दिखावा – ज्योति आहूजा

मां! मेरा कोई ऑनलाइन पार्सल आया है क्या| ” नताशा ने मां रेणु जी से पूछा|

 

“अभी तक तो नहीं आया, क्यों कुछ खास था क्या?” मां ने नताशा से पूछा|

“हां मां, मैंने ऑनलाइन ड्रेस ऑर्डर की है| मेरी सहेली का जन्मदिन आ रहा है ना| उसने पार्टी रखी है| वहां सब सहेलियां एक से बढ़कर एक ड्रेसेस पहनकर आएंगी| तो मैंने सोचा मैं क्यों पुरानी पहनूं| तो दो-तीन दिन पहले ही आर्डर कर ली|

“हां, अब तू बहुत बड़ी हो गई है ना| अब कुछ भी ऑर्डर करेगी तो मां को थोड़े ही पूछेगी| तुमने मुझे बताना भी उचित नहीं समझा| कैसी ड्रेस है? कौन सी ड्रेस है? बिना पूछे बस मन चाहा तो आर्डर कर दी| और अभी थोड़े दिन पहले ही तो तूने दो-तीन सामान ऑर्डर किया था| ऑनलाइन शॉपिंग ज्यादा अच्छी नहीं है बेटा| कितनी शॉपिंग करने लगी है तू| मां रेणु ने फिर बेटी से कहा|

“ओहो मां! आजकल आपको मेरी शॉपिंग से इतनी दिक्कत क्यों होने लग गई है? मेरी सारी सहेलियां  कितनी शॉपिंग करती है| पता भी है आपको|

“बेटा! वह करती होंगी| हमारी इतनी हैसियत नहीं है कि हम यह ऑनलाइन शॉपिंग पर इतना पैसा बर्बाद करें| अभी थोड़े दिन पहले ही तूने जो इतनी अच्छी-अच्छी ड्रेसेस मंगवाई है वह कब काम आएगी ?वह क्या अलमारी की शोभा बढ़ाने के लिए खरीदी है| उन्हें पहन लेती पार्टी के लिए| मां ने  बेटी को समझाते हुए कहा|

 

तो तुरंत नताशा ने मां को कहा| “मा मैं एक बार वे सब  पहन चुकी हूं| दोबारा मेरा मन नहीं है उन्हें पहनने का| इसलिए मैंने आपसे बिना पूछे नई ऑर्डर कर दी| मुझे मालूम था यदि मैं आपसे पूछूंगी तो आप कभी हां नहीं कहेगी|

“खैर इस बात को जाने दीजिए| लाइए ढाई हजार रुपए| जब पार्सल आएगा तो पार्सल वाले भैया को देने होंगे| नताशा ने फिर मां से कहा|



“ढाई हजार!कुछ तो सोच समझकर शॉपिंग किया कर| तेरे पापा अकेले कमाऊ है इस घर में| अभी तेरी कॉलेज की पढ़ाई का भी पूरा खर्चा होता है| आए दिन तेरे कॉलेज में कुछ ना कुछ फंक्शन होता रहता है| उसके भी पैसे देने होते हैं| मिट्ठू की स्कूल की फीस भी देनी होती है| मां ने थोड़ा कड़क स्वर में बेटी नताशा से कहा|

“ओहो मां| आपको तो लेक्चर देने की आदत पड़ गई है| रुपए नहीं देने तो कोई बात नहीं| मैं अपनी पॉकेट मनी में से दे दूंगी| गुस्से से चिल्लाती हुई  नताशा ने मां से कहा| और पैर पटकती हुई उस कमरे से चली गई|

“थोड़े दिन के बाद ऐसे ही नताशा अपना मोबाइल देख रही थी तो ऑनलाइन सेल का विज्ञापन देखकर उसकी तो जैसे आंखों में चमक आ गई| बहुत ही सुंदर सुंदर जूतों,चप्पलों और न जाने कितने लेडीस सामानों पर सेल लगी हुई थी|

सेल देख कर नताशा का जैसे दिमाग ही खराब हो गया| उसे तो किसी भी तरह से हर तरह का सामान अपने लिए चाहिए ही चाहिए था| और उसे पता था कि उसे अपने मम्मी पापा से सामान खरीदने के लिए रुपए नहीं मिलने वाले| तो उसने अपनी सहेलियों से रुपए उधार मांगना चाहा|

 



“कॉलेज में उसने अपनी सारी सहेलियों से उधार लेकर न जाने कितना सामानऑनलाइन खरीद डाला| मां और पिताजी के लाख समझाने पर भी उसकी यह ऑनलाइन शॉपिंग की आदत बदल नहीं पाई| आदत क्या उसे तो जैसे ऑनलाइन शॉपिंग का नशा ही हो गया था| पैसे उधार ले लेकर उसके ऊपर एक से डेढ़ लाख रुपए का कर्जा चढ़ चुका था| यह बात जब उसके पिताजी को पता चली तो एक मध्यम वर्गीय पिता के दिल पर क्या बीती यह एक पिता ही जान सकता है| इतना रुपया एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए इकट्ठा करना कोई आसान खेल नहीं था|

“अपने पिताजी की इस तरह की हालत देख नताशा को अपनी गलती का एहसास होने लगा था| पिताजी ने उसे समझाते हुए कहा| “नताशा| बेटा यह ऑनलाइन शॉपिंग का नशा कोई अच्छी चीज नहीं है| देखा आज तुम्हारी इस गलत आदत की वजह से हमारे सिर पर कितना कर्जा चढ़ चुका है| मुझे कितनी मेहनत मजदूरी कर  तुम्हारी सब सहेलियों के मां-बाप को यह रुपए चुकता करने होंगे|

“आखिर वे कब तक इंतजार करेंगे| अपना पैसा तो वे वापिस जल्द से जल्द मांगेंगे ही ना| समय से पैसा नहीं चुकाएंगे तो तुम्हारे पापा की कितनी बड़ी बेइज्जती होगी|

तभी नताशा ने रोते हुए कहा| “नहीं पापा !मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई| शॉपिंग पर खर्चा मैंने किया| मैंने अपनी इस लत की वजह से इसका क्या अंजाम होने वाला है इसके बारे में जरा सा भी नहीं सोचा| सिर्फ़ अपने बारे में सोचती रही। मेरे पास ये हो, वो हो,सब कुछ हो। स्वार्थ और लालच कूट कूट कर  मानों सा गया था मुझ में। लेकिन मेरी इस  गलत आदत की वजह से इसका नुकसान हम सब को भुगतना पड़ रहा है| मैं आपका सिर शर्म से झुकने नहीं दे सकती| मैं आगे से इस बात का ध्यान रखूंगी कि जितनी चादर उतने ही पैर पसारने चाहिए| मैं आज के जमाने की अंधी दौड़ में शामिल हो गई थी| मुझे अपनी भूल का एहसास हो गया है| मैं अपनी इस आदत से छुटकारा अवश्य पा लूंगी|  और कोशिश करूंगी कि  आपका सहयोग कर पाँऊ। कोई ट्यूशन या पार्ट टाईम नौकरी करूंगी। आप एक बार माफ कर दीजिए|

बेटी के माफी मांगते ही पापा और मम्मी ने बेटी को गले लगा लिया|

दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी| पढ़कर बताइएगा जरूर| आपकी प्रतिक्रिया के इंतजार में|

आपकी दोस्त

#स्वार्थ 

ज्योति आहूजा|

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