जन्मदिन अखबार का – -देवेंद्र कुमार

अखबार देखते ही विनय का माथा गरम हो गया। पता नहीं यह किसकी बेहूदगी थी। अखबार के पहले पन्ने पर किसी ने जगह जगह ‘जन्मदिन’ शब्द टेढ़े मेढ़े अक्षरों में लिख दिया था। उन्होंने तुरंत अखबार वाले जीतू को फोन मिलाया। उससे अखबार की नई प्रति लेकर आने को कहा। जीतू कई वर्षों से उनके घर रोज अखबार डालता आ रहा है। इससे पहले ऐसा तो कभी नहीं हुआ था।

जीतू ने माफ़ी मांगते हुए कहा कि वह तुरंत अखबार की नई कापी लेकर आ रहा है। उसने बताया कि और भी कई घरों से ऐसी शिकायत मिली है। कुछ देर बाद जीतू अखबार की नई प्रति लेकर आ गया। साथ में छह-सात साल का एक लड़का भी था। वह था उसका बेटा चमन। जीतू ने चमन के बाल पकड़ कर झिंझोड़ते हुए कहा-‘ साहबजी, यह सब इसी शैतान की करतूत है। इसकी तो मैं अच्छी तरह खबर लूँगा। आपसे मैं इतना ही कह सकता हूँ कि आगे ऐसी गलती कभी नहीं होगी।’ विनय को पता चला कि उसके चार पड़ोसियों के अख़बारों पर भी इसी तरह ‘जन्म दिन’ शब्द लिखा मिला था। जीतू ने उन चारों के घरों में भी ख़राब अखबार के बदले नई प्रतियाँ दे दीं। वे थे– रामनिवास,जयंत, विलास और दयाल।

जीतू ने उन चारों के सामने भी अपने बेटे चमन को बुरा भला कहा और उससे सख्ती से निपटने का वादा किया। इस तरह डांट फटकार से बच्चा बुरी तरह घबरा गया और जोर जोर से रोने लगा। उस समय विनय की पत्नी जया वहीँ खड़ी थीं। उन्होंने चमन को चुप कराते हुए जीतू से कहा-‘ बच्चे से बात करने का यह कौन सा तरीका है। क्या तुम रोज अपने बेटे के साथ ऐसा ही व्यवहार करते हो। ’

जया की फटकार सुन कर जीतू हडबडा गया। माफ़ी मांगने के स्वर में बोला-‘ नहीं मैडमजी, मैं और मेरी पत्नी चमन से बहुत प्यार करते हैं। असल में आज की घटना ने मुझे कुछ परेशान कर दिया, क्योंकि इस कारण मैं कई घरों में अखबार नहीं पहुँचा सका। कल उनकी भी शिकायत सुननी पड़ेगी मुझे। ’

जया ने चमन से प्यार भरे स्वर में पूछा-‘ बेटा,तुमने अख़बार पर ‘जन्मदिन’ क्यों लिखा था भला?’

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‘ आज मेरा जन्म दिन है।’-कहते हुए चमन रो पड़ा।

‘क्या सचमुच आज चमन का जन्मदिन है?’-विनय ने जीतू से पूछा।

‘जी हाँ, है तो सही।’-जीतू ने कहा।

‘तो आज के शुभ दिन पर भी उसे यों डांट फटकार रहे हो। भई आज तो चमन का दिन है,इसे गिफ्ट मिलने चाहियें। क्या बेटे का जन्मदिन तुम इसी तरह मनाया करते हो!’-जया ने व्यंग से कहा।

‘जी, मैं तो सारा दिन काम में ही लगा रहता हूँ। हम जैसों के लिए तो हर दिन एक जैसा गुजरता है। ’-जीतू बोला। ‘अखबार बांटने के लिए सुबह बहुत जल्दी घर से निकलना होता है। नींद भी पूरी नहीं होती। इसके जन्म दिन पर इसकी माँ हलवा बनाती है। फिर दोनों माँ बेटा मंदिर जाते हैं। शाम को मेरे घर लौटने पर हम इसे आइसक्रीम खिलाने ले जाते है। बस कुछ इसी तरह मनाते है चमन का जन्मदिन। ’

‘ तो फिर आज ऐसा क्या हुआ कि इतने मुंह अँधेरे तुम चमन को अपने साथ ले गए?’- विनय के पडोसी दयाल ने पूछा।

‘ रोज सुबह 4 बजे चौक पर अखबारों के ट्रक आते हैं। मैं और मेरे साथी लोग मांग के हिसाब से अख़बार लेते हैं। फिर उन्हें घर घर पहुँचाने के लिए निकल जाते हैं। रोज तो मैं अकेला ही जाता हूँ। पर दो दिन पहले मुझे चमन के नानाजी की बीमारी की खबर मिली। मेरी पत्नी तुरंत उनसे मिलने चली गई। घर में रह गए मैं और चमन। मैं इसे घर पर अकेला नहीं छोड़ सकता था, इसीलिए चमन को साथ ले गया था। वहां जब मैं हिसाब किताब में लगा था, तब न जाने कब इसने कई अखबारों पर पेन से जन्मदिन लिख डाला होगा। और मैंने बिना देखे अखबार आप लोगों के घरों में डाल दिए। बस यही गलती हो गई मुझसे।’-जीतू ने बताया।



जया ने कहा-‘ अब मैं पूरी बात समझ सकती हूँ। चमन के दिमाग में अपने जन्मदिन की बात घूम रही होगी। बस उसने कई अखबारों पर ‘जन्मदिन’ लिख डाला। किसी बच्चे के लिए अपने जन्मदिन से बड़ी बात और क्या हो सकती है भला। ’

‘ अब इस घटना को भुला कर हमें चमन का जन्मदिन मनाने के बारे में सोचना चाहिए।’—जया ने हंस कर कहा और चमन को गुदगुदा दिया। चमन जोर से हंस पड़ा।

‘ लेकिन चमन की माँ तो यहाँ है नहीं। मुझे तो हलवा बनाना आता नहीं।’-जीतू ने कहा।इस पर सब हंस दिए। जया ने कहा-‘जीतू, अखबार पर जन्मदिन शब्द लिखने के कारण इस बेचारे को तुम्हारी कड़ी फटकार सुननी पड़ी है, हम सभी चमन के दोषी हैं। क्यों न हम सब मिल कर इसका जन्मदिन मनाएं’-सभी ने जया के प्रस्ताव का समर्थन किया। तय हो गया कि शाम के समय जया के घर पर चमन का जन्मदिन मनाया जायेगा। जया ने जीतू से कह दिया कि शाम को वह चमन के साथ उनके घर पर आ जाए।

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जीतू ने संकोच भरे स्वर में कहा-‘ आप लोग क्यों तकलीफ करेंगे भला। चमन की माँ के आने के बाद हम लोग मना लेंगे इसका जन्म दिन हर बार की तरह।‘

‘जन्म दिन का फंक्शन तो उसी दिन मनाया जाता है जिस दिन बच्चे का जन्म होता है। ’-दयाल ने कहा। ‘चमन का अगला जन्म दिन तुम जैसे चाहो मना लेना। पर आज तो तुम्हारे बेटे के जन्मदिन का उत्सव हम सब मिल कर मनाएंगे।’

अब क्या कहता जीतू। वह चमन के साथ चला गया। शाम को चमन के साथ जया के घर पहुंचा तो अचरज से देखता रह गया। कमरा रंगारंग रोशनी से जगमगा रहा था। रामनिवास,जयंत,विलास,दयाल और विनय के परिवारों के अलावा और भी अनेक बच्चे वहां मौजूद थे। चमन को देखते ही सब ताली बजाने लगे। मेज पर एक सुंदर केक रखा था,जिस पर ‘चमन 7’ लिखा था। जीतू एक बड़े बॉक्स में मिठाई लाया था। संगीत की मीठी धुन गूँज रही थी। केक काटने के बाद सब बच्चे मिलकर डांस करने लगे। चमन बहुत खुश था। जीतू ने कहा-‘ मेरे बेटे का ऐसा जन्म दिन तो कभी नहीं मना।’

जया ने हंस कर कहा-‘अब चमन को अखबार पर ‘जन्मदिन’ लिख कर याद नहीं दिलाना पड़ेगा। हर वर्ष चमन का जन्मदिन हम सब इसी तरह मिल कर मनाया करेंगे।‘ कमरे में संगीत और बच्चों की खिल खिल गूँज रही थी। (समाप्त)

 

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