झूठ और धोखे की बुनियाद पर रिश्ते कैसे संभव – अमिता कुचया

मुझे आज भी लगता है  लोग अपनी बेटी को इतना भार क्यों मानते हैं। यदि कोई बेटी बीमार हैं तो उसका पूरी तरह इलाज कराना चाहिए न कि उसकी बिना बताए शादी करके उससे पीछा छुड़ाने की कोशिश करना  चाहिए। पर कितने पढ़ लिख जाओ पर सोच नहीं बदली तो क्या?

इस लिए कहा गया है कि झूठ के पैर लंबे नहीं होते । सच एक न एक दिन सामने आ ही जाता है

इतने समय  के बाद  आज मुझे अपने भाई की शादी की एक -एक बात याद आ रही है। मेरे परिवार ने कितने सपने संजोए  थे। पर कहते हैं कि समय -समय की बात है।

कभी कभी ऐसा भी कहा जाता हैं कि किस्मत में लिखे को कौन बदल सकता है।

आज भी जब  सोचती हूं। कि कैसे कोई इंसान झूठ और फरेब से किसी रिश्ते की बुनियाद रख सकता है?

आज से दस साल  पहले मेरे यहां भी ऐसा छलावा हुआ।हम लोग लड़की देखने गए।  तब ऐसा  लगा कि कितना पढ़ा लिखा परिवार है। दादा डाक्टर रिटायर हो चुके हैं। और घर में मेडिकल शॉप है। लड़की के चाचा भी डाक्टर है।

 

घर भी बढ़िया तीन मंजिला था। घर के रहन सहन देखकर कोई अनुमान नहीं लगा सकता  था। इस तरह के लोग होंगे। यदि  संस्कारी होने की बात कही जाए तो   ढोंगी कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

अब सब बातें की गई तब पता चला कि तिलोत्तमा तो कुछ बोल ही नहीं पा रही है। हम लोगों ने कभी भी ऐसी बीमारी के बारे में सुना नहीं था  ।  उसके बारे  में कुछ पता नहीं था।  हम लोगों में से कोई भी कुछ पूछता  तो उसकी चाची ही जबाव देती।

अब  जैसे तैसे भाई की शादी तय हो गई। 

हम लोगों ने इतनी बातें की । फिर भी   बीमारी के बारे में  कुछ भी पता नहीं चला।

लेने देने से लेकर विदाई तक की सब बातें तय हो गई।




इस तरह समय बीतता गया। शादी  का समय आ गया। शादी हमारे शहर से होना थी। लड़की वाले  धर्मशाला में रुके। वहीं से शादी का इंतजाम किया गया। अब बारात आई ।  जिसके बाद पता चला कि लड़की को तैयार होने में  समय लग रहा है। काफी समय  के बाद जयमाला हुई तब हम लोग ने देखा कि तिलोत्तमा का चेहरा तो सूजा हुआ है। आंखों के नीचे नीलापन सा  दिख रहा था।

बार -बार पूछने पर कहते कि नल की टोंटी मुंह में लग  गयी। कभी कहते कि तिलोत्तमा गिर गई। फिर भी हम लोगों को कोई शक नहीं हुआ। अब शादी होने के बाद  छोटी बहन को साथ ससुराल में भेज दिया गया।  वह साथ में कार  में बैठ कर घर तक  आ गई। फिर हम  लोगों ने मांडवी के पापा से बात की। हमने पूछा कि  मांडवी को क्यों छोड़ कर जा रहे हैं?

 

तब उसके पापा ने कहा -“हमारे यहां ऐसा रिवाज है। साली पहली बार दीदी की ससुराल जाती है । ताकि उसे अकेलापन न लगे। “

पर सब रिश्तेदार आश्चर्य करने  लगें। कहने लगे अरे ऐसा कहीं नहीं होता हैं।  हमने तो ये बात पहली बार सुनी है खैर••••

फिर क्या था उन्होंने हम लोगों  की उन्होंने एक न सुनी। और बस बढ़ा ली।  जैसे कि अपनी बेटी से पीछा छुड़ाना चाहते हो।  और वे लोग निकल गये।

अंततः सच तो बाहर आना ही था। मांडवी अपनी बहन को एक  टाइम की दवा देना भूल गयी।

विदा की रात उसको मिर्गी के दौरे पड़ने लगे। वह ऐसा वैसा कोई दौरा नहीं  था।  उसके पूरा शरीर हिलने लगा ,और मुंह से झाग सा  निकलने लगा। हम  लोग सब घबरा गये कि बहु को क्या हो गया।




फिर मांडवी उसकी बहन से पूछा ?

यह सब क्या है !क्यों  हो रहा है ? वह सकपका गई।उसने भी कुछ नहीं बताया। फिर डाक्टर साहब  को बुलाया गया।

तब डाक्टर ने कहा ये मिर्गी का रोगी है।

इस तरह  के हालात से बता सकता हूं। कि  इसे काफी समय पहले से मिर्गी का दौरे आते रहे होंगे।

इस तरह मांडवी ने भी सबके सामने स्वीकार किया। कि दीदी को छोटे से ही दौरे आते हैं।

इतना सुनते ही सबको  झटका लगा कि लड़की वाले किस तरह लोग हैं।

इस तरह से मेरे भाई की जिंदगी के साथ कितना बड़ा खिलवाड़ हुआ।   मेरे मां-पापा सब दुखी हो गये। और सब कहने लगे कितने अरमानों के साथ  लड़के की शादी में पैसा पानी तरह बहाया ,और ऐसी धोखाधड़ी हुई ।

 

लड़की की बीमारी छिपा कर हमसे रिश्ता करने में शर्म तक  नहीं आई। कैसी मानसिकता  वाले लोग हैं फिर  सभी की सलाह से  निष्कर्ष निकाला गया। लड़की को मायके में छोड़ा  जाए।




तीन साल तक उसके स्वस्थ होने का इंतजार किया गया। फिर  भी उसके स्वस्थ होने के कोई आसार नजर नहीं आये। फिर

हम लोगों ने भाई का तलाक कराया। इस तरह भाई की जिंदगी में दोबारा खुशियों ने दस्तक दी।

लड़की वालों ने भी अपनी गलती स्वीकार की। कि हमने अपनी लड़की की बीमारी छिपाकर बिना बताए शादी की

सखियों -कभी भी रिश्ते तय करते समय खासकर  आसपड़ोस और  रिश्तेदारों से पूरी जानकारी लेनी चाहिए।  क्योंकि  झूठ  ,धोखाधड़ी,छल कपट का कोई अंत नहीं है।

अपने परिवार के लिए बहुत सारी खुशियां बटोरना चाहते हो तो रिश्ते  में पारदर्शिता, सही जानकारी जरुर होना चाहिए।

सखियों आप सब को ये रचना कैसी लगी। अपनी प्रतिक्रिया  अवश्य दें। और  रचना अच्छी लगे तो लाइक,शेयर और फालो भी करें।

     आपकी अपनी सखी

    

      अमिता कुचया

           

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!