चाहत – मेरा भी सम्मान हो – अमिता कुचया

 

मीनल  और रीतिका अच्छी सहेली है।मीनल गरीब परिवार से हैं। जबकि रीतिका अच्छे भरे पूरे परिवार से हैं उसके यहां कोई कमी नहीं है पर उसकी मां का स्वभाव बिल्कुल ही अच्छा नहीं है वेअपने पैसे के घमंड के कारण कभी कोई  गरीब की बेइज्जती करने से नहीं चूकती।

जबकि मीनल एक मध्यम वर्गीय परिवार से हैं उसके घर में उसके दो छोटे भाई बहन हैं, उसके पिता जी दो साल पहले ही गुजर गए।तो वह घर का गुजारा मेहंदी और आर्ट वर्क करके ही करती है।

उसने मेहंदी सीखकर  मेहंदी लगाने का काम चालू किया है। उसकी मेहंदी  में अच्छी प्रैक्टिस हो गई। वह सीखने वाली लड़कियों को ही अपने साथ आर्डर पर मेंहदी लगाने के लिए ले जाने लगी।इस तरह राखी हो ,तीज हो या शादी की मेंहदी, उसे जहां भी बुलाया जाता। वह चली जाती ।

एक दिन मीनल को पता चलता है कि उसकी सहेली  रीतिका की शादी होने वाली है रीतिका उसे ही बुक कर लेती है।

एक दिन रीतिका ने  मां से करने बुलाया।तब रीतिका की मां ने कहा- मीनल हमारे यहां ग्यारह लोगों को मेहंदी लिखनी हैं ,मेरी बेटी की भी ,लिखनी हैं।अलग-अलग  बताओ! कितना चार्ज होगा।तब मीनल ने पांच हजार रुपए उनकी बेटी का बताया।बाकी का एक एक हजार बताया।इस तरह उसके साथ वाली लड़कियां भी वह लाई, और उन्होंने कहा कि जो एक्स्ट्रा लोगों को मेहंदी लिखोगी तो उसका अलग से मिलेगा।

इस तरह रीतिका ने और साथ वाली लड़कियों ने दोपहर दो बजे से रात  नौ बजे तक मेहंदी लिखी। उसने मेहंदी का शगुन मांगा तब उसकी मां बड़ी ही मुश्किल से एक हजार रुपए का शगुन दिया और कहा बाकी के बचे रुपए बाद में देंगी।अब मेहंदी के बाद हल्दी की रस्म होनी थी। तब वहां मीनल पहुंच गई कि मेरे यहां मेंहदी लिखने वाली लड़कियां आई उनकी पेमेंट करनी है ,आंटी मुझे पैसे दे दीजिए ताकि मैं उन्हें मैं दे दूं।

तब रीतिका की मां ने कहा -हल्दी रस्म हो रही है।अभी हम लोग व्यस्त है  ऐसा करो तुम शाम को आना।बेचारी  मीनल ने सोचा•• चलो बाद में आंटी जी दे देंगी।



फिर वह निराश होकर खाली हाथ ही लौट आई••••

उसने अपने साथ वाली लड़कियों को समझाया  कहा कि जैसे ही आंटी  जी पैसे दे देंगी। तो मैं फोन करुंगी।

अगले दिन सुबह- सुबह जब मीनल ने रीतिका से फोन पर बात की है तो उसकी मां ने कहा- हां ठीक है, हिसाब कर दूंगी।

मंडप अच्छा सजा हुआ था•••शादी वाले शामियाने में मेहमानों का आना जाना चल रहा था। रीतिका की मां फोन पर बात कर रही थी।तभी मीनल का चेहरा देखते ही वह तमतमा गई। कहने लगी-” तुम जैसी लड़कियां कैसे मुंह उठाए चली आती हो, तुम्हारे पैसे लेकर कहीं भागे नहीं जा रहे हैं।”

इतना सुनते ही मीनल ने कहा-” इतनी ही गैरत है तो अभी पूरे पैसे दे दीजिए।आप तो शुक्र मनाओ मैंने एडवांस  पैसे नहीं लिए। और कोई पार्लर वाली होती तो पहले ही पूरा एडवांस ले लेती।”

इतने मैं रीतिका भी आ जाती है और  तब वह इस तरह उनकी बात सुनकर हक्का बक्का रह जाती है ।और मां से कहने लगती मां•••  मीनल मेरी सहेली है ,इसलिए बिना एडवांस लिए मेरी मेहंदी लिखी और आप इसे  नहीं दे सकती तो बताइए मैं देती हूं ••••

फिर क्या था उसकी मां को उसकी बेइज्जती होते हुए देखी तो तिलमिला गई। वो सीधे मीनल के पास गयी और उसके हाथ में मेहंदी का बाक्स था। वह खींचकर फेंक दिया।

ये नजारा सब मेहमान देखने लगे।



अब उसका इस तरह व्यवहार देखकर सब  रिश्तेदार कहने लगे- “अरे बहन जी ये क्या कर रही है बेचारी ने इतनी सुन्दर मेहंदी लिखी है और घंटों की मेहनत की है इसे इसका पैसा देकर सम्मान कीजिए। जब हम शादी ब्याह के लिए सबका एडवांस देते हैं ,इसका भी देना चाहिए था।अब तो दे दो।”

फिर मीनल ने हाथ जोड़कर विनती करते हुए कहा -हम लोग भी मेहनत करते हैं, तब पैसे लेते हैं ,हम गरीब लोग का भी मान सम्मान होता है, मैं मेहनत कर रही हूं।तभी ले रही हूं।

फिर इसके बाद उसकी मां शर्मिंदा होते हुए उसके पैसे देने लगी।

इतने में उसकी सहेली रीतिका ने उसको इतनी अच्छी मेहंदी लगाने पर थैंक्यू कहा ।साथ ही अपनी मां ऐसे बर्ताव लिए सॉरी कहा। मेरी ही गलती है मैंने तुझे एडवांस नहीं दिया। और तुझे इतना बेइज्जती सहनी पड़ी। मुझे माफ़ कर दे।अब तू निश्चय कर ले। बिना एडवांस लिए कोई आर्डर पूरा नहीं करेगी। नहीं तो ऐसे ही तुझे परेशानी होती रहेगी।

आज मीनल को भी एहसास हो गया कि काम अपनी जगह है , दोस्ताना अपनी जगह है,कितने ही अपने क्यों न हों।वह बिना पैसे लिए मेहंदी नहीं लिखेगी। क्योंकि  अपनी ही मेहनत के पैसे लेने के लिए गिड़गिड़ाने से अच्छा है कि अपने काम का सम्मान करते हुए पहले ही एडवांस ले लिया जाए।

उसने सबको कहा हम लोग की भी चाहत रहती है कि हमारी कला को सम्मानित किया जाए। इसलिए मेरा भी सम्मान हो,अब हम लोग अपमानित होकर कभी कोई आर्डर नहीं लेंगे।

इस तरह मीनल अपने पैसे लेकर चली गई। और रीतिका की मां को अपनी ग़लती का एहसास हुआ।

दोस्तों – दूसरे चाहे जैसे भी पैसे कमाए उन्हें सम्मान देना चाहिए। चाहे किसी भी स्तर का काम ही क्यों न हो। चाहे गरीब हो या अमीर

हमें हर किसी के काम की कद्र करनी चाहिए। मेहंदी लिखना छोटा काम नहीं है बल्कि ये ऐसा आर्ट हर किसी के बस की बात नहीं होती घंटों इस तरह मेंहदी लिखे। कामचलाउ मेंहदी तो सब लिखते हैं पर दुल्हन की मेंहदी तो खास होती है। इसलिए मेहंदी लिखने वाले की कभी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

दोस्तों- ये रचना कैसी लगी?कृपया अपने विचार व्यक्त करें।और भी मेरी रचनाओं को पढ़ने के लिए मुझे फालो करें।

धन्यवाद 🙏❤️

आपकी अपनी दोस्त ✍️

अमिता कुचया

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!