मन की गाँठ – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

जमुना सुबह देर से उठी तो श्यामराव घबरा गए और उसके पास जाकर देखा तो उसका शरीर बुख़ार से तप रहा था ।

उन्होंने जल्दी से डॉक्टर को फोन करके घर पर बुला लिया था । डॉक्टर दस मिनट में घर पहुँच गए और जमुना का चेकप करके उन्हें दवाई दे दी ।

जमुना का बुख़ार तो कम हो गया था लेकिन वह कमज़ोर हो गई थी । एक दिन बातों बातों में उसने श्याम जी से कहा कि इस बार दीपावली पर बच्चों को आने से मना कर दीजिए क्योंकि मुझसे काम नहीं होता है और आप रिटायर हो गए हैं तो पैसों की दिक़्क़त भी हो सकती है । श्याम जी ने कहा कि बच्चियाँ क्या सोचेंगी मै तो घर में बड़ा हूँ तो बात मुझ पर ही आएगी ।

जमुना ने कहा कि देखिए उनकी शादियों को हुए भी दस साल से अधिक हो गए हैं अब कोई कुछ नहीं सोचेगा । दोनों अभी बातें कर ही रहे थे कि चारों लडकियों ने ग्रूप वीडियो कॉल कर दिया । सबने कहा कि माँ पापा हम त्यौहार के दो दिन पहले ही आ जाएँगे और कहा पापा आपको फिक्र करने की जरूरत नहीं है इस बार हम बहनों ने निश्चय कर लिया है कि रसोई हम सँभाल लेंगे और माँ हमारे बच्चों के साथ समय बिताएँगी । हमें तो हमेशा आप लोगों की याद आती रहती है कि आप दोनों वहाँ कैसे हैं क्या कर रहे हैं इसलिए जब भी मौका मिलता है हम वहाँ आप लोगों के साथ समय बिताने के लिए आते रहते हैं । श्याम जी से कुछ कहते नहीं बना और वे बाज़ार गए और जरूरत का सारा सामान ले आए ।

उन्हें जमुना के लिए चिंता हो रही थी कि अभी-अभी तो बीमारी से बाहर आई है बच्चों के साथ इतने लोगों के लिए खाना बनाना दूसरे काम कैसे करेगी ।

उस दिन बच्चे आने वाले थे जमुना रसोई में उनके लिए नाश्ते का प्रबंध कर रही थी । उसी समय पीछे से श्याम अंदर आए उन्हें देखकर उसने कहा कि आज आप रसोई में कैसे आ धमके । उन्होंने अपने हाथ की थैली में से नाश्ता निकालकर गैस कट्टे पर रख रहे थे । जमुना ने कहा कि मैंने ब्रेड मँगवा लिया था कि सैंडविच बना दूँगी ।

इस बीच बाहर बहुत सारे लोगों की बातें सुनाई दे रही थी श्याम बाहर आए बच्चों को रिसीव करने के लिए छोटे बच्चे नाना कहकर गले लग गए बड़े बच्चों ने और माता पिता ने पैर छुए ।

सबके लोग नहा धोकर आए और माँ के हाथ से नाश्ता कर लिया और सब रेस्ट लेने के लिए कमरों में चले गए थे ।

श्याम जी की चार लड़कियाँ हैं चारों की शादी हो चुकी हैं और वे अपने पति के घरों में खुश हैं ।

उन सबके दो दो बच्चे भी हो गए हैं । वे सब साल में एक दो बार त्योहार के नाम पर मायके में आते रहते हैं ।

इस बार भी वे सब एक साथ आए हैं यह कहते हुए कि माता-पिता के साथ समय बिताना है।

जमुना ने खाना बनाया और बच्चों को सोते हुए देख कर जमुना और श्याम ने खाना खा लिया था और थकान मिटाने के लिए वे दोनों कमरे में सो गए । जमुना तीन बजे श्याम के लिए चाय बनाने बाहर आई तो देखा कि बच्चे उस समय खाना खा रहे थे शायद वे उसी समय सोकर उठे थे ।

वे सब खाना खाते ही तैयार हो कर बाहर घूमने निकल गए । जमुना ने ही सबके लिए खाना बनाया और उनको आने में देर हो रही है इसलिए दोनों खाना खाकर टी वी के सामने बैठ गए थे ।

वे सब घूम फिरकर आकर कहने लगे कि सॉरी माँ पापा देरी हो गई है क्योंकि हम सब फोटो लेने लगे थे । आप दोनों भी आते तो अच्छा होता ।

 श्याम अपनी आदत के मुताबिक़ पाँच बजे ही उठ गए और सुबह का वाकिंग करके घर आए तो देखा बच्चे तो सो ही रहे थे परंतु जमुना भी सोकर नहीं उठ पाई थी । श्याम को बुरा इस बात का लग रहा था कि बीमार माँ के बारे में एक बार भी लड़कियों ने सोचा ही नहीं था । यहाँ आने के पहले तो बड़ी बड़ी बातें कर रहीं थी कि हम सब कुछ कर लेंगे माँ को आराम करने देंगे कुछ काम करने नहीं देंगे आदि ।

अब देखो सोकर उठते ही नहीं हैं और उठते भी हैं तो मस्ती में डूबे रहते हैं ।

वे यहाँ चार दिन रहे और हर दिन का एक ही ढर्रा था । उनके जाने का दिन आ गया था और जाते समय वे सब माता पिता के गले लगकर कहने लगे कि हमें आपकी फिक्र होती है आप दोनों ही यहाँ रहते हैं । आप लोगों हम ठीक से बातें कर ही नहीं पाए ।

जमुना ने कहा कि देखो बच्चों आप लोग जबसे यहाँ आए हैं तब से या तो सोने घूमने में समय व्यतीत किया है या फिर अपने मोबाइल के साथ व्यतीत किया है । मैं अगर पूछ भी लेती कि क्या ख़बरें हैं बात करो ना तो मोबाइल से सर उठाकर कह देते थे कुछ नहीं है माँ सब कुछ ठीक है ।

 मैं यह सोचकर वहाँ से चली जाती थी कि दो मिनट हमसे आप लोग बैठकर बात नहीं कर सकते हैं और जाते समय कह रहे हैं कि आप लोगों से बात करने का समय नहीं मिला है ।

मेरे ख़्याल से आप लोग अब तब ही आइए जब आप हमसे सिर्फ़ हमसे मिलना चाहते हों हमने सोचा था कि सब मिलकर हँसते खेलते खाना खाएँगे साथ समय बिताएँगे लेकिन आप लोगों के पास हमारे लिए समय ही नहीं है ।

हमारी बातों को सुनकर उन्होंने हमसे माफ़ी तो माँगी लेकिन मेरे मन की गाँठ मन में ही रह गई थी। अपने पति से कहा कि देखा आपने मैंने इसलिए आपसे कहा था कि उन्हें फ़ोन करके बता दीजिए कि इस बार त्योहार अपने अपने घरों में मनाए परन्तु आप हैं कि उन्हें मना नहीं कर पाए थे और क्या फ़ायदा हुआ आए और चले गए हैं और कुछ नहीं हो सका है ।

के कामेश्वरी

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