क्या गजब चल रही थी पार्टी, शानदार आयोजन । शराब और शबाब का समायोजन, बहुत खूबसूरत ।पूरे शहर के चुनिंदा खास बिजनेस मैन अपनी पत्नियों के साथ मौजूद थे।
नीलम खूब सुन्दर लग रही थी , खूब महँगी शिफान की साडी
खूब गहरा मेकअप, डायमंड की खूबसूरत ज्वैलरी, होठों पर मुस्कान चिपकाये , आखिर पति की स्पेशल
पार्टी थी। सुबह ही कह दिया था उन्होंने , ‘ खबरदार जो पार्टी में रोनी सूरत बना कर मेरी पार्टी खराब की ।कल ही निकाल कर बाहर फेंक दूँगा ।’
उसके लिये यह कोई नई
बात नहीं थी, रोज पीना और तमाशे करना ।उन्होने दोनों बच्चों को होस्टल में डाल दिया था।देखने को भी तरस जाती थी उनको। बिना पति की इजाजत के जा सकती धी क्या कहीं ? घर पर आये दिन की पार्टी और हंगामें । कितने लोकप्रिय थे वे दोस्तों के बीच , अपने बिजनेस पार्टनर के बीच कितनी तारीफ थी उनकी।क्लबों में,होटलों में जहाँ जाते बिछ जाते लोग ,दोनो हाथों से पैसा जो लुटाते
थे।यहाँ तक कि बँगले के कर्मचारी भी साहब की दरियादिली के मुरीद थे।
बंद दरवाजे के पीछे के जुल्म,नीलम के साथ होने वाली सख्ती, उसकी इच्छाओं का दमन,
तन मन पर कितने जख्मो के दंश थे , कौन जानता था?
किससे कहे?अपने पैरों पर खड़ी हो सके इस योग्य थी नहीं, भाई भाभी तो दो दिन भी सहन नहीं कर सकते थे, माता पिता थे नहीं ।जाती तो किधर?
दो बच्चों का मोह मरने भी तो नहीं देता।
तभी मिसेज़ अय्यर ने उसके पास आकर कहा ‘ क्या खूबसूरत नेकलेस है ?आप कितनी लकी हो , कितने चार्मिग कितने लविंग
है मि.मेहरा ।’उसने अपनी मुस्कुराहट को और खींचते हुए कहा,’ या , थैक्स ।”
डाँस और म्यूजिक सिस्टम का कोलाहल बढता जा रहा था ।
सबके बीच उसके अन्तर्मन की असहनीय पीड़ा भी।उसके जीवन की अँधेरी रात का सवेरा होगा कभी?
सब झूम रहे थे ।तभी बारह बजे और नीलम गुब्बारे फूटने और ‘ हैप्पी न्यू ईयर’ के कोलाहल के बीच अपनी कुण्ठा छुपाये ,अन्दर बाहर के जख्मो की टीस को नजर अन्दाज़ करती अपनी मनमोहक मुस्कान चिपकाये मि. मेहरा के गले लग कहने लगी’ हैप्पी न्यू ईयर, डार्लिंग ।’
‘क्या एक टुकड़ा धूप का उसके जीवन को आलोकित करेगा कभी?
क्या सच में न्यू ईयर हैप्पी होगा कभी?
सुधा शर्मा
मौलिक स्वरचित
मुंबई
#भाग्य फूटना