नियति एक मिलनसार महिला थी उसकी सबसे अच्छी सहेली थी चांदनी दोनो सहेलियां एक दूसरे पर जान छिड़कती थी
तभी नियति की सोसाइटी में मेघा नाम की औरत शिफ्ट हुई दोनो के फ्लैट आमने सामने होने के कारण आना जाना लगा रहता।
मेघा को नियति और चांदनी का घुलना मिलना पसंद ना था। चांदनी और मेघा एक ही योगा क्लास में जाती थी वहां वो चांदनी से बाते करती
और नियति को लगाई बुझाई करती शुरू शुरू में तो नियति ध्यान ना देती पर कुछ दिन लगातार एक ही बात सुनते सुनते नियति को भी
लगने लगा चांदनी मेरे बारे मे इस तरह बोलती हैं एक दिन वो उससे लड़ने पहुंच गई।चांदनी उसकी बात सुनती रही
और बोली तुम्हारे बारे में मेघा रोज मुझे बोलती पर मुझे तुम पर विश्वास था कि तुम मेरे बारे में गलत नहीं बोल सकती।
पर तुम कान की कच्ची निकली जो दूसरों की बातों में आ गई।आज विश्वास का धागा टूट गया।
नियति शर्मिन्दा सी खड़ी थी और चांदनी वहां से चली गई।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी