मीठी छुरी चलाना : रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

सोना, बहुत ही अच्छी बहु थी।उसके परिवार में मालती जी,(सास)महेश जी(ससुर) तीन ननद, उसके पति सोहन ,और उसका पंद्रह साल का बेटा मुन्ना रहते थे। तीनो नंदो की शादी  हो चुकी थी । सब अपने परिवार में राजी खुशी रहती थी । तीनो ननदे अपनी भाभी , (सोना) का  बहुत ही ज्यादा मान सम्मान करती थी। सोना अपने माँ पापा की अकेली औलाद थीं ।बहुत लाड प्यार से पली थीं।

सब कुछ परिवार में बहुत बढ़िया चल रहा था। सोना को अपने सास  ससुर  का व्यवहार इन दिनों कुछ बदला बदला लग रहा था। सोना कुछ समझ नही पा रही थी।महेश जी इधर कुछ दिनों से अपने समधी,समधन से कुछ ज्यादा ही लगाव दिखा रहे थे।ये बात सोना को कुछ हज़म नही हो रहा था। उसने अपनी ये बात सोहन को बताई, की आज कल तुम्हारे मम्मी पापा , 

मेरे मम्मी पापा से  फ़ोन पर रोज उनका हाल चाल लेते है ,और तो और हमको भी बोल रहे है, इस बार जब मुन्ने की छुट्टी हो तो अपने मायके घूम आना। सोहन ने बोला ये तो अच्छी बात है, तुमको तो खुश होना चाहिए तुम उल्टा सीधा सोच रही हो, मेरे मम्मी पापा चाहते है, तुम खुश रहो, औऱ क्या। तुम पता नही क्या सोच रही हो।मेरे मम्मी  पापा के बारे में ,जाओ अपना काम करो।

आज सुबह तो हद ही हो गयी । सोना की सासु माँ ने सोना को बोला सुनो शाम को खीर ,पूरी सब्जी, और हा पुलाव जरूर बना लेना क्या हुआ माँ जी कौन आ रहा है? बोली तुम्हारे मम्मी पापा कई दिनों से आये नही है, इस लिए उन्ही को खाने पे आज बुलाये है हम लोग। पर माँ जी आज तो सोमवार है, मोहन भी दस बजे तक आते है,आफिस से ,और तो और कल मुन्ने का परीक्षा भी है,मैं मना कर देती हूं।

नही बिल्कुल नही ,थोड़ी तो हमारी बात का मान रखा करो। उनकी बात सुन सोना दंग रह गयी । बोली जरूर कुछ दाल में काला है,आज तक तो कभी इनलोगो ने इतना प्यार नही दिखाया, आज सासु माँ औऱ ससुर जी “मीठी छुरी क्यो चला रहे है”।सोना ने खाना बना लिया। औऱ अपने कमरे में इंतजार करने लगी।तभी घंटी बजी , सोना ने दरवाजा खोला, देखा उसकी ननद थी,

सासु माँ ने बोला बड़े अच्छे टाइम पे आयी है, बैठ बैठ, तरह तरह के पकवान बने है, खा के ही जाना। नही माँ में तो बस इधर से गुजर रही थी सोचा आप से मिलते जाऊ बस । रुक ना कुछ जरूरी बात बतानी है,ठीक है जल्दी बोलो माँ, सोना जाओ चाय बना के ले आओ, सोना चाय गैस पर रख पर्दे के पीछे छुप सासु माँ की बात सुनने लगी।

सासु माँ ने बोला अरे बेटी समधी जी रिटायर हुए है, लाखो रुपये मिले है, आज बात बात में बोल दूंगी, की कुछ रुपये अपने नाती के नाम फिक्स कर दे , बस यही सोचा है, इसीलिए आज खाने पे बुलाया है, सोना तुरंत बाहर आ गयी बोला माँ जी चंद पैसों के लिये आप मेरे मम्मी पापा के साथ” कपट कर “रही थी, तब ,ससुर जी ने बोला तो क्या हो गया, अगर दे देंगे तो?

वैसे भी उनकी कोई औलाद तो नही है,सब कुछ   तेरा और तेरे मुन्ने का ही तो है। तभी सोना के मम्मी पापा आ गये। सोना की ननद ने तुरंत बोला आइये अंकल । बैठिये। सब को लगा,की  समधी समधन ने सब सुन लिया है, सब लोग बिल्कुल चुप हो गए। खाना पीना हुआ, औऱ सोना के मम्मी पापा अपने घर चले गये। सोना  भी गुस्से में अपने कमरे मे चली गयी।

सोना की ननद ने बोला माँ आपने बहुत अच्छा किया चुप रहके।

पापा आप भी तो रिटायर हुए है, आपको भी तो लाखों रुपये मिले होंगे,आप लोगो ने सोचा है, जैसे “आप लोग भाभी के पापा से पैसे मांग रहे है, ठीक वैसे ही अगर आपकी बिटियो के ससुराल वाले पैसे  मांगने लगे तो ,आप दे पाएंगे क्या”? बोलो जरा  आप की तो तीन बेटियां है, जब बिना मांगे ही “हर बेटी के माँ बाप हर दुख सुख में खड़े रहते है, तो माँग के छोटा क्यो बनना। 

सोना अपने ननद की बात सुन बहुत खुश हुई।

आज सोना की ननद ने अपने माँ  पापा को सही समय पर सच का आईना दिखा कर गलत कदम उठाने से रोक लिया।

रंजीता पाण्डेय

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!