हाउसवाइफ होना मेरे लिए सम्मान की बात है.

हर साल 31 दिसंबर को मेरी कॉलोनी के सारे परिवार एक साथ एक पार्क में इकट्ठा होते हैं और हम सब लोग मिलकर नए साल का सेलिब्रेशन करते हैं।  इस अवसर पर हर कोई अपना हुनर दिखाता है वहां पर स्टेज परफॉर्मेंस भी होता है कोई डांस तो तो कोई सिंगिंगजिसमे जो हुनर है वह दिखाता है। वैसे तो मैं एक हाउसवाइफ हूं लेकिन मुझे लिखने और बोलने का बहुत शौक है।  मुझे भी नए साल पर कुछ बोलने के लिए निमंत्रित किया गया था लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं नए साल पर क्या बोलूं। 

 मैं यह सब बैठकर सोच ही रही थी तभी मेरे सामने वाले टेबल पर कॉलोनी की  चार-पांच औरतें बैठी हुई थी और वह आपस में बात किए जा रही थी। जो औरतें हाउसवाइफ होती हैं उनका जीवन नर्क के समान होता है सुबह से लेकर शाम तक घर के काम करते रहो और उस काम में इज्जत मिलता है ना ही पैसा हम तो बाहर जॉब करते हैं हमारी लाइफ कितनी अच्छी है ना किसी से पैसे मांगने की टेंशन और ना ही घर पर बैठकर सुबह से लेकर शाम तक काम करना। 

उनकी बातें सुनकर मैंने यही सोचा क्या भारत में जितनी भी औरतें हाउसवाइफ है उनका जीवन नर्क के समान है क्या मैं भी नरक की जैसी जिंदगी जी रही हूं।  मैं स्टेज पर बोलने के लिए अपना टॉपिक सोच ही रही थी मुझे टॉपिक मिल गया था और वह टॉपिक था “हाउसवाइफ होना मेरे लिए सम्मान की बात है” थोड़ी देर बाद ही स्टेज  से मेरा नाम अनाउंस हुआ और मुझे स्टेज पर बोलने के लिए बुलाया गया। 



 स्टेज पर जाकर मैंने पार्क में बैठे सभी लोगों का अभिवादन किया और उसके बाद मैंने अपने टॉपिक “हाउसवाइफ होना मेरे लिए सम्मान की बात है” इस पर बोलना शुरू किया। 

दोस्तों कई लोगों का ऐसा मानना है जो औरतें बाहर जॉब या कोई काम नहीं करती हैं उनका जीवन यानी कि जो हाउसवाइफ है नरक के समान है लेकिन मैं ऐसा नहीं मानती दोनों की अपनी-अपनी खासियत है और दोनों के अपने-अपने गुण भी हैं।  दोस्तों लेकिन मेरे लिए हाउसवाइफ होना सम्मान की बात है क्योंकि मेरा ऐसा मानना है कि एक हाउसवाइफ के बिना घर सिर्फ मकान कहलाता है लेकिन हाउसवाइफ अपने प्यार और संस्कार के बदौलत उसे घर बनाती है। 

 कई लोगों का ऐसा मानना होता है जो  औरतें हाउसवाइफ होती हैं उन्हें देश दुनिया के बारे में ज्यादा समझ नहीं होती है और ना ही नए नए फैशन के बारे में वह ज्यादा जानती हैं लेकिन उनको मैं बता देना चाहती हूं कि इसी समाज में हम भी  रहते हैं हम कोई दूसरी दुनिया की औरत नहीं है हमें भी सब कुछ पता होता है। 

 मेरा मानना यह है कि जो महिलाएं नौकरी पैसा करती हैं और सिर्फ पैसे ही कमा सकती हैं लेकिन हाउसवाइफ रिश्ते बनाती है और पैसे भी कमाती है वो कैसे आपको मैं थोड़ी देर बाद बताऊंगी। 

जो महिलाएं नौकरी या बाहर जॉब करती हैं उनको घर में खाना बनाने का भी समय नहीं होता है वह ज्यादातर कभी ब्रेड खाती हैं तो कभी बाहर से खाना ऑर्डर कर खाती है।  जो उनके और उनके परिवार के सेहत के लिए काफी ही नुकसानदायक होता है इससे पैसा और स्वास्थ्य दोनों बर्बाद होता है। कई बार तो घर के लोगों को कुछ अच्छा खाने को मन भी करता है  तो वह भी अपनी इच्छा अपने मन में दबा लेते हैं वह सोचते हैं बाहर जॉब करके आई है थकी हुई होगी चलो जो है वही खा लेते हैं। 



 नौकरी करके वह ज्यादा पैसा तो जरूर कमाती हैं लेकिन उनके पास अपने पति या बच्चों या परिवार को देने के लिए समय नहीं होता है पति और बच्चों से धीरे-धीरे दूरियां बनना शुरू हो जाता है।  जबकि छोटे बच्चों को ज्यादा से ज्यादा मां का प्यार मिलना जरूरी है होता है। लेकिन मजबूरी मे अपने बच्चों को आया के पास छोड़कर जाती हैं या उनके आसपास जो भी डे केयर होता है वहां पर अपने बच्चों को छोड़कर ऑफिस जाती हैं। अपने आपको सेल्फ इंडिपेंडेंट तो करती हैं लेकिन सेल्फ इंडिपेंडेंट के चक्कर में वह अपने बच्चों और परिवार से बहुत ही दूर चली जाती हैं। 

 अगर आपको कोई पैसे कमाने की मजबूरी ना हो तो मेरा मानना यही है कि आपको अपने परिवार पर समय देना चाहिए।  दोस्तों मैं एक हाऊसवाइफ होकर बहुत ज्यादा ही सम्मान महसूस करती हूं मैं इस बात के लिए बहुत ही खुश हूं कि मेरा अधिकतर समय अपने सास-ससुर पति और बच्चों के साथ बीतता है मैं उनके पसंद के खाना खिलाती हूं। 

 अगर आप पढ़ी-लिखी हैं तो आप अपने बच्चों को ट्यूशन खुद पढ़ा सकती हैं इससे आपके बच्चे अच्छे से पड़ेंगे भी और ट्यूशन का फीस भी बचा सकती हैं।  बाहर रेस्टोरेंट्स से खाना ना मंगवा कर उनके पसंद के खाना घर में ही बनाना यह भी एक हाउसवाइफ की कमाई ही है और इस खाने से घरवालों को जो संतुष्टि मिलती है शायद ही वह होटल के खाने से मिलेगा।  और सबसे बड़ी बात इस खाने से आपके सेहत को भी बिल्कुल ही नुकसान नहीं होता है। 

 दोस्तो आखिर में मैं आपसे यही कहना चाहती हूं जो नौकरी पेशा करने वाली महिलाएं हैं या जो फिर घर में हाउसवाइफ हैं सबके अपना अपना रोल हैं। दोनों अपनी जगह अच्छी हैं।  जहां तक परिवार को मैनेज करने की बात है वहां हाउसवाइफ बाजी मार ही जाएगी क्योंकि नौकरी पेशा करने वाली महिलाओं के पास इतना समय नहीं होता है कि वह अपने परिवार पर पूरी तरह से ध्यान दे पाए।  

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