जिंदगी हर कदम एक नई जंग है ( एक बेटी कि संघर्ष कि कहानी)

सोनम लंच बना रही थी  तभी उसके फोन का रिंग बजने लगा।  उसने अपने ननद को आवाज दी, किरण, मेरा फोन लेकर आना, देखूँ तो किसका फोन है।  सोनम की ननद किरण ने कहा, “भाभी आपकी मम्मी का फोन है। ” सोनम ने झट से दौड़कर फोन उठाया क्योंकि उसके पापा कई दिनों से बीमार थे । 

सोनम ने जैसे ही हेलो कहा उधर से उसकी माँ ने कहा, बेटी जल्दी से हॉस्पिटल आ जाओ तुम्हारे पिताजी भर्ती हैं।  सोनम का ससुराल और मायका एक ही शहर में था और मायके से ससुराल की दूरी मात्र 2 किलोमीटर ही थी। सोनम ने अपने माँ से कहा, “मां, भैया-भाभी को फोन कर लो तब तक मैं भी पहुचती हूँ।”

सोनम की माँ ने कहा, “बेटी उनको फोन करे हुए 2 घंटे से भी ज्यादा हो गए लेकिन अभी तक कोई आया नहीं।” सोनम ने कहा, “ठीक है मां मैं बस आधे घंटे में पहुंच रही हूं। ” सोनम ने अपनी ननद किरण को कहा, “किरण तुम आज लंच बना लो और बच्चे जब स्कूल से आ जाएं उनको  खिला देना।  पापा की तबीयत बहुत खराब है और वहां देखभाल करने के लिए कोई  नहीं है।  

 मैं जल्दी से हॉस्पिटल निकल रही हूं। ” सोनम जल्दी से कपड़े चेंज कर कर हॉस्पिटल के लिए ऑटो करके निकल गई और रास्ते में ही अपने पति समीर को फोन करके बता दिया, उसके पापा की तबीयत बहुत ज्यादा ही खराब है वह भी शाम को ऑफिस से लौटते वक्त हॉस्पिटल में ही आ जाए या हो सके तो जल्दी आने की कोशिश करें। 



आधे घंटे के अंदर सोनम हॉस्पिटल पहुंच चुकी थी हॉस्पिटल पहुंचने के बाद सोनम  अपनी मम्मी से मिली और उसके बाद वह डॉक्टर मिली तो डॉक्टर ने कहा कि आपके पापा के शरीर में खून की कमी है सबसे पहले तो उनको दो यूनिट खून चढ़ाना होगा ।  उसके बाद  उनके पैर में घाव हुआ है उसका तुरंत ऑपरेशन करना पड़ेगा वरना जहर पूरे शरीर में फैल गया तो फिर 

आपके पापा को बचाना मुश्किल हो जाएगा। 

सोनम ने डॉक्टर से पूरे इलाज का खर्चा पूछा, डॉक्टर ने कहा, “आप  जाकर पेमेंट खिड़की पर बात कर लीजिये । वह आपको सारा खर्चा बता देंगे आप अपने पापा का नाम बता दीजिएगा।” सोनम पेमेंट खिड़की पर गई तो वहां पर जो स्टाफ बैठा हुआ था सोनम को कुल इलाज का खर्चा एक लाख के करीब बताया ।  

सोनम ने आकर अपनी  माँ  से कहा कि  माँ हॉस्पिटल वालों ने पूरा खर्चा  एक  लाख  बताया है। सोनम की माँ ने कहा अपने दोनों भाइयों को फोन करके बुला लो इतने पैसे मेरे पास कहां है?  सोनम आधे घंटे से अपने भाइयों का फोन ट्राई कर रही थी रिंग हो रहा था लेकिन कोई भी फोन नहीं उठा रहा था। 

सोनम के दोनों भाई उसी शहर में ही रहते थे और उन्हें यह बात पता चल गया था कि पापा बीमार है इसलिए फोन नहीं उठा रहे थे।  उनको लग रहा था जो पहले जाएगा  पापा के हॉस्पिटल का खर्चा उसी को उठाना पड़ेगा। इस डर से दोनों भाई मे से कोइ फोन नहीं उठा रहे थे। 1 घंटे से भी ज्यादा हो गया डॉक्टर ने कहा, मैडम जल्दी से  पेमेंट जमा कराइए नहीं तो फिर आज ऑपरेशन नहीं हो पाएगा।  

फिर कल क्या होगा हम आपको बता नहीं सकते हैं और हाँ उसके पहले तो आपको दो यूनिट खून का इंतजाम करना होगा । सोनम थक हारकर  अपने पति के पास फोन लगाई और अपने पति समीर  से अपने पापा के हालत के बारे में बताया, पापा को तुरंत ऑपरेशन कराना होगा और उसके लिए एक लाख रुपये की   जरूरत है उसके भाई फोन नहीं उठा रहे हैं तुम मदद कर दो बाद मे  भाई से 

 लेकर मम्मी पैसा दे देगी। सोनम के पति समीर ने जैसे ही   पैसे देने की बात सुनी, अपनी पत्नी को कहा, “यार तुम कैसी बात करती हो तुम्हें क्या पता नहीं है कि हमारे पास पैसे हैं या नहीं तुम कोई गैर थोड़ी हो सब कुछ तुम्हें पता है कि पिछले महीने ही हमने जो जमीन लिया था जो भी हमारे पास कैश  थे सब उसी में लग गए अब हमारे पास पैसे कहां है अगर तुम कहो तो किसी से ब्याज पर पैसे लेकर दे देता हूं। ” 

 सोनम ने अपने पति से कहा ठीक है समीर, कोई बात नहीं मैं मम्मी से कहती हूं कि वह कहीं और से पैसे का इंतजाम करें।   सोनम को समझ नहीं आ रहा था कि वह करें तो क्या करें उसके पास भी पैसे नहीं थे उसके पास जो ज्वेलरी थे वह भी उसके सास ने अपने पास रख रखे थे जब उसे पहनना होता था तब उसे अपनी सास से मांग कर पहनना पड़ता था। 

फिर उसके बाद सास अपने पास रख लेती थी। सोनम ने अपनी मां से आकर कहा  पैसे का इंतजाम नहीं हो पा रहा है, पापा का ऑपरेशन कैसे कराया जाए।  सोनम की माँ ने कहा बेटी तू चिंता मत कर यह ले चाभी तू घर जा मेरे अलमारी में से मेरे गहने निकालकर  सुनार की दुकान पर बेच दे और पैसे लेकर आ।



तेरे बाबूजी से बढ़कर मेरे गहने नहीं है, अगर तेरे बाबूजी ही नहीं रहेंगे तो मैं इस गहनो  का क्या करूंगी। सोनम अपनी मां से चाबी लेकर पैसे का इंतजाम करने अपने मायके चली गई और इधर हॉस्पिटल वालों ने सोनम की माँ से कहा आप जल्दी से पैसे का इंतजाम करो नहीं तो आपके पति को बचाना मुश्किल हो जाएगा। 

लेकिन सोनम की मां भी करें तो क्या करें। आजकल हॉस्पिटल वाले अपने नाम के आगे सेवासदन तो लिख देते हैं लेकिन उनके अंदर सेवा का कोई भाव नहीं होता है जब तक आप पैसे नहीं दो आप के रोगी को छूना तो दूर देखेंगे तक नहीं और वही हाल हो रहा था सोनम के पिता जी के साथ  जब तक पैसे लेंगे नहीं तब तक रोगी के शरीर को हाथ लगाएंगे नहीं। 

सोनम को पैसे लेकर आते-आते शाम हो चुका था।  सोनम ने जैसे ही हॉस्पिटल में पेमेंट जमा कराई। सोनम को बताया गया कि अब तो डॉक्टर जा चुके हैं अब ऑपरेशन कल सुबह ही हो पाएगा।  सोनम ने बहुत रिक्वेस्ट की उनकी पापा की तबीयत ठीक नहीं है।  इमरजेंसी में उनका ऑपरेशन रात में किया जाए, हॉस्पिटल वालों ने बताया कि अगर आप इमरजेंसी में ऑपरेशन करवाना चाहती हैं तो 

पैसा आपका ज्यादा लगेगा।  लेकिन सोनम के पास इससे ज्यादा पैसे नहीं थे तो उसने सोचा कि रात भर में क्या हो जाएगा चलो सुबह ऑपरेशन हो जाएगा लेकिन होनी को कौन टाल सकता है रात में उसके पिताजी सोए तो अगली सुबह  हमेशा के लिए ही सो गए थे। अब उन्हें दवा की जरूरत थी न दुआ की।

वे भगवान के घर चले गए थे।  वहां किसी भी चीज की जरूरत नहीं होती है। सोनम और और उसकी माँ को जब यह खबर पता चला कि उसके पिताजी नहीं रहे, वह दोनों फफक कर रोने लगी, उनको चुप कराने वाला भी कोई नहीं था।  ना अभी तक सोनम के पति समीर आया था और ना ही सोनम के दोनों बड़े भाई आए थे, मां बेटी ने अपने आप को संभाला सोनम ने अपने बड़े भाइयों 

को फोन लगाने के लिए कहा तो मां ने साफ मना कर दिया, बोली रहने दो सोनम,  अब फोन करने का कोई फायदा नहीं तुम एंबुलेंस वालों से बोलो वे तुम्हारे पिताजी को घर पहुंचा देंगे. वैसे भी वह हॉस्पिटल आकर क्या करेंगे जिंदा रहने पर तो आए नहीं अब मरे हुए को हॉस्पिटल में ले जाने क्या आएंगे उनको मिलना होगा तो घर पर आकर मिल लेंगे । 

एंबुलेंस में सोनम अपने पिता को लेकर घर जा रही थी और आज अपने आप पर उसे बहुत ही आत्मग्लानि हो रही थी, आज उसे अपने उस फैसले पर बहुत ही पछतावा हो रहा था।  शादी से पहले वह एक स्कूल में शिक्षिका थी,  शादी के बाद पति और ससुराल वालों को सोनम का जॉब करना अच्छा नहीं लगा तो उसने जॉब से रिजाइन दे दिया लेकिन आज उसे लग रहा था अगर जॉब कर रही होती 

तो उसके पास भी पैसे होते और किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं होती और वह शायद अपने बाबूजी को बचा सकती थी।  क्योंकि इस दुनिया में मरना तो सबको है जो यहां आया है वह जाएगा भी।  यह सब सोच-सोच कर सोनम बिल्कुल पत्थर की मूर्ति हो गई थी उसके मुंह से अब आवाज भी नहीं निकल रहे थे। उसके आंसू भी  सूख गए थे।



कितना विश्वास करती थी वह अपने पति समीर पर उसे लगता था उसके पति हर सुख-दुख के साथी हैं लेकिन उसे अब पता चल गया था कि यहां सुख-दुख का साथी सिर्फ पैसा है।  अगर आप खुद से मजबूत हो तो हर कोई आपको प्यार करता है हर कोई आपका  साथ देता है।  अगर आप आर्थिक रूप से कमजोर हो तो आपकी कोई मदद नहीं करता है । 

कुछ देर के बाद एंबुलेंस सोनम के मायके पहुंच चुकी थी एंबुलेंस वालों ने सोनम के पापा को घर के अंदर उतार कर रख दिया कुछ देर में ही सोनम के भाई भी आ गए थे और उसकी दोनों भाभी भी आ गई थी। वह लोग यहां आकर ऐसे रोने लगे कि जो कोई देखेगा तो यही कहेगा इनको अपने पापा से कितना प्यार था और सबसे ज्यादा दुख इन्हीं को है , लेकिन अंदर की बात कौन जानता था

अगर इतना ही दुख भाइयों ने जताया होता तो आज पापा जिंदा होते। यह तो सिर्फ दिखावा था. लेकिन  सोनम कि आंखों से आंसू भी नहीं टपक रहा था और वह चुपचाप बैठी थी, पत्थर हो गई थी। कुछ देर के बाद रिश्तेदारों का आना-जाना भी शुरू हो गया था कई सारी महिला रिश्तेदार एक जगह बैठ कर रो रही थी और आपस में ही बात कर रही थी यह बहू होते हुये भी कितना रो रही है और 

 यह अपनी खून है फिर भी देखो इसके आंखों से आंसू भी नहीं टपक रहे हैं.  लेकिन सोनम किसको बताएं अपनी व्यथा कि कैसे उसने 24 घंटों बिताए हैं।  कुछ देर के बाद सोनम के पति समीर और उसकी सासु माँ भी आ गये ।  सोनम को समझाया, सोनम कोई बात नहीं यह तो दुनिया का रीत है जो आया है वह एक दिन जाएगा, हम जाने वाले को चाह कर भी रोक नहीं सकते हैं। 

कुछ देर के बाद सोनम के पिता जी का दाह संस्कार कर दिया गया और धीरे-धीरे सब मेहमान चले गए। 13 दिनों के बाद सोनम के पिता जी का ब्राह्मण भोज देना था उसमें लगभग 50 हजार  का खर्चा तो आएगा।  यह सोचकर दोनों भाइ आपस में मतभेद करने लगे कि हमारे पास पैसा नहीं है, हमारे पास पैसा नहीं है यह सुनकर सोनम की माँ अपने आप पर पछता  रही थी कि मैंने कैसे बेटों को जन्म दे दिया है।  

जो सिर्फ पैसे के लिए मर रहे हैं आज दोनों सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं और अच्छा खासा पैसा कमाते हैं लेकिन अपने पिता के ब्राह्मण भोज के लिए भी उनके पास पैसे नहीं है।  आखिर मे सोनम के माँ के पास जो गहने बेच के पैसे रखे हुए थे उसने अपने बेटे को दे दिया और बोला यह लो पैसे और अपने बाबूजी को अच्छा से  ब्राह्मण भोज दे दो ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले ।

 यह सब तो निपट गया उसके बाद अब ये होने लगा कि माँ अकेले कैसे रहे जब तक बाबूजी जिंदा थे तब तक तो माँ और बाबूजी एक साथ ही रहते थे लेकिन अब माँ कैसे रहेगी.  दोनों भाइयों ने मिलकर यह फैसला किया माँ को दोनों भाई 6-6 महीने रखेंगे। 

माँ अब  बड़े भाई के साथ रहने लगी थी।  सोनम की मां अपने बड़े बेटे के यहां चली तो गई थी लेकिन अंदर से उनका मन नहीं था जाने के लिए उनका मन बहुत घबरा रहा था। लेकिन उनके पास भी मजबूरी थी अब किसी न किसी बेटे के यहां तो जाना ही था आखिर वह अकेले कैसे रहती ।  

सोनम की माँ दिन  में तो अच्छे से रही सब लोग उसके साथ अच्छे से बात किया, खाना भी खिलाया जब रात में सोने का समय हुआ, सोनम की भाभी ने बरामदे के बाहर अपनी सासू माँ के लिए चारपाई लगा दिया और वहीं पर सोने के लिए बोल दिया।  उन्होंने बोला अब हमारे पास तो दो ही कमरे हैं एक में मैं और आपके बेटा सोते हैं और दूसरे कमरे  में बच्चे पढ़ते हैं आप तो खुद समझदार हैं । 

सोनम की मां ने कुछ नहीं कहा, “हां हां बहु कोई बात नहीं मैं सो जाऊंगी।” अब तो रोज का यही सिलसिला हो गया था जाड़े का मौसम था लेकिन फिर भी सोनम के भाई ने अपनी माँ को बाहर बरामदे में सुला दिया था और उनके पास ओढ़ने  के लिए कंबल भी सिर्फ पतला वाला दे दिया था ।  

सोनम एक दिन अपने माँ से मिलने के लिए अपने भाई के यहां गई।  वहां सब से मिली और कुछ देर अपने माँ के साथ घर के बगल में ही पार्क है वहां साथ घूमने के लिए चली गई।  सोनम ने अपनी माँ से पूछा माँ सोती कहां हो तुम्हारा चारपाई तो कहीं दिखाई नहीं देता है।

सोनम की माँ को अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था उसने अपनी बेटी से सारी बात बता दी कि वह बरामदे में सोती है और कितनी ठंड है फिर भी उसको एक पतला सा कंबल दे दिया है।   पूरी रात ठंड से कांपती रहती है। अपनी माँ के बारे में ऐसा सुन सोनम को बहुत ज्यादा ही गुस्सा अपने बड़े भाई पर आ रहा था वह तुरंत अपने बड़े भाई से जाकर बोली  भाई कुछ तो शर्म करो आप।

मैंने सुना कि माँ को आप लोग घर के बाहर बरामदे में सुला देते हो। क्या माँ के लिए इस घर में इतनी सी भी जगह नहीं है कि वह घर के अंदर सो सके।  गर्मी की बात होती तो बात अलग थी, जाड़े  की रात में कोई कैसे सो सकता है बाहर । तभी सोनम की भाभी ने कहा, “देखो सोनम तुमको  इतना ही ज्यादा माँ से प्यार आ रहा है तो ले जाओ अपने माँ को, पास रख लो हम अपने पास रख रहे हैं वही बहुत 

बड़ी बात है अब हम मां के लिए अलग से नया घर तो नहीं किराए पर ले सकते हैं।  तुम को तो पता ही है कि 2 कमरे हैं एक मैं और तुम्हारे भैया सोते हैं और एक में बच्चे । सोनम ने कहा भाभी अगर माँ बच्चों के साथ सो जाएगी तो कोई पहाड़ नहीं टूट जाएगा वैसे भी रात को पढ़ाई तो करते नहीं हैं ।  



सोनम के बड़े भाई चुपचाप सुनते रहे उन्होंने कुछ नहीं कहा।  सोनम की भाभी ने कहा, “अगर तुम्हें ज्यादा तकलीफ है तो छोटे भाई को बोल दो वह अपने पास रखे या तुम अपने साथ ले जाओ। सोनम ने तुरंत अपने छोटे भाई को फोन लगाया और माँ के बारे में बताया और उसे अपने साथ रखने के लिए कहा उसके छोटे भाई ने कहा देखो सोनम  तुम इस पचड़े में नहीं पड़ो तो अच्छा है। 

ये हमारी जिम्मेदारी है । बड़े भैया जब 6 महीना रख लेंगे तो मैं अपने पास बुला लूँगा। टेंशन लेने वाली कोई बात नहीं है जितना प्यार तुम माँ से करती हो उतना ही प्यार हम करते हैं।  आखिर हमारी भी वह माँ है। सोनम ने छोटे भाई से कहां देख लिया भैया कितना प्यार करते हो माँ से ।  सोनम भी बेचारी क्या करती ससुराल में अपने साथ ले नहीं जा सकती थी क्योंकि वह अकेले नहीं  रहती ।

पति बच्चे सास-ससुर और ननद सब थे। सोनम के माँ ने  तो सोनम से कहा, बेटी तुम  मुझे अपने पुराने घर में ही पहुंचा दो आखिर वहां ताला ही बंद रहता है।  सोनम ने कहा नहीं माँ तुम अकेले वहां कैसे रहोगी।  तुम फिक्र न करो मैं कुछ ना कुछ जुगाड़ करती हूं।  पूनम अपने ससुराल आ गई थी रात में वह अपने पति समीर के साथ सोई हुई थी तो अपने पति से अपनी माँ की हालत के बारे में बात की । 

सोनम के पति  समीर ने उल्टा सोनम को ही समझाया कि तुम अपने मायके में कुछ ज्यादा ही इंटरेस्ट ले रही हो, तुम अपने ससुराल पर ध्यान दो।  अपने बच्चों पर ध्यान दो तुम्हारे भाई आखिर वह भी उनके बच्चे हैं, उनको भी उतना ही ख्याल है अपनी माँ का जितना तुम करती हो. सोनम ने कुछ नहीं बोला और चुप हो गई वह समझ गई थी कोई भी उसका साथ देने वाला नहीं है । 

बार-बार उसके मन में यह ख्याल आता था,  उसने नौकरी छोड़ कर इस जीवन की सबसे बड़ी गलती की है आज उसके हाथ में दो पैसे होते तो किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं थी और उससे अपनी मां की सहायता भी कर सकती थी।  

सोनम के बड़े भाई का घर उसके ससुराल से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर था तो सोनम दो-तीन दिन पर अपने माँ से मिलने चली जाती थी और अपने यहां से अच्छा खाना बनाकर अपने माँ के लिए ले जाती थी क्योंकि उसको पता था उसकी माँ को उस घर में जो बचा खुचा खाना होता है वही खाने को मिलता है। 

सोनम के ससुराल में सोनम  के ननद को यह बात पता चल गया था कि सोनम अपने माँ के लिए यहां से खाना बना कर ले जाती है उसने अपनी माँ से कह दिया था कि भाभी यहां से खाना बनाकर अपनी माँ के लिए ले जाती हैं। फिर क्या था शाम को समीर जैसे ही ऑफिस से घर आया।  सास ने समीर के  कान में यह बात डाल दी।  बहू को यहां की चिंता कम और अपने माएके की चिंता ज्यादा  है, 

उसका सारा ध्यान तो वही लगा रहता है हमें तो कुछ भी बना कर खाना खिला देती है और अपने माँ के लिए अच्छे-अच्छे पकवान  बना कर ले जाती है

समीर उस दिन  वैसे भी टेंशन में था ऑफिस में कुछ कहासुनी हो गई थी और घर आया तो ये  बात सुना तो अपनी पत्नी से कहा तुम अपने मायके के हर मामले में टांग मत अड़ाओ और यह हमारा घर कोई धर्मशाला नहीं है जहां जिसको मर्जी ले जाकर खाना खिलाती हो। कोई लंगर नहीं चल रहा है । सोनम ने जब अपने पति से कहा क्या हो गया समीर अगर मैंने माँ के लिए कुछ बना कर खिला दिया तो इतना कहने की देर थी उसके पति ने सोनम को एक थप्पड़ जड़ दिया और चुप करा दिया । 

पूनम कई दिनों से नौकरी करने के लिए सोच रही थी लेकिन वह फैसला नहीं कर पा रही थी कि नौकरी करें या नहीं करें लेकिन उस दिन की घटना के बाद उसने फैसला कर लिया था वह नौकरी जरूर करेगी। क्योकि आज सोनम के आत्मस्वाभिमान को ठेस पहुचा था।  



 फिर क्या था रात को खाना बनाकर उसने  लैपटॉप खोला और कई सारे ऑनलाइन जॉब पोर्टल पर नौकरी के लिए रिज्यूम अपडेट कर दिया।  दो-तीन दिन के अंदर मेल पर बुलावा भी आ गया और इंटरव्यू के लिए जाना शुरू कर दी। लेकिन कहीं से भी उसे पॉजिटिव रिजल्ट नहीं मिल पा रहा था। इंटरव्यू तो दे कर आती थी लेकिन सिलेक्शन नहीं हो पाता था । 

एक दिन जैसे ही इंटरव्यू देकर कर घर आई।  समीर उस दिन पहले ही आ चुका था उसने सोनम को देखते ही ताने मारे, “देखो मैडम आ गई, इंटरव्यू देकर , इनके बॉस ने  अच्छी तरह से इंटरव्यू लिया होगा अब यह मैडम बुढ़ापे में नौकरी करेगी। लेकिन सोनम ने अपने पति के इस बात का कोई जवाब नहीं दिया उसने अपना इंटरव्यू देना जारी रखा आखिर में एक स्कूल में उसे हिंदी पढ़ाने का 

ऑफर मिल गया।  सेलरी  ज्यादा तो नहीं थी  लेकिन उसने वह ऑफर स्वीकार कर लिया।  अब अगले दिन से वह स्कूल में पढ़ाने जाने लगी वैसे तो उसका मनपसंद विषय गणित था लेकिन उसने पैसे के कारण हिंदी पढ़ाना भी स्वीकार कर लिया था । 

कैसे भी करके 10-15 दिन तो वह पढ़ाने गई लेकिन  एक दिन समीर शराब पीकर आया हुआ था और उसने सोनम से कहा अगर तुम्हें इस  घर में रहना है तो जॉब नहीं करना है क्योंकि लोग मजाक उड़ा रहे हैं समीर की बीवी ₹4000 की जॉब करती है और मुझे यह कतई पसंद नहीं है तुम जॉब करो।  अगर तुम जॉब करना चाहती हो तो तुम्हें इस घर में से जाना होगा। 

अब सोनम किसी की बात में नहीं आने वाली थी एक बार उसने अपने जीवन में गलती कर दी थी दुबारा गलती नहीं करने वाली थी।  जॉब  को छोड़ना नहीं चाहती उसने बोला ठीक है समीर, मैं बाहर कमरा लेकर रहूँगी । अगले दिन 1000 रुपये किराए पर एक कमरा ले लिया और वह अपनी माँ को भी अपने साथ रखने लगी। 

 सोनम ने अपने बच्चों को कह दिया था कि वह अपने पापा के साथ ही रहे क्योंकि उसकी कमाई अभी उतनी नहीं है कि वह अपने बच्चों के पढ़ाई का खर्चा निकाल सकती है। बच्चे एक महीना तो अपने मां के बिना यहां रह गए लेकिन अगले महीने वह अपनी मां के पास ही आ गए और बोले हम आपके साथ ही रहेंगे हमें नहीं जाना है प्राइवेट स्कूल में हम जैसे भी आपके साथ ही रहेंगे । 

सोनम के पास दो विकल्प थे या तो अपने बच्चों के शिक्षा के लिए  अपने ससुराल वाले घर में वापस लौट जाए या तो अपने साथ रखें.  लेकिन इस बार सोनम को अपने स्वाभिमान से समझौता करना पसंद नहीं था उसने अपने बच्चों को अपने यहां ही रख लिया और सरकारी स्कूल में उसके  कुछ दिनों बाद नामांकन करवा दिया । 

 समीर अब घर मे  आता तो पहले तो बच्चों के साथ टाइम पास कर लेता था लेकिन अब उसे यह घर  सुना-सुना लगने लगा।  यहां तक की सोनम के सास-ससुर को भी बच्चों के बिना घर सुना लगने लगा था।  सोनम को बिल्कुल भी अफसोस नहीं होता था अपने फैसले पर.  धीरे-धीरे 1 साल से भी ज्यादा बीत गया।  सोनम अगले साल अपने स्कूल की प्रिंसिपल बन गई थी क्योंकि 

जो पहले से प्रिंसिपल थी वह रिटायर हो चुकी थी और स्कूल के मैनेजमेंट ने  उसे स्कूल का प्रिंसिपल बनाने का मन बना लिया था। पूनम की तनख्वाह भी अब पहले से बढ़ गई थी अब वह एक फ्लैट में रहने लगे थी।  संडे का दिन था घर के आगे अचानक से गाड़ी की आवाज आई।  सोनम ने बाहर देखा तो सोनम के पति समीर, सास-ससुर और ननद उसके घर में चले आ रहे हैं, उसने दरवाजा खोला और सब 

को अंदर बुलाया। घर आते ही सब ने सोनम से माफी मांगी और सब ने सोनम को अपने ससुराल वापस आने के लिए कहा और बोला बेटी तुम्हारे बिना वह घर सुना-सुना लग रहा है। बच्चों के बिना तो बिल्कुल ही और सुना सुना लग रहा है।  हमें परिवार का मतलब पता चल गया है। हम तुम्हें अपने साथ वापस ले जाना चाहते हैं सभी ने फिर से सोनम से माफी मांगी। 

सोनम ने साफ इंकार कर दिया वह  वापस नहीं जा सकती हूं क्योंकि मैं माँ को अब अकेले नहीं छोड़ सकती हूँ  .  तभी सोनम के ससुर जी ने कहा हम समधन जी को अकेले कहाँ छोड़ रहे हैं।  समधन जी अब हमारे साथ ही चलेंगी और हमारे साथ ही हमारे घर पर रहेंगी। सोनम के सास ने भी कहा, हाँ तुम्हारे ससुर जी सही कह रहे हैं आज से समधन जी हमारी बहन हुई और एक बहन क्या एक बहन को 

अपने साथ नहीं रख सकती है। अगले दिन ही वह घर खाली करके सोनम  अपने ससुराल अपनी माँ के साथ वापस लौट आई थी। दोस्तों वैसे तो यह काल्पनिक कहानी है लेकिन हम इसे सच्चाई के धरातल पर भी लागू कर सकते हैं अब समय बदल रहा है.  अगर बेटे अपने माँ-बाप का सेवा ना करें तो बेटियां भी अपने माँ-बाप की सेवा करने के लिए आगे आ सकती हैं।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!