मैनेजिंग डायरेक्टर !! – पायल माहेश्वरी

” वक्त ने किया क्या हंसीं सितम, 

तुम रहे ना तुम, हम रहे ना हम…..वक्त ने किया । “

गुलमोहर उद्योग की आफिसर काॅलोनी के सारे आफिसर व उनकी पत्नियां गुमसुम और उदास होकर घड़ी में वक्त देख रहे थे और रेडियो पर यह गाना बजने लगा जो उनके दुखों की आग में घी का काम कर रहा था ,अग्रवाल परिवार, दूबे परिवार, प्रभाकर परिवार और अरोड़ा परिवार जो कल इसी वक्त एक दूसरे के दुश्मन हो रखे थे आज एक दूसरे के साथ बैठकर गम बांट रहे थे ।

चौबीस घंटे पहले चौदह अगस्त को वक्त कुछ और था पर आज आजादी के अवसर पर वक्त कुछ और हैं। 

तभी गुलमोहर उद्योग की आफिसर काॅलोनी के लिए मैनेजिंग डायरेक्टर साहब का चपरासी एक फरमान लेकर आया। 

आप सभी आफिसरस कल सुबह सही वक्त पर आफिस में मैनेजिंग डायरेक्टर साहब को रिपोर्ट करेंगे, वक्त पर ना आने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, मैनेजिंग डायरेक्टर साहब को किसी प्रकार की लापरवाही व चापलूसी पंसद नहीं हैं। 

गुलमोहर उद्योग की आफिसरस काॅलोनी जहां छोटे-बड़े सभी कर्मचारी रहते थे ,यह एक बहुत सुन्दर व हरीभरी काॅलोनी थी।

काॅलोनी में पद के अनुसार बंगले व फ्लैट खाली पड़े थे, देश का नामचीन उद्योग समूह होने के कारण गुलमोहर उद्योग अपने कर्मचारियों को बहुत अच्छी सुविधाएं उपलब्ध करवाता था और गुलमोहर में काम मिलना शान व किस्मत की बात मानी जाती थी।

अभी हाल ही में एक गुलमोहर उद्योग के वर्तमान मैनेजिंग डायरेक्टर पद से सेवानिवृत्त हुए थे और शीघ्र ही नये मैनेजिंग डायरेक्टर अपना कार्यभार संभालने वाले थे, काॅलोनी का सबसे बड़ा बंगला खाली पड़ा था।

लोग अपने-अपने अनुमान लगाते रहते थे की नये डायरेक्टर साहब कैसे होंगे?




वहां मैनेजिंग डायरेक्टर के एक इशारे पर उनके आधीन कर्मचारियों का प्रमोशन तय होता था अतः मैनेजिंग डायरेक्टर की चापलूसी करने में कोई कर्मचारी व उनका परिवार कसर नहीं छोड़ता था।

जल्दी ही नये डायरेक्टर के आने की तारीख 15 अगस्त घोषित कर दी गयी व उनका नाम अभिनव मलिक बताया गया पर उनकी कोई तस्वीर या कोई अन्य जानकारी साझा नहीं हुई।

नये डायरेक्टर साहब इस बार स्वतंत्रता दिवस पर झण्डा फहराएंगे और समारोह के मुख्य अतिथि भी वही रहेंगे यह सोचकर काॅलोनी के कर्मचारियों ने उन्हें अपने तरीके से प्रभावित करने की तैयारी कर ली थी।

श्रीमति व श्री अग्रवाल ने मारवाड़ी भोजन की थाली तैयार करने का सोच कर मैनेजिंग डायरेक्टर को पाककला से प्रभावित करने की सोची।

दुबे जी जो उत्तरप्रदेश के निवासी थे वह मैनेजिंग डायरेक्टर को उत्तर प्रदेश का पारंपरिक भोजन खिलाना चाहते थे इस बात को लेकर अग्रवाल व दूबे दम्पति में कहासुनी हो गयी थी।

श्रीमान प्रभाकर जी ने मैनेजिंग डायरेक्टर व उनके परिवार की मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखने की ठानी और बंगले में बिजली, पानी, गैस आपूर्ति आदि की जिम्मेदारी अपने कंधो पर ली।

श्रीमान अरोड़ा सबसे चार कदम आगे निकले उन्होंने मैनेजिंग डायरेक्टर व उनकी धर्मपत्नी को मंहगे कपड़े उपहार स्वरूप देने की सोची।

सभी अपना मतलब साधने के लिए चापलूसी की सीमा पार कर रहे थे, अपने असली चेहरो पर मुखौटे चढ़ाने की तैयारी में लगे हुए थे ,एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ भी लगी थी। 

14 अगस्त के नियत दिन सुबह एक रिक्शे में बैठकर आया एक खूबसूरत युवा जोड़ा बंगले के सामने उतरा उन्होंने बहुत साधारण वेषभूषा धारण करी थी ।




” लगता हैं यह मैनेजिंग डायरेक्टर के नौकर व उसकी बीवी हैं एक दिन पहले व्यवस्था के लिए आए हैं ” अग्रवाल साहब ने बोला।

” पर शक्ल सूरत व हावभाव से ये जोड़ा नौकरों जैसा नहीं लग रहा हैं, जब मैनेजिंग डायरेक्टर साहब के नौकर ऐसे हैं तो वे स्वयं कितने प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले होंगे ” श्रीमती अग्रवाल ने कहा। 

सभी आफिसरस व उनकी पत्नियां उस नौकर जोड़े को काम निपटाने के दिशा-निर्देश ऐसे देने लगे जैसे मानो वो उनके निजी नौकर थे।

युवा नौकर व उसकी पत्नी भी हंसकर सबकी बात मानते हुए सारे बंगले की साफ सफाई व व्यवस्था में लग गये।

थोड़ा काम पूरा होने पर नौकर जोड़ा अन्दर जाकर मैनेजिंग डायरेक्टर के निजी कमरे के पलंग पर आराम फरमाने के लिए बैठा।

” अरे !! हटो यहाँ से नौकर होकर मालिक के पलंग पर बैठते हो अभी नयी चादर बिछाई हैं सब खराब हो जाएगी” श्रीमती दूबे ने उन्हें झिड़क दिया।

” मालिक तो कल आएंगे तब तक हम ही यहां के मालिक हैं ” नौकर बोला।

” बड़े बदतमीज़ किस्म के नौकर हो,अपनी हद में रहो नहीं तो डायरेक्टर साहब से तुम्हारी शिकायत कर देंगे ” प्रभाकर जी गरजे।

” नहीं साहबजी ऐसा जुल्म ना करियो हम गरीबन की नौकरी चली जाएगी ” नौकर की पत्नी सहम कर बोली।

” जरा नौकर की पत्नी को तो देखो किसी फिल्म की हीरोईन लगती हैं ” प्रभाकर जी ने दूबे जी से कहा।

” धीरे बोलो कही हमारी पत्नियाँ ना सुन ले ,यह बात तो हैं नौकर की पत्नी बड़ी खूबसूरत हैं, पर अब तो यह दोनों भी यही रहेंगे इससे भी जान-पहचान बढ़ा लेंगे “दूबे जी रहस्यमयी आवाज में बोले।

नौकर व उसकी पत्नी यह सब सुन रहे थे और उनके चेहरे पर मिलेजुले रहस्यमयी भाव थे।

पूरे दिन नौकर व उसकी पत्नी कामकाज में लगें रहे और सभी कर्मचारी उन्हें अनावश्यक दिशा-निर्देश देते रहें,आखिरकार सारा काम हो गया, नौकर जोड़ा थककर चूर हो गया पर किसी ने उन्हें खाने के लिए नही पूछा और नौकर जोड़े ने अपने साथ लाया सूखा नाश्ता खाया व हाॅल में चादर बिछाकर सो गया।

15 अगस्त के दिन सुबह सभी कर्मचारी बनठन कर आयोजन हाॅल में एकत्रित हुए और मैनेजिंग डायरेक्टर की राह देखने लगे एक-दूजे को नीचा दिखाने की होड़ अभी भी चल रही थी।

नियत वक्त पर एक बड़ी सी मर्सिडीज गाड़ी हाॅल के द्वार पर रूकी और उसमें से एक वयोवृद्ध दम्पति नीचे उतरा।




पर मैनेजिंग डायरेक्टर की आयु सीमा में यह दम्पति नहीं आता था कर्मचारी कुछ समझ नहीं पाए पर वही मैनेजिंग डायरेक्टर साहब थे क्योंकि वो कम्पनी की कार में आए थे।

उनका स्वागत हुआ, ध्वजारोहण हुआ,रंगारंग कार्यक्रम हुआ, नौकर दम्पति भी एक कोने में खड़ा था।

आज भी नौकर दम्पति जमकर काम कर रहा था और उसका श्रेय कर्मचारियों की पत्निया ले रही थी।

वृद्ध दम्पति को तरह-तरह के भोजन के साथ ढेर सारे उपहार भी मिले और चापलूसी भी अपने चरमोत्कर्ष पर थी।

कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद वृद्ध दम्पति में से श्रीमान मलिक रहस्य उजागर करने वाली आवाज में बोले।

” आप सभी ने हमारा इतना अच्छा स्वागत किया उसके लिए आभार व्यक्त करता हूँ और अब आपको आपके नये मैनेजिंग डायरेक्टर असली अभिनव मलिक से मिलवाता हूँ ” सभी यह बात सुनकर आश्चर्यचकित रह गये अगर ये अभिनव मलिक नहीं थे तो असली अभिनव मलिक कौन हैं?

यह कहकर उन्होंने नौकर दम्पति की और इशारा किया जो वास्तव में अभिनव मलिक थे।

” सर!! अगर यह मलिक साहब हैं तो आप कौन हैं?” अग्रवाल साहब ने हैरानी से पूछा।

” यह मेरे जीवन के मैनेजिंग डायरेक्टर अर्थात मेरे माता-पिता हैं “इस बार अभिनव मलिक स्वयं बोले ।

” मैं हर जगह एक दिन पहले ही अपनी पत्नी के साथ आम वेषभूषा में जाता हूँ और अपनी पहचान छिपाकर रखता हूँ जिससे मैं अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के व्यवहार व चरित्र की सच्ची जानकारी प्राप्त कर सकूँ।”

” आप सभी लोग हम दोनों को कल सवेरे से ही नौकर-नौकरानी समझ कर गलत व्यवहार करते जा रहे थे और मेरी पत्नी पर अभद्र टिप्पणी भी की गई थी ,आज और कल भी आपने नौकर-नौकरानी समझ कर हमें खाने के लिए भी नहीं पूछा ” अभिनव मलिक रोष में थे।

” हमारे देश की महान हस्तियां महात्मा गाँधी, लाल बहादुर शास्त्री, अमिताभ बच्चन व लता मंगेशकर अपने काम की वजह से प्रसिद्ध हैं ना की अपनी वेषभूषा की वजह से हैं।”

” चापलूसी व कामचोरी से मुझे सख्त नफरत हैं, इसलिए आप सबका प्रमोशन आपकी कार्यकुशलता पर निर्भर रहेगा” अभिनव मलिक हँसते हुए बोले।

सभी के दिए हुए उपहार उन्हें सप्रेम वापिस कर दिए गए थे।

उस दिन गुलमोहर उद्योग की आफिसरस काॅलोनी का माहौल बदला हुआ नजर आया यूँ कहें बदलने पर मजबूर हो गया था ।

 बडे बड़ाई ना करैं , बड़ो न बोले बोल ।

‘रहिमन’ हीरा कब कहै, लाख टका मम मोल ॥

अर्थ- जो सचमुच बड़े होते हैं, वे अपनी बड़ाई नहीं किया करते, बड़े-बड़े बोल नहीं बोला करते। हीरा कब कहता है कि मेरा मोल लाख टके का है।

कहानी का अर्थ और दिलचस्प करने के लिए रहीमदास जी के उपरोक्त दोहे का उपयोग किया हैं।

दोहा व अर्थ स्वरचित नहीं हैं पर सिर्फ कहानी का उद्देश्य समझाने हेतु प्रयोग किया हैं, किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।

आपकी प्रतिक्रिया के इंतजार में

पायल माहेश्वरी

यह रचना स्वरचित और मौलिक हैं

धन्यवाद।

#वक्त।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!