चाहत है ख़ुशियों वाला घर मिले नौकरों वाला नहीं…. – रश्मि प्रकाश 

 “वह हमारे सपनों का घर था.. और आज उस घर को यूँ तोड़ फोड़ कर के नया रंग रूप देना ज़रूरी था क्या… अरे बच्चे कितने दिन हीहमारे पास में रहेंगे…..आपको नहीं लगता ये निर्णय हम बहुत जल्दी में कर रहे … ।”अपने पति से कहती कल्याणी जी अपने सपनों केघर को निहार रही थी 

“ मुझे भी पता है कल्याणी बहुत जतन से हमने अपना सपनों का घर बनाया था… बच्चे भी इसी घर में बड़े हुए पर आज बच्चों के भविष्यके लिए हमें दिल पर पत्थर रख कर ये फ़ैसला लेना ही पड़ेगा… तुम बस मेरा साथ दो.. भगवान ने चाहा तो  हमारे सपनों के घर को नएरंग में देख कर ख़ुशी होगी।” महेश जी ने पत्नी के कंधे पर सांत्वना के हाथ रखते हुए कहा 

वे सब अपने घर को छोड़कर दूसरी जगह किराए के घर पर रहने चले गए । बच्चे तो बहुत ही ज़्यादा उत्साहित हो रहे थे कि अब पुराने घरकी जगह सब कुछ मॉडर्न स्टाइल का हो जाएगा ।

कल्याणी जी इस घर की रसोई में अपने काम करती जा रही थी और सोच रही थी… तिनका तिनका जोड़ कर उस घर को बनाया था… उस वक़्त के हिसाब से सब कुछ देख परख कर दोनों पति पत्नी हर दिन जाकर सामान लाते और लगवाते थे … बच्चों को क्या पसंद हैइन बातों का भी पूरा ध्यान रखा गया था पर क्या जानते थे उन्हीं बच्चों को अब वो घर पुराने जमाने का नजर आने लगेगा ।

बच्चे तो तब भी उस घर में ख़ुशी ख़ुशी रह रहे थे पर इस घर को पुराने जमाने का कहने वाले कोई और नहीं महेश जी के होने वाले समधीसमधन थे….. बेटा रौनक अपने ही कॉलेज, फिर एक ही जगह साथ साथ नौकरी करने वाली करूणा को पसंद करने लगा था… शायदकरूणा भी मन ही मन रौनक को पसंद करती होगी तभी जब रौनक ने उसके आगे इज़हार -ए-मोहब्बत किया तो वो शरमा कर हाँ मेंअपनी रज़ामंदी दे दी थी।

दोनों का साथ घुमना फिरना होने लगा था ….बात इस कदर बढ़ने लगी की अब दोनों का एक दूसरे के बिना रहना मुश्किल होने लगा था।

बहुत सोच विचार कर रौनक ने करूणा से कहा,“तुम अपने घर बात करो और तुम्हारे पैरेंट्स को बोलो मेरे घर आ कर मेरे पैरेंट्स से बातकरेंगे…. फिर मैं भी उनसे बात करूँगा …. हम दोनों की रज़ामंदी देख वो ज़रूर मान जाएँगे..।”



करूणा एक रईस परिवार से ताल्लुक़ात रखती थी पर इस बात का उसे ज़रा भी घमंड नहीं था… वो शुरू से बहुत साधारण जीवनयापनकरने वाली लड़की रही है … और रौनक मिडिल क्लास फ़ैमिली का लड़का…।

करूणा ने जब अपने घर पर बात की तो उसके पैरेंट्स बहुत नाराज़ हुए थे… करुणा ने भी कह दिया ,“पापा आप जिस तरीक़े का लड़कामेरे लिए सोचते हो मुझे नहीं लगता मैं उसके साथ कभी खुश रह पाऊँगी … आप लोग एक बार रौनक के पैरेंट्स से मिल तो लीजिए क्यापता वो आपको पसंद आ जाए।” 

करूणा के बहुत ज़िद्द पर उसके माता-पिता रौनक के घर गए… रौनक के पिता का अपना घर था वो भी एक अच्छी कॉलोनियों में शुमारकॉलोनी में से एक … घर में ज़रूरत की हर चीज मौजूद थी पर करूणा के घर के आगे उन्हें ये घर नापसंद आ रहा था…. इकलौती बेटीको महल से उठा कर इस घर में भेजना ये उसके पापा को नागवार गुजरा। वो रौनक के पैरेंट्स से बोले,“ देखिए भाई साहब मेरे औरआपके घर और रहन सहन में बहुत अंतर है… करूणा को इस घर में बहुत परेशानी होगी आप ऐसा क्यों नहीं करते इसे थोड़ा नए स्टाइलका बनवा दे… घर में अब बेटा बहू भी रहेंगे तो हो सके तो ये घर उनके हिसाब से बनवा दें…।” 

ये बात सुनकर कल्याणी जी को बहुत ग़ुस्सा आया  वो कुछ कहने ही जा रही थी कि महेश जी ने हाथ दबाकर चुप करवा दिया….. वोबोले,“ वैसे ये घर जब बनवाया था तब ये अपने समय के बेहतरीन घरों में एक था पर अब शायद आपको पुराना लग रहा होगा ।”

“ देखिए भाई साहब शादी करना है तो इस घर का हुलिया बदल दीजिए आजकल एक से एक लोग होते जो आपके घर को तोड़ कर नएजमाने के हिसाब से बना देंगे ।” करुणा के पापा ने कहा

महेश जी उस वक़्त कुछ ना बोले और करूणा के पैरेंट्स चले गए ।

रौनक ने कहा,“ क्या पापा वो ठीक ही तो कह रहे हैं क्या दिक़्क़त है नए जमाने के हिसाब से बनवाने में… कितना तो पुराना हो गया हैअच्छा है ना अब हमारा घर भी आलीशान बन जाएगा ।”

महेश जी बेटे की बात सुनकर सोचने लगे जब तक हम है इस घर में रह भी लेंगे पर आजकल के बच्चे… वो नहीं रह पाएँगे उन्हें तोसबकुछ बढ़िया चाहिए… कुछ सोचते हुए वो हामी भर दिए और बोले ,“ नया बनवाने के लिए हमें इसे तोड़ना पड़ेगा तबतक कहीं किराएपर रहना होगा मंजूर है तो बोलो..।”कल्याणी जी तो चुप रही पर रौनक और रचिता बहुत खुश नज़र आए। तय हुआ अब किराए पररहकर इस घर को नया बनवाना होगा।



आज इसलिए ही तो वो घर बिल्डर को सौंप कर आ गए थे ।

“ माँ पापा कब से खाने का इंतज़ार कर रहे हैं आप कहाँ खोई हो?” बेटी रचिता  की आवाज़ से कल्याणी जी वर्तमान में तो आ गई परचेहरे पर अपने सपनों के घर के तोड़ फोड़ की बात से आहत दिखाई दे रही थी 

 दूसरे दिन रौनक ने ये बात करूणा को बताई तो उसे कुछ अच्छा नहीं लगा.. अपने पैरेंट्स के इस व्यवहार पर उसे बेहद ग़ुस्सा आया वोरौनक से बोली,“ ये सही नहीं हो रहा रौनक … तुमने हमेशा बताया कि ये घर मम्मी पापा के सपनों का घर हैं फिर उसपर बुलडोज़रचलवाने का कैसे सोच लिए? मुझे तो तुमपे ग़ुस्सा आ रहा … बस इसलिए कि हमारी शादी हो सके पापा ने ख़ुशी ख़ुशी घर तोड़ने कीरज़ामंदी दे दी….. ये तुम कर सकते मैं नहीं… तुम अभी उस घर की चाबी लेकर आओ और मुझसे मिलो..।” ग़ुस्से में करूणा ने फोन रखदिया 

रौनक के कुछ समझ ना आया वो उस आदमी के पास जाकर चाबी ले आया और करूणा से मिलने गया ।

“ रौनक तुम मम्मी पापा को लेकर उस घर पर आओ मैं वही मिलूँगी…।”चाबी लेकर वो पुराने घर पर चली गई 

रौनक अपने पैरेंट्स को लेकर जब वहाँ पहुँचा तो करूणा हाथ में थोड़े फूल और पूजा की थाली लिए खड़ी थी ।



कल्याणी जी को देखते वो उनके पास गई और बोली,“ माँ ये आपके सपनों का घर है इसे सिर्फ़ इसलिए तोड़ना कि हम दोनों की शादीहो सके… कहाँ तक सही है… आप अपने घर में रहिए…. हमारी वजह से किराए के घर में रहने की कोई ज़रूरत नहीं है ये लीजिए चाबीऔर अपने सपनो के घर में फिर से गृह प्रवेश कीजिए ।”

कल्याणी जी करूणा के इस व्यवहार से गदगद हो रही थी कितना अंतर है पैरेंट्स और करूणा में….वो थाली लेकर अपने मंदिर की ओरगई और अपने सपनों के घर को पाकर बहुत खुश नजर आ रही थी तभी कल्याणी जी को करूणा के पैरेंट्स की आवाज़ सुनाई दी,“ येक्या किया बेटा … तेरे हिसाब से घर बन ही रहा था ना क्यों मना करवा दी….।”

“ पापा ये सपनों का घर है जिसमें रिश्ते पनपते हैं प्यार से… मैं जिस घर में रहती हूँ उसमें एक से एक चीज़ है पर वो बस घर हैं …प्यारतो है ही नहीं आप दोनों अपने काम और क्लब में व्यस्त रहते उस घर में बस नौकर चाकर रहते जो अपना काम करते हैं….  उस घर मेंख़ुशियाँ तो है नहीं नौकर चाकर ज़्यादा है…मुझे रौनक के परिवार के साथ प्यार से रहना नए घर की चाहत तो मुझे है ही नहीं… अब आपबोलिए हमें आशीर्वाद देंगे और नहीं।” करूणा ढृढ़निश्चयी लहजे में बोली

अब उसके पैरेंट्स को समझ आ रहा था कि करूणा को बचपन से अच्छे से अच्छा देने के चक्कर में वो ना तो वक़्त दे पाए ना प्यार …. वोउसे इस घर में ज़रूर मिलेगा इसलिए वो अपनी रज़ामंदी दे दिए।

कल्याणी जी करूणा के व्यवहार से प्रभावित हो ही चुकी थी ऐसी बहू पाकर वो खुद को धन्य समझ रही थी ।कुछ समय बाद करूणासपनों के घर में बहू बन कर आ गई और प्यार से सबके साथ रहने लगी अपनी बेटी की ख़ुशी देख उसके पैरेंट्स भी खुश थे क्योंकि वोजो करूणा को ना दे सके वो प्यार इस घर में उसे मिल रहा था ।

 

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

# चाहत

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