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“हौसले से जिंदगी हसीन” – कविता भड़ाना

पूरे गांव के लोग आज सुबह सवेरे चौपाल पर इक्कठे हो रहे थे…बहुत ही गहमागहमी थी और उत्सुकता भी अपने चरम सीमा पर थी की आखिर ऐसी क्या बात है जो गांव के ही हरिया किसान की छोटी बहू जिसे अभी विधवा हुए मुश्किल से दो महीने ही हुए है, ने चौपाल पर पंचों के साथ गांव के सभी सम्मानित लोगों और खास अपील पर सभी महिलाओं को इक्कठा होने का विशेष आग्रह कल रात मुनादी करा के किया है… उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव में सभी जातियों के लोग हिल मिल कर और प्यार से रहते है, सभी के जीवन यापन का मुख्य आधार खेती बाड़ी और छोटे छोटे घरेलू उद्योग ही है, हालाकि शहर में भी कुछ लोग रहने चले गए है पर दिल से सुकून उन्हें भी अपने इस गांव, अपने घर आकर ही मिलता है…

 ऐसा ही एक परिवार हरिया किसान का भी है

दो बेटों बहुओं से भरा पूरा परिवार था हरिया का, पत्नी का बहुत पहले ही स्वर्गवास हो गया था तो बेटो को काम धाम पर लगाकर अच्छी लड़कियां देख विवाह कर जिम्मेवारियों से मुक्त खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा था की गम के बादल एक बार फिर से बूढ़े हरिया के जीवन में घिर आए…

दो महीने पहले खेतों में पानी लगा रहे छोटे बेटे को सांप ने डस लिया और वही उसके प्राण निकल गए… बराबर के खेत में काम से गए नंदू ने जब खेत में नीले और निस्तेज पड़े हरिया के बेटे को देखा तो उसने दौड़ कर गाववालो और हरिया के घर में खबर दी… जिसे सुनकर हरिया तो वही पछाड़ खाकर गिर गया और साल भर पहले दुल्हन बनी छोटी बहु तो मानों पत्थर की ही हो गई थी, बस रात दिन गुमसुम एक कोने में बैठी रहती… उसी छोटी बहु ने आज चौपाल पर सभी गांव वालों को इक्कठा किया है, ये सुनकर ही सभी हैरान थे की आखिर बात क्या है?…




खैर सूरज के उगने के साथ साथ पूरा गांव चौपाल पर इक्कठा हो चुका था…. आज महिलाएं भी बड़ी संख्या में उपस्थित थी, तभी श्वेत साड़ी में चेहरे पर पर्दा किए छोटी बहु वहा आई और सबको हाथ जोड़कर नमस्कार किया और एक जगह खड़ी हो गई…

पंचो ने छोटी बहु से कहा कि बहुरानी अब तुम अपनी बात कहो और हम सबको यहां इक्कठा करने का कारण भी बताओं…. चौपाल पर बिल्कुल सन्नाटा छा गया…

छोटी बहू ने पहले हरिया के पैर छुए और सुबकते हुए कहना शुरू किया….”दो महीने से पति के गम में रात दिन रोती देखकर मेरे ससुर और मेरी जेठानी ने मुझे बहुत हिम्मत दी मुझे संभाला है, और धीरे धीरे में भी अपनी किस्मत से समझोता करने को तैयार हो गई, अकेली होती तो पति के साथ ही अपनी भी जीवन लीला समाप्त कर ली होती पर में अभागन अपने पति को खुशखबरी देने के लिए इंतजार कर रही थी पर उससे पहले उनके इस संसार से जाने की ही खबर आ गई “…

सब लोग विशेषकर महिलाओं को छोटी बहु का यूं सबके सामने ये बात बोलना निर्लज्ता लगी की तभी छोटी बहु ने कहना शुरू किया..  

मैं यहा मौजूद सभी लोगो को बताना चाहती हूं कि मैं दो महीने के गर्भ से हू और दो महीने पहले ही में विधवा हुई हूं, तो कल को कोई मेरे चरित्र पर और मेरी होने वाली संतान पर उंगली ना उठाए इसीलिए आज मैने आप सब को यहां बुलाया है, दूसरी बात अभी एक हफ़्ते से मेरे जेठ जी की आंखों में और उनकी हरकतों में गरिमा का हनन होता जा रहा है, जो मुझे कतई मंजूर नहीं… जेठानी ने अपने पति की तरफ देखा तो उसकी शर्म से झुकी नीची आंखों ने इल्जाम की सत्यता का प्रमाण खुद ही दे दिया था… सारा गांव गुस्से और नफरत से देख ही रहा था कि तभी बूढ़े हरिया ने एक जोरदार तमाचा अपने बड़े बेटे के मुंह पर मारा और गुस्से से हाफने लगा….




बेटी मुझे माफ करना अपने ही घर में तू सुरक्षित नहीं थी और मुझे पता भी ना चला हो सके तो मुझे माफ करना ये कहकर हरिया रोने लगा…

पंचों ने छोटी बहु से कहा की बहुरानी तुमने जो दुख झेला वो कम तो नहीं हो सकता पर अब तुम हम सबसे क्या चाहती हो वो बताओ…तुम जो फैसला लोगी हमें मंजूर होगा…. चौपाल पर उपस्थित सभी लोगों ने भी अपनी सहमती दे दी … छोटी बहु बोली मैं अपने पिता समान ससुर जी के साथ अलग रहुंगी ताकि रिश्तों की गरिमा बनी रहे और अपनी जेठानी के गले लग रोने लगी, जेठानी ने भी मूक समर्थन दे दिया और अपनी हिम्मती देवरानी की पीठ थपथपाई… छोटी बहु बोली, और आज से बल्कि अभी से में आपकी बहु नहीं बल्कि बेटी बनकर रहूंगी, आप सब मेरे माता पिता, भाई बहनों की तरह होंगे ताकि अब कोई नजर उठे तो उनमें मेरे लिए सम्मान और इज्ज़त हो, ना की वासना और गंदगी…. 

और नम आंखों से हाथ जोड़कर सब से बोली… बताइए क्या आप सब मेरा साथ दोगे और सुबकने लगी…

तब सभी पंचों, बड़े बूढ़े, महिलाओं ने एकसाथ कहा “हम तेरे साथ है बेटी, अब से तू इस गांव की बेटी है, तेरा और तेरी होने वाली संतान का हम सब मिलकर ध्यान रखेंगे और तुझ से वादा करते है की आज के बाद तेरे ऊपर कोई भी उंगली ना तो उठाएगा और ना ही तुझे अपमानित करने की हिम्मत कर पायेगा…

ऐसा न्याय पाकर छोटी बहु खुशी से रो पड़ी 

समय आने पर उसने सुंदर पुत्र को जन्म दिया जो पूरे गांव का राज दुलारा है.. छोटी बहु अब सबकी लाडली बिटिया है




जिसने सही समय पर सही कदम लेकर ना केवल अपनी अस्मत बचाई बल्कि सभी को रिश्तों की मीठी डोर से भी बांध लिया।….

आप सभी की प्रतिक्रियाओं के इंतजार में

स्वरचित , काल्पनिक 

#पांचवां जन्मोत्सव

तीसरी रचना

कविता भड़ाना

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