मेरी चाहत – के कामेश्वरी

बहुत पुरानी बात थी जब कौशल्या शादी करके नई बहू बनकर विशाखापटटनम आई थी। उसने देखा ससुराल में कई रिश्तेदारों के बच्चे अमेरिका में रहते थे उनके माता-पिता अपने बच्चों के बारे में बताया करते थे। सब लोग उनकी बातों को ध्यान से सुनते थे और अपने बच्चों को बताया करते थे कि तुम्हें भी आगे की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका ही जाना है । इसी तरह बच्चे इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करते ही एम एस करने के लिए अमेरिका चले जाते थे । 

उन सबकी देखा देखी कौशल्या की भी चाहत यही बन गई थी कि उनके बच्चे भी अमेरिका जाकर पढ़ेंगे।यह चाहत और गहरी तब हो गई थी जब बिटिया ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी । कौशल्या जी तो उसे अकेले ही भेजने के लिए तैयार हो गई थी तभी उनकी बुआ ने कहा कि देखो कौशल्या लड़की को पढ़ने के लिए अकेले मत भेज शादी करके भेज देगी तो पति के साथ रहकर पढ़ लेगी । यह बात कौशल्या को भी भा गई थी क्योंकि उन्होंने देखा था कि बुआ ने अपनी दोनों बेटियों को शादी करके ही अमेरिका भेजा था और बच्चियों ने वहीं एम एस किया है और नौकरियाँ भी कर रही हैं। बड़ी बेटी तो वहाँ पी एच डी भी कर रही है । 

कौशल्या को लगा कि ओह मुझे थोड़ा सा और सब्र करना पड़ेगा क्योंकि बुआ ने जो कहा वह भी सच है । उस समय अमेरिका में पढ़ने के लिए लड़कियाँ कम जाती थी । ईश्वर की कृपा से कौशल्या को भी अमेरिका का दामाद मिला शादी करके बेटी अमेरिका पहुँच गई थी माँ की चाहत को पूरा करने के लिए । 

अब बेटे की बारी थी । उसने भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और एम एस करने के लिए अमेरिका चला गया था। उसे कौशल्या ने शादी कराने के लिए बुलाया था तब जाकर दो साल की पढ़ाई पूरी करके नौकरी ढूँढने के बाद वह इंडिया आया था । उसकी शादी कौशल्या ने धूमधाम से की थी । वह बेहद खुश थी कि मेरी चाहत एक बार फिर पूरी हो गई है अब मेरे दोनों बच्चे अमेरिका में बस गए हैं । 




बात यहीं पूरी नहीं होती है दोस्तों हम अपनी चाहत को पूरा करने के लिए बच्चों को अमेरिका या दूर देशों में भेज देते हैं परंतु जब हमें उनकी ज़रूरत पड़ती है तब वे वहाँ से वापस नहीं आ सकते हैं। हमारी चाहत यह होती है कि बच्चे हमारे पास आएँ और हमारे साथ ही रहें। 

कौशल्या जब उम्र के उस पड़ाव पर पहुँची जब उसे अपनों की ज़रूरत थी तब उसे अपनी गलत चाहत का अहसास हुआ था । कल की ही बात थी कि जब उसने बेटे को फ़ोन किया और कहा था कि बेटा आपको इंडिया आए हुए चार साल हो गए हैं । हम दोनों तो आ नहीं सकते हैं तुम जानते हो ना घुटनों के दर्द के कारण उतने घंटों का सफ़र हम नहीं कर सकते हैं इसलिए तुम ही आ जाओ ना । 

उसने कहा माँ जब हम छोटे बच्चे थे तब आपने हमारे दिलो दिमाग़ में अमेरिका के ख़्वाब भर दिए थे क्योंकि आपकी इच्छा थी कि हम पढ़ लिखकर यहाँ बस जाएँ और हमने आपकी बात मान ली थी और पढ़ लिखकर यहाँ तक पहुँच गए हैं । अब हमारी चाहत है कि हमारे बच्चे हमसे भी बड़े बने । आपको मालूम है न आपका पोता पियूष अब यहाँ डॉक्टर की पढ़ाई कर रहा है।  उसे समय ही नहीं मिलता है और हम भी बड़े पदों पर पहुँचे हैं तो हमारी ज़िम्मेदारियाँ भी बढ़ गई हैं । इसलिए जब फ़ुरसत मिलेगी तब हम वहाँ ज़रूर आ जाएँगे । आपको पैसों की ज़रूरत है तो बोलिए मैं भेज दूँगा समय पर अपना इलाज कराते रहिए । 

कौशल्या को लगा कि शायद मेरी चाहत ही गलत थी। लेकिन कोई बात नहीं है बच्चे तो अच्छे से अपना जीवन जी रहे हैं । वह भी जब चार लोगों के बीच बैठती है तो कहती है मेरे बच्चे भी अमेरिका में बस गए हैं । शादी के बाद जैसा वह सबको बताना चाहती थी वैसा ही अब बता कर खुश हो रही थी । 

के कामेश्वरी 

 

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