दीया लेकर ढूंढते पुरे जहान में तो भी अतिशय जैसा लड़का नहीं मिलता मेरी लाडो के लिए , धन्य भाग्य हमारे जो हमें अतिशय जैसा दामाद मिला , क्या कहते हो शालू के पापा एक ही सास में बोल पड़ी राधा जी !!
राधा जी के पति गोविंद जी बोले – मैं तो पहले ही बोल रहा था भाग्यवान मगर तुमने और तुम्हारी बेटी शालू ने ही अतिशय को पसंद करने में बहुत समय लगा दिया !!
लड़का चुनना था शालू को , अब तुम तो जानते ही हो शालू के पापा !! शालू की हामी जरूरी थी इस रिश्ते के लिए , शालू ने बहुत समय लगा दिया हां कहने में अब इसमें मैं भी क्या कर सकती थी , तुम तो जानते ही हो हमारी शालू शुरू से ही कितनी जिद्दी हैं , उसकी समझ में बात थोड़ी देर से ही आती हैं वैसे भी , राधा जी बोली !!
अभी एक महिने पहले ही गोविंद जी और राधा जी की बेटी शालू का रिश्ता अतिशय से तय हुआ था !!
जहां शालू शुरू से ही चंचल , हंसमुख और जिंदादिल लड़की थी , वहीं अतिशय अर्तंमुखी , कम बोलने वाला और सीधा लड़का था !! पढ़ाई में उसने इंजीनियरिंग में मास्टरी कर रखी थी , नौकरी भी अच्छी खासी थी और कमाता भी अच्छा खासा था मगर जब वह पहली बार शालू को देखने उसके घर आया और शालू से उसने अकेले में जाकर बाते की , दोनों की पसंद और ना पसंद में जमीन आसमान का अंतर था !!
शालू को पहाडो पर ट्रेकिंग करना बहुत पसंद था वही अतिशय को सुकुन से जाकर नदी के किनारे बैठना पसंद था !!
शालू को पार्टीस और शोर शराबा पसंद था वही अतिशय को अकेले कमरे में मूवी इंजाय करना !!
अतिशय से बातें करके शालू को समझ आ गया था कि अतिशय बहुत सीधा लड़का हैं इसलिए उसने इस रिश्ते के लिए हामी नहीं भरी थी !!
जहां शालू के मम्मी – पापा को अतिशय बहुत पसंद आया था वही शालू का जवाब था मुझे ओर सोचने का मौका चाहिए !!
अतिशय के घरवालो को शालू पसंद थी इसलिए उन्होंने दो बार शालू के घरवालो से जवाब जानना चाहा था मगर गोविंद जी बोले थे कि अभी एकाध महिने बाद ही जवाब देंगे !!
गोविंद जी शालू को बार बार समझाते कि उन्होंने अतिशय की बाहर के लोगो से भी बहुत तारीफ सुन रखी हैं , ऐसे अच्छे लड़के बार – बार नहीं मिलते तब राधा जी बीच में टोक देती आपको थोड़ी रहना हैं अतिशय के साथ !!
शालू को पूरी जिंदगी अतिशय के साथ बितानी हैं इसलिए मेरी लाडो को फोर्स मत कीजिए , अगर अतिशय और इसकी पसंद नहीं मिलती , खान – पान नहीं मिलता तो शालू को पुरा हक हैं अतिशय से शादी ना करने का !!
शालू माता – पिता की बाते सुनकर फैसला करने में ओर भी असक्षम हो जाती !!
उसी बीच एक दिन शालू की सहेली शिखा घर आई हुई थी और उसने बताया कि उसका रिश्ता तय हो गया है !! शालू को उसके लिए बहुत खुशी हुई !!
बातों बातों में शिखा शालू से बोली – शालू तुझ पर तो कॉलेज टॉईम से बहुत लड़के फिदा थे मगर तुने किसी को घास तक ना डाली , अगर लव मैरिज का इरादा नही हैं तो अरैंज मॅरिज की खुश खबरी दे दे यार !!
शालू ने शिखा से अतिशय के आए हुए रिश्ते के बारे में बताया और बोली लड़का तो अच्छा हैं , बस मेरे टाईप का नहीं हैं !!
शिखा बोली शालू हमेशा दो विपरीत लोग ही अच्छे जीवन साथी साबित होते हैं !!
मैं तो कहूंगी इतना अच्छा लड़का हाथ से मत जाने दे , तू भी मेरी तरह चट मंगनी और पट ब्याह की खुश खबरी दे ही दे !!
शादी के बाद वैसे भी पति की सारी बातें अच्छी लगने लगती हैं , बस पति प्यार और सम्मान देने वाला होना चाहिए !!
शिखा के जाने के बाद शालू ने बहुत सोचा और दूसरे दिन इस रिश्ते के लिए हां कर दी !!
गोविंद जी और राधा जी को भी अतिशय बहुत पसंद आया था इसलिए वे लोग शालू का जवाब सुनकर बहुत खुश हुए और अब दामाद के स्वागत की तैयारी में लग गए !!
जब पहली बार उन्होंने अतिशय को अपने घर बुलाया और अतिशय को सोने की चैन भेंट देने लगे तब अतिशय ने चैन लेने से साफ साफ इंकार कर दिया और बोला अंकल – आंटी मुझे आप लोगो के प्यार के अलावा कोई भेंट नहीं चाहिए !!
उस दिन से गोविंद जी और राधा जी की नजरो में अतिशय की इज्जत ओर बढ़ गई थी , बस थोड़े ही दिनो में अतिशय और शालू की शादी हो गई !!
अंर्तमुखी होने के कारण अतिशय शालू की भर भरके तारीफे तो नहीं कर पाता था मगर शालू की जरूरतों का हर पल ध्यान रखता !!
अभी शादी को ज्यादा दिन नहीं हुए थे इसलिए अतिशय और शालू की रिश्तेदारो में मेहमान नवाजी ही चल रही थी !!
आज अतिशय और शालू को अतिशय की बुआ के घर खाने पर जाना था !!
शालू ने हल्की गुलाबी साड़ी , बड़े इयर रिंग्स और बाल खुले छोड़ दिए !!
शालू को देखते ही उसकी सास ने आंख से काजल निकालकर शालू के कान के पीछे लगाते हुए कहा – नजर ना लगे मेरी बहु को किसी की !!
शालू मुस्कुरा दी , बाहर आकर देखा तो अतिशय कार में उसका इंतजार कर रहा था !! शालू को देखते ही उसकी नजरें शालू पर गढ़ गई और उसने मुस्कुराकर कार का दरवाजा खोल दिया – शालू आकर कार में बैठ गई !!
पूरे रास्ते वह इंतजार करती रही की अतिशय उसके रूप की तारीफ करेगा मगर अतिशय कुछ ना बोला और खाना खाकर वे लोग घर आ गए !!
शालू ने खिन्न मन से कपडे बदले , मेकअप उतार कर मुंह धोया और उस तरफ मुंह करके सो गई !! शालू के कान अब तारीफ सुनने के लिए तरसने लगे थे , भले वह कॉलेज के लड़को को उसकी तारीफ करने पर डांट लगा देती मगर मन में उसे खुद पर गर्व महसूस होता और तारीफ सुनना उसे अच्छा लगता !!
अतिशय और शालू की शादी को देखते देखते छः महिने बीत चुके थे !!
शालू कुछ कहती नहीं थी मगर अतिशय से अब ज्यादा बात नहीं करती थी !!
अतिशय की सारी आदतें शालू से बिल्कुल विपरीत थी !!
आज सुबह अतिशय बोला – आज रात हमें मेरे दोस्त मिलन के घर डीनर पर जाना है !! वह अभी थोड़े ही महिने पहले हमारे शहर में शिफ्ट हुआ हैं और मेरे ऑफिस का कलिग भी हैं !!
शालू भी शाम को बन संवर कर तैयार हो गई !!
जब वे लोग डीनर पर पहुंचे तो सामने देखा उसकी सहेली शिखा अपने पति के साथ उनका स्वागत कर रही थी !!
दोनों सहेलियां इस अनजान मुलाकात से बहुत खुश हुई और उन्हें आज ही पता चला था कि उन दोनों के पति इतने अच्छे दोस्त हैं !!
शालू अंदर किचन में शिखा का हाथ बंटाने गई और बोली क्यूं री शिखा तु तो शादी करके गायब ही हो गई थी और अब पुरे एक साल बाद नजर आई हैं !!
शिखा बोली – शालू मिलन का दिल्ली में ट्रांसफर हो गया था इसलिए शादी के बाद किसी से मिलना ही नहीं हो पाया था , बस अब फिर से अपने शहर आ गए है , अब तो मिलना जुलना होता रहेगा , उतने मे मिलन की हॉल मे से आवाज आई शिखा कहां हो डॉर्लिंग , यहां आकर हमारे पास बैठो !!
शालू और शिखा दोनो किचन से बाहर आए तो मिलन बोले – शालू , आपकी सहेली को देखिए , कितनी सुंदर लग रही है , मुझसे शादी के बाद तो ओर निखरती ही जा रही है , है कि नहीं शालू जी !!
शालू बोली – जी , शिखा तो पहले से ही सुंदर हैं और अब आप जैसा तारीफ करने वाला पति है तो ओर क्या चाहिए , कहते हुए उसके मन के भाव खिन्न हो गए !! यूं लुकिंग सो ब्यूटीफुल कहते हुए मिलन ने शिखा का हाथ पकड़कर उसे अपने बाजू में बैठा लिया !! सभी ने डिनर किया और शालू और अतिशय साथ में वापस अपने घर को आ गए !!
शालू की आंखों में आज नींद नहीं थी , रह रहकर उसे कॉलेज के दिन याद आ रहे थे , जब लड़के शालू के इर्द- गिर्द घूमा करते थे और उसकी तारीफों के फूल बरसाया करते थे और आज पति अतिशय इतना बोरिंग हैं कि शालू कितनी भी अच्छी तैयार होकर निकले , अतिशय के मुंह से एक तारीफ का लफ्ज नहीं निकलता , आश्चर्य तो उसे आज इस बात का ओर ज्यादा हो रहा था जब साधारण सी रूप रंग वाली शिखा जिसे कॉलेज में कोई लड़का देखता तक नहीं था , उसका पति उस पर जान न्यौछावर करता हैं और कितनी तारीफ करता हैं उसकी !!
सच पति हो तो मिलन जैसा दिलदार जो शिखा जैसी साधारण दिखने वाली पत्नी को भी महारानी की तरह रखता हैं वर्ना अतिशय जैसा बोरिंग पति तो अपनी पत्नी को भी बोरिंग बना दे जैसे की आज मैं हो गई हुं !! मन ही मन उसे अतिशय पर ओर गुस्सा आने लगा था , अब आए दिन वह अतिशय से झगड़े करने लगी थी मगर फिर भी अतिशय उसे समझाने का बहुत प्रयास करता !!
एक दिन ऑफिस के एक इंवेट पर जब अतिशय , मिलन और उनकी पत्नियों की मुलाकात हुई तो मिलन बोला वाह शालू जी !! आप तो आज आसमान से उतरी अप्सरा लग रही हैं !!
शालू को लगा मानो आज उसका तैयार होना सफल हो गया और इसे कहते हैं तारीफ जो कभी अतिशय नहीं कर पाया था !!
आज शालू को अंदर से अच्छा अनुभव हो रहा था और मिलन के लिए उसके दिल में अलग ही छवि बनती जा रही थी जिसे शायद अगर वह प्रकट कर दे तो समाज उसे चरित्रहीन कहने में समय नहीं लगाएगा !!
अतिशय , मिलन से कुछ सीखो !! लड़कियों को कैसे इज्जत दी जाती हैं यह मिलन जानता हैं , कहने को तो तुम दोनों दोस्त हो मगर दोनों का एक भी गुण नहीं मिलता , अगली सुबह शालू ने फिर अतिशय से लड़ाई शुरू कर दी थी !!
अतिशय अब भी शांति से बोला – शालू , हर इंसान अलग होता हैं स्वभाव से , आदतों से !! हम एक दूसरे की तुलना नहीं कर सकते और हां मिलन की एक ओर अच्छी बात बताता हुं उसका प्रमोशन हो गया हैं इसलिए उसने आज शाम हमें उसके घर पर खाने पर बुलाया हैं !!
अतिशय ने शालू की बातो का बिल्कुल बुरा नही माना था !!
मिलन के घर खाना खाने जाने के नाम से शालू अंदर तक प्रफुल्लित हो गई और सोचने लगी आज तो शाम वह बहुत अच्छी तैयार होकर जाएगी !!
शाम को जब शालू तैयार हुई , अतिशय उसे प्यार भरी नजरो से देखने लगा और जब वे लोग मिलन के घर पहुंचे तो देखा मिलन पहले से उनके स्वागत के लिए दरवाजे पर खड़ा था !!
मिलन बोला – भाभी जी आज तो आप कहर ढ़ा रही हैं , शालू ने भी तारीफ का जवाब मुस्कुराहट में दे दिया !!
जब सभी साथ में डिनर करने बैठे तो मिलन सब्जी खाते ही झल्लाकर बोला – शिखा ध्यान कहां रहता हैं तुम्हारा खाना बनाते वक्त ?? सब्जी में नमक ज्यादा हो गया हैं , तुम ही खाओ अब ऐसी सब्जी , मेरे गले से तो ना उतरेगी !!
शिखा ने एक नजर अतिशय और शालू को देखा और अपमानित नजरो को चुराकर वह किचन में चली गई !!
शालू को वह दिन याद आ गया जब अतिशय के बॉस और उनकी पत्नी घर पर खाने पर आए थे और इसी तरह शालू से सब्जी में नमक ज्यादा हो गया था !!
अतिशय ने तुरंत शालू से कहा सब्जी में उपर से टमाटर की ग्रेवी बनाकर डाल दो ताकि नमक का टेस्ट बराबर हो जाए शालू !!
अतिशय ने उस दिन कितनी अच्छी तरह से बात को संभाला था वर्ना उसके बॉस के आने पर ऐसी गलती होने पर वह मुझे डांट भी सकता था मगर अतिशय ने उनके सामने तो नहीं बल्कि अकेले में भी मुझे कभी ऐसे नहीं फटकारा !!
शालू झटपट शिखा के पीछे रसोई में गई तो देखा शिखा रो रही थी !!
शालू ने उसे सांत्वना देने की कोशिश की तो शिखा बोली – शालू , मुझे तो यह अपमान सहने की आदत सी पड़ गई हैं वैसे भी मिलन की आदत हैं जब चाहे मुझे पलको पर बैठाकर मेरी तारीफ कर देता है और जब चाहे मुझे धिक्कार देता हैं !!
अर्श से फर्श पर पहुंचाने में एक मिनट नहीं लगाता !!
जब भी अतिशय जीजू को देखती हुं तो सोचती हुं कि तु कितनी लक्की हैं जो तुझे ऐसे पति मिले !!
उनके बात करने का तरीका , उनका मिलन सार स्वभाव !! मुझे नहीं लगता अतिशय जीजू ने कभी तुम पर गुस्सा किया होगा !!
मैं कहती थी ना शालू , पति प्यार और सम्मान करने वाला चाहिए जो तुझे मिला हैं !!
शिखा की बातें सुनकर आज शालू अंदर ही अंदर अपने आप को अपराधी मान रही थी क्योंकि वह कभी अतिशय की नजरे भांपना ही नहीं चाहती थी जिसमें उसके लिए प्यार ही प्यार था , इतनी बार अतिशय से लड़ाई करने के बावजूद भी अतिशय ने कभी शालू से उल्टे शब्द नहीं बोले थे !!
शालू और अतिशय जब घर के लिए रवाना हुए , शालू बोली – अतिशय मुझे माफ कर दो , मैंने कभी तुम्हारे मन में मेरे लिए समाया प्यार तो देखा ही नहीं !!
हमेशा तुम्हें कोसती रही , मेरे मन में ना जाने क्या क्या आता रहा !! मैंने तुम्हें हर पल नीचा दिखाया अतिशय मगर बदले में तुमने फिर भी मुझे प्यार ही दिया !!
अतिशय मैं बहुत बुरी हुं , मैंने बहुत पाप किए हैं जिसका मुझे प्रायश्चित करना चाहिए !!
अतिशय बोला – शालू क्या पाप क्या प्रायश्चित ?? मैं तो बस इतना जानता हुं कि जिस दिन तुम मेरी अर्धांगिनी बनी थी उस दिन से तुम मेरा आधा अंग हो !!
तकलीफ तुम्हें होगी तो दुःख मुझे होगा , खुश तुम रहोगी तो अच्छा मुझे महसूस होगा !!
मैं शायद ज्यादा बोल नहीं पाता मगर तुम मेरे लिए सब कुछ हो !!
शालू की आंखों में खुशी के आंसू थे और आज उसे अतिशय की कीमत समझ आ चुकी थी !!
दोस्तों , जरूरी नहीं कि जो लोग बोलकर दिखाते हैं उनके मन में वे लोग वैसा ही महसूस करते हो , बहुत बार करनी और कथनी में बहुत फर्क होता हैं !!
कभी कभार कुछ ना बोलने वाले लोग अपने पन को ज्यादा महसूस करते हैं बस उन्हें दिखावा करना नहीं आता !!
आपको यह कहानी कैसी लगी कृपया जरूर बताइएगा तथा ऐसे ही कहानियां पढ़ने के लिए हमारे पेज को फॉलो जरूर करिएगा !!
आपकी सहेली
स्वाती जैंन