मधुमालती का सा वक्त – तृप्ति शर्मा 

 शाम के गरम माहौल और चलती ठंडी हवा के साथ उड़नें का जी लिए मालती छत पर गई।दो दिन पहले ही उसके पेट मे तीन महीने पहले हुए नए एहसास ने दम तोड़ा था,उसके लिए ये नई बात नही थी,ऐसा पहले भी कई बार हो चुका था उसके साथ।

  पर पति सचिन के मना करने पर भी एक उम्मीद फिर बांध लेती।

बारी बारी सभी पौधो,गुलाब ,चंपा,चमेली,सबको पानी देकर पुचकारा। गुड़हल के फूलों से लदे गमले के बराबर मे मधुमालती का गमला था।

 जिसने पिछले आठ दस सालों मे कभी फूल नहीं दिए।उसके पति सचिन कभी कभी कहते इसे हटा दो आजतक इसने फूल दिए ही नही। पता नहीं क्यों ,मालती उस पौधे को अपने जैसा समझने लगी थी। यह सुनते ही मालती की आंखें भर आती थी । भरी आंखों से कहती इसका भी वक्त आएगा रहने दो।

 ऐसा नहीं था कि मधुमालती में कलिया नहीं आई पर खिल नहीं पाई ऐसा ही कुछ मालती के साथ भी था ।कोख में पलती नन्ही जान का एहसास होने से पहले ही सब खोखला हो जाता।

   मधुमालती को मालती ने अपना दोस्त बना लिया था अकेली बैठी उसे पुचकारती रहती । उसका दुख साझा करती,

समझती थी वह उस बंजर पौधे का दर्द जो फूलरहित ही रहता है।

बहुत इलाज कराए पर 3 महीने की खलबली के साथ सब शांत हो जाता रह जाती अकेली मालती अपनी मधुमालती की बेल के साथ।



सचिन से मालती का दुख देखा नहीं जाता था इसलिए एक नया पर प्यारा सा फैसला खुद ही ले लिया उसने।

अनाथ आश्रमों में जन्मे हुए बच्चे के लिए अर्जी दे डाली थी। इस बार मालती के जन्मदिन पर यही तोहफा उसकी गोद में डालने की सोच पर सचिन बहुत खुश था।

 इधर इस बार बरसात के मौसम में मधुमालती पर भी सचिन ने मालती की ही तरह खास ध्यान दिया ।मेहनत रंग लाई ,मधुमालती पर भी और अपनी मालती पर भी ।‌ मालती के जन्मदिन के पहले ही सचिन के पास नन्ही सी खुशी घर ले जाने के लिए फोन आ गए ।

 अगले दिन मालती का जन्मदिन था । सुबह उठकर सचिन ने  जन्मदिन की बधाई दी ।रात की बारिश के बाद मालती टहलने के लिए छत पर गई, मधुमालती  लहरा रही थी । जैसे बहुत खुश हो मालती उसकी खुशी को महसूस करने उसके पास गई तो वह भी खुशी से झूम उठी नन्ही कोपलों में से अबकी बार लाल ,गुलाबी ,सफेद रंग झांक रहे थे।

मेरी मधुमालती का वक्त आ गया कह कर खुशी से झूम उठी मालती। इसका इंतजार खत्म हुआ वक्त ने इसे इसकी खुशी दे ही दी।सचिन को छत पर लाकर मधुमालती के फूल दिखाएं, सचिन ने कहा इसकी गोद तो भर गई अब तुम्हारी बारी है।

मालती कुछ समझ नहीं पाई।सचिन लगभग उसे खींचता हुआ उसे गाड़ी तक ले गया जहां उसका इंतजार खत्म होने को था अब उसका वक्त था खुश होने का ,उसकी गोद भरने का।

सचिन ने कहा तुम्हारी मधुमालती ही मां नहीं बनी अब तुम भी मां बन चुकी हो तुम्हारा वक्त भी आ गया है।

खुशी के आंसुओं के साथ मधुमालती का चेहरा खुशी से मुस्कुरा उठा और उसने उस नन्ही सी जान को सीने से लगा लिया।

 

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