यों नहीं खाना बना सकते …कब तक हम बोलते रहेंगे म्हारी छोरियां क्या छोरों से कम है …क्यों नहीं नई सोच के साथ ये कहें म्हारा छोरा क्या छोरियों से कम है !” ऋतु मुस्कुराते हुए बोली।
” वाह ये बात तो बहुत सही कही तूने मैने तो आज तक ऐसा नहीं सोचा मेरे घर में तो मेरा बेटा कुछ नहीं करता !” नीतिका बोली।
” तो अब सोच और उसे भी सभी काम सीखा नए साल में नई सोच अपना और अपने घर में बराबरी की सोच लेकर अा जिससे कल को बेटी को ये ना लगे वहीं क्यों घर के काम करे !” ऋतु बोली।
” हां यार आज से ही मैं चिराग ( नीतिका का बेटा) को घर के कामों की ट्रेनिंग देना शुरू करती हूं नए साल में कुछ नया तो होना ही चाहिए। आखिर मुझे भी तो सबके सामने ये कहने का मौका मिले कि म्हारा छोरा क्या छोरियों से कम है …!” नीतिका हंसते हुए बोली।
” बिल्कुल !” ऋतु ने उसकी बात का समर्थन किया।
” मम्मा बर्तन ले जाऊं मैं ?” तभी वहां वंश अा बोला।
” हां बेटा और प्लीज़ जरा दीदी को कॉफी दे देना साथ में बिस्किट्स भी मैं थोड़ी देर आंटी से और बातें कर लूं !” ऋतु ने कहा।
” मम्मा आप आराम से बातें कीजिए मैने दीदी को कॉफी और बिस्किट्स दे दिए खुद भी दूध पी लिया है ..!” वंश ट्रे उठा कर बोला।
” अरे मैं तो भूल गई म्हारा छोरा कौन सा छोरियों से कम है बल्कि उनसे ज्यादा समझदार है !” ऋतु प्यार से बोली।
” अच्छा मम्मा बाय में क्रिकेट खेलने जा रहा हूं … आज सेंचुरी मारनी है… क्योंकि आपका छोरा छोरियों से ही नहीं किसी से भी कम नहीं है !” ट्रे रखकर वंश अपनी कॉलर उठाते हुए स्टाइल में बोला जिसे देख दोनों सहेलियां खिलखिला दी।
दोस्तों कब तक हम पुरानी सोच पर चलें कि लड़कियों को लड़कों सा मजबूत बनाना है क्योंकि हमारी लड़कियां लडको से कम नहीं। इस साल नई सोच अपनाएं और लड़कों को लड़कियों की तरह घरेलू काम भी सिखाएं जिससे आप भी कह सको
म्हारा छोरा कौन सा छोरियों से कम है ।