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“मीठी मां” – कविता भड़ाना

“साचा तेरा नाम, तेरा नाम

तूहि बनाए बिगड़े काम “

राम नाम के सुंदर भजन की मधुर लहरियां सुबह सुबह जैसे ही हवा में बही, पूरा वातावरण बेहद खुशनुमा और दिव्यता से ओत प्रोत हो गया… मधुर गीत में डूबे लोग प्रभु की भक्ति में लीन हो गए…महाआरती के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया और लोग अपने अपने घरों और काम धंधे पर लौटने लगे….. 

रायगढ़ जिले के बीचों बीच बहुत सुंदर और प्राचीन मान्यताओं से सुसज्जित भगवान राम और दूसरे देवी देवताओं का बहुत पुराना मन्दिर है, जहां सुबह शाम भजन आरती होती है, मंदिर के साथ दैवीय गुणों से भरा सुंदर सरोवर भी है,  मान्यता है कि इसमें स्नान करने से त्वचा संबंधी सभी रोगों को दूर करने की शक्ति है , पर साल भर से ये मंदिर वहा होने वाले भजन कीर्तन, गरीब बच्चो और महिलाओं के लिए किए गए कार्यों और इन सबके पीछे योगदान देने वाली महिला महंत “मीठी मां” की वजह से बहुत चर्चित है… दिव्य और निर्मल रूप वाली “मीठी मां”

जब अपनी मधुर आवाज में ब्रह्म मुहूर्त में भजन गाती है तो मानों वक्त ठहर जाता है और परम आनंद का अनुभव होता है…. कुछ क्षणों के लिए लोग अपने दुख दर्द भी भूल जाते है।

 दान पेटी में आने वाले चढ़ावे का उपयोग मंदिर के रखरखाव के अलावा, मंदिर के आश्रम में रह रहे बेसहारा लोगों की देखभाल और गौशाला के लिए किया जाता है, मंदिर के बड़े महंत जी ने जब अपने उतराधिकारी के रूप में “मीठी मां” को चुना तो बहुत से लोगो ने एतराज जताया की एक महिला कैसे संभाल पाएगी और किसी पुरुष महंत को जिम्मेवारी देने की बात कही, तब बड़े महंत जी ने बताया कि मीठी का असली नाम लक्ष्मी है जोकि उनके गांव की बेटी है और बाल विधवा है… पिता की अच्छी खासी जमीदारी थी और लक्ष्मी उनकी इकलौती संतान….




  पिता ने दूसरे विवाह के लिए खूब कहा पर लक्ष्मी ने माता पिता की सेवा को चुना और पिता की सहायता के साथ जरूरतमंद लोगों की भी हरसंभव मदद करती, 

  मैं जब भी अपने गांव जाता लक्ष्मी से जरूर मिलता, पिछले साल गांव में महामारी फैली और लक्ष्मी के माता पिता दोनो ही नहीं रहे, लोग घरों को छोड़ छोड़ कर जाने लगे… मवेशियों और बूढ़े लाचार जो कही नही जा सकते थे और कुछ को उनके खुद के बच्चे छोड़ गए थे, तब सब की देखभाल लक्ष्मी ने जी जान से और निस्वार्थ की, अपनी सारी धन -संपति लोगो की सेवा मै लगाने लगी…

 वो चाहती तो अपनी नई शुरुआत कर सकती थी पर ये बच्ची मनुष्य कम और देवी का रूप अधिक है जिसने लोगो की सेवा को ही अपना जीवन समर्पित कर दिया है …

 मेरे कहने पर ही लक्ष्मी ने मंदिर का कार्यभार संभाला है और वो भी इस शर्त पर की गांव में जिनकी देखभाल लक्ष्मी करती आई है, सबको अपने साथ ही रखेगी और आप ये सब आश्रम में जो लोग देख रहे है सब वही है….अब आप लोग बताइए क्या संघर्षों से जूझती हुई और दूसरो के लिए जीने वाली लक्ष्मी यानी हमारी “मीठी मां” को मंदिर का महंत बनाकर मैने को गलत निर्णय लिया है…..

 सब ने श्रद्धा से सर झुका कर हाथ जोड़ दिए और शाम की आरती में अपनी “मीठी मां “का साथ देने के लिए मंदिर की ओर चल दिए…. मंदिर से घंटियों की मधुर आवाज के साथ “मीठी मां” के भजन की आवाज भी सुनाई दे रही थी..

 “रघुपति राघव राजा राम

 पतित पावन सीता राम ।

 “सीता राम ,सीता राम

 भज प्यारे तू सीता राम ।

स्वरचित, काल्पनिक

#संघर्ष

कविता भड़ाना

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