भरोसा अपनों का – सुभद्रा प्रसाद 

रात के बारह बज रहे थे | आभा अपने कमरे की खिड़की के पास चुपचाप खड़ी थी |आसमान में तारे चमक रहे थे |बाहर वातावरण एकदम शांत था, पर आभा का मन बेहद अशांत था | उसे अपना घर, अपने माँ -पापा बेहद याद आ रहे थे |उसका तन तो स्थिर था पर मन तेजी से अतीत की ओर दौड़ा जा रहा था |

         एक छोटे से शहर के छोटे से घर में अपने माँ-पापा और दो बहनों के साथ रहती थी वह |पापा  रामबाबू एक कंपनी में सुपरवाइजर थे |वेतन बहुत ज्यादा तो न था पर  समझदारी और मितव्ययिता के कारण घर सामान्य ढंग से ठीक ही चल रहा था  |बड़ी आशा और छोटी प्रभा तीन बहनों में मंझली

थी वह |घर में सुविधा के साधन भले कम थे पर प्यार और सहयोग भरपूर था  |माँ उमा देवी एक सरल और धार्मिक महिला थी |माँ-पापा ने तीनों बहनों का पालन-पोषण और शिक्षा में कोई कमी न की |शिक्षा के साथ-साथ उन्हें अच्छे विचार, व्यवहार और संस्कार भी सिखाया |

बड़ी आशा स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करअपने शहर में ही बी.एड कर रही थी और छोटी प्रभा स्नातक में थी |आभा स्नातक की पढ़ाई पूरी कर एमबीए करना चाहती थी |इसके लिए वह प्रयासरत रही  | एक अच्छे कालेज में उसका एडमिशन भी हो गया और वह अपने शहर से दूर दिल्ली आ 

गई |पढ़ाई के लिए बैंक से लोन लिया गया पर अन्य जरूरतों के लिए माँ ने अपने जेवर बेचे |अपने जेवर बिकने से ज्यादा माँ को इस बात की चिंता थी कि बेटी उतने बडे शहर में अकेले कैसे रहेगी  ? तब माँ को समझाते हुए पापा के कहे हुए शब्द उसे आज भी अच्छी तरह याद है |

           “मेरी बेटी अकेले कहाँ जा रही है? हमारे दिए विचार, व्यवहार और संस्कार उसके साथ है |जो हर परिस्थिति में उसका  मार्गदर्शन करेंगे | फिर प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा -” हमें तुम पर पूरा भरोसा है|

किसी बात की चिंता मत करना और मन लगाकर पढाई करना |” वो दिन और आज का दिन, आभा इस बात को कभी न भूली |वह मन लगाकर पढाई करती रही और अच्छे नंबर भी लाती रही |पढाई पूरी होते ही उसे उसी 

शहर में नौकरी भी मिल गई |

             सबकुछ तो ठीक ही हो रहा था पर फिर भी एक बात से आभा का



मन आज बेहद अशांत था और वह बात थी प्रकाश का विवाह का प्रस्ताव |प्रकाश उसके साथ ही कालेज में एडमिशन लिया था |साथ पढाई करते करते पहले जान पहचान हुई, दोस्ती हुई और फिर प्यार हो गया |दोनों ने अपनी पढाई पूरी की और दोनों की नौकरी भी लग गई |अब प्रकाश जल्द से जल्द शादी करना चाहता था |

आभा अभी शादी नहीं करना चाहती थी |प्रकाश बार-बार आभा पर शादी करने के लिए जोर दे रहा था और कल आभा को अपना फैसला सुनाने के लिए बुलाया  था |आभा समझ नहीं पा रही थी कि वह अपनी बात किस तरह प्रकाश को समझाये |

          “जो हो, मिलने तो मैं कल 

जाऊंगी ही और अपनी सारी बात भी स्पष्ट बता दूंगी |प्रकाश को जो समझना हो समझे |” सोचते हुए आभा ने एक गहरी सांस लीऔर बिस्तर पर आकर सो गई |

         सुबह आभा जल्दी उठ गई |नहाकर अच्छी तरह तैयार हुई और प्रकाश से मिलने चल दी |आज रविवार था और आज दोनों दिन में मिलते थे |अन्य दिन तो दोनों शाम को ही मिल पाते थे |

           आभा पार्क मे आई तो देखा कि प्रकाश पहले ही आ चुका था और उसका इंतजार कर रहा था |उसे देखते ही लपक कर उसके पास आया |

            “कितनी देर कर दी |मैं कबसे इंतजार कर रहा हूँ |”प्रकाश बोला |

            “देर, नहीं तो, मैं तो समय से ही आई हूँ |तुम जल्दी आ गए हो |”

            “अच्छा ठीक है |चलो बैठकर 

बातें करते हैं |” प्रकाश बोला और फूलों के पास घास पर दोनों बैठ गए | थोड़ी देर तक दोनों इधरउधर की बातें करते रहे |



           “अब बताओ, तुमने क्या सोचा? “प्रकाश उसका हाथ पकड़ते हुए बोला |

         ” किस बारे में? “

           “किस बारे में? अरे हमारी शादी के बारे में और किस बारे में |’प्रकाश जल्दी से बोला |

            ” मैं तो तुम्हें पहले ही बता चुकी हूँ कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती हूँ |”आभा धीरे से बोली |

             “पर क्यों  ? “

              “कई बातें हैं |”

              “मुझे सारी बातें बताओ |आज मैं पूरी बात विस्तार से जानना चाहता हूँ |”प्रकाश जल्दी से बोला |

           ” मेरी बड़ी बहन अभी कुंवारी है  |”

         “तो मैं तुम्हारे माँ-पापा से मिलकर उन्हें समझाऊंगा कि तुम्हारी शादी पहले कर दें |आजकल ऐसा होता है और इसमें कुछ गलत नहीं  है |” प्रकाश बीच में ही बोल पड़ा |

            “लेकिन मैं ऐसा नहीं चाहती हूँ|

मैं अपनी दीदी से बहुत प्यार करती हूँ |ऐसा करने से दीदी के मन में हीन भावना आ जायेगी और फिर मैं दीदी की शादी में पापा की मदद नहीं कर पाऊंगी | मेरा कोई भाई नहीं है  |मेरी माँ ने मेरी पढ़ाई के लिए जो गहने बेचे है, वो मुझे माँ के लिए लेने है |

साथ ही मुझे छोटी बहन को कैरियर बनाने में सहयोग करना है |पापा दीदी के लिए लड़का ढूंढ रहे हैं, ठीक होते ही उसकी शादी कर देंगे | मै उसके बाद शादी करूंगी |”आभा बोली |



            “पर ये सब तो तुम शादी के बाद भी कर सकती हो | मैं तुम्हें मना नहीं करूंगा |”प्रकाश ने उसे समझाना चाहा |

           “नहीं, मैंने अपनी चचेरी बहन को देखा है, चाहकर भी कुछ नहीं कर पाई थी वह |उसकी ससुराल में रोज इस बात पर झगड़ा होता था |मैं नहीं चाहती कि हमारे जीवन में  भी ऐसा हो और मैं अपने परिवार की कुछ मदद न कर पाऊंऔर फिर पापा भी मुझसे कोई मदद न लेंगे | ” आभा तुरंत बोल पड़ी |

             “तो फिर क्यों ना हम चुपचाप मंदिर में शादी कर लें और उन्हें बाद में बताऐं |’प्रकाश बोला |

           ” नहीं, मेरे अपने मुझपर बहुत भरोसा करते हैं |मैं उन्हें बिना बताये

इतना बड़ा काम नहीं करूंगी | उनका भरोसा नहीं तोड़ूगी |”आभा दृढ़ता से बोली |

          “तो फिर चलो लिव इन में रहते हैं|जब करनी होगी कर लेंगे शादी  |” प्रकाश झट बोला |

           “नहीं, हरगिज़ नहीं |” आभा के 

स्वर में अभी भी दृढ़ता थी |

           “इसका मतलव तुम मुझसे प्यार नहीं करती |” प्रकाश झुंझला कर बोला |

          “देखो प्रकाश |मैं तुमसे प्यार तो करती हूँ | शादी भी करना चाहती हूँ, पर  अपनों का भरोसा तोड़ कर कोई भी गलत काम नहीं करूंगी  |

न तो छिपकर शादी करूंगी और न हीं लिव इन में रहूंगी |तुम्हें अगर मुझसे प्यार है तो मेरा साथ दो और कुछ दिनों तक इंतजार करो |मुझे सिर्फ दो साल का समय दो और अगर नहीं दे सकते तो फिर मेरी तरफ से तुम स्वतंत्र हो ||” आभा एक ही सांस में सब बोलकर चुप हो गई |

           थोड़ी देर तक दोनों चुप रहे | 

“मैं जा रही हूँ |” आभा अचानक उठकर खड़ी हो गई |

           “रूको कहाँ जा रही हो  ? तुम ने तो अपना फैसला सुना दिया, मेरी भी तो सुनो |” प्रकाश ने उठकर उसका हाथ  पकड़ लिया |”जो अपनों का भरोसा नहीं तोड़ सकती, मैं उसका भरोसा कैसे तोड़ सकता हूँ |मुझे तुम्हारी सारी बातें स्वीकार है | अब तो हंस दो |”प्रकाश हंसते हुए बोला |

          “मेरे अच्छे प्रकाश |” आभा भी जोर से हंसने लगी |दोनों की हंसी में फूलों ने भी साथ दिया और झूमने लगे |

सुभद्रा प्रसाद 

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