भाभी से मायका – विनिता मोहता

प्यारी बेटिया जब जिम्मेदार बहू बनकर साल भर ससुराल में सब की सेवा सुश्रषा करने के बाद जो कुछ दिन मायके में मां के सानिध्य में बिताती हैं तो बेटियां अपने बचपन को दोबारा  जी कर खुद को पहले से ज्यादा ऊर्जावान महसूस करती हैं|

ऐसे ही रुपल कुछ दिनों के लिए गर्मी की छुट्टी में अपनी मां के घर आई थी| अभी तक मायके मे माँ अकेली थी , मगर कुछ दिन पहले ही भाई की शादी हुई थी तो इस बार मायके में भाभी भी थी|

रुपल ने सोच लिया था, अब मायके जाकर केवल आराम करेगी और मां से ढेर सारी बातें| वरना हर बार काम में ही व्यस्त रहती है| इस बार भाभी के आने से उन्हें आराम मिल जाएगा|

मगर रुपल जो कुछ सोच कर आई थी, उसका उल्टा ही था, मां अभी भी भाभी के साथ घर के कामकाज में व्यस्त थी| रुपल आई हुई थी तो किचन में रोज में पकवान बनते हैं इसलिए उन्हें रूपल से बैठकर बात करने का मौका ही नहीं मिलता|



यह सब देखकर रूपल नाराज हो गई| और 1 दिन दोपहर में जब भाभी अपने कमरे में आराम कर रही थी अपनी मां को अपने पास बैठा कर उन्हें ने समझाने लगी-” मां अब तो बहू आ गई है तो भी तुम्हें बेटी के लिए समय नहीं है |मैं कितना सोच कर आई थी कि तुमसे इतनी सारी बातें करनी है| मगर तुम तो अभी भी काम में ही लगी हूं |अभी से भाभी की लगाम कसकर नहीं रखी तो सारी जिंदगी काम करते रहना पड़ेगा| मेरी सास को ही देखो मेरी शादी के बाद से उन्होंने किचन में झांका भी नहीं है| चाहे कितने भी मेहमान हो सब कुछ मुझे अकेले ही करना पड़ता है| यदि भाभी को तुम्हारे काम करने की आदत लग गई तो करती रहना काम और वह करेंगे आराम|”

बेटी की बात सुनकर रुपल की मां मीताजी मुस्कुरा दी, और बेटी की बात का कोई जवाब दिए बिना बात को बदलते हुए बोली-” रुपल आज शाम को तेरी पसंद की कढ़ी कचोरी बनाती हूं तुझे बहुत पसंद है ना|”

कढ़ी कचोरी की बात सुनकर रुपल को खुशी तो हुई, मगर मां का इस तरह से बात को टालना उसे जरा भी पसंद नहीं आया|

मगर उन दोनों की बातें रुपल की नई  भाभी  नेहा जो दोपहर का नाश्ता लेकर अपनी सास के कमरे में आ रही थी उस ने सुन ली थी|

नेहा मन ही मन सोचने लगी-” दीदी सच ही तो कह रही है जब से मैं आई है मम्मी जी ने एक बार भी उनके साथ बैठकर खाना नहीं खाया |यहां तक कि दोनों मिलकर बाजार भी नहीं गई |मम्मी जी ने मुझे ही दीदी के साथ भेज दिया था| आज शाम को मम्मी जी को किचन में नहीं आने दूंगी ताकि वह दीदी के साथ टाइम स्पेंड कर सकें|”



शाम को मिटा जी कचोरी की तैयारी करने लगी तो नेहा ने उनका हाथ पकड़ कर कहां- मम्मी जी आप मुझे बता दीजिए खाने में क्या बनना है |यहा सब काम समय से हो जाएगा |आप बाहर दीदी के साथ बातें कीजिए|”

मीता जी को पता नहीं था कि स्नेहा ने उनकी बातें सुन ली है इसलिए उन्हें किचन से बाहर जाने को कह रही है। वे उसे समझाते हुए बोली-” अरे दोनों मिलकर फटाफट काम कर लेते हैं फिर आराम से रुपल से बातें करेंगे|”

मगर नेहा ने जीदकर कर उन्हें किचन से बाहर निकाल दिया| मीताजी रुपल के पास आकर बैठे और बोली- “ला तेरे सर में तेल लगा देती हूं तुझे अच्छा लगेगा|”

रुपल उनके हाथ में तेल की बोतल देते हुए बोली -“क्यों आप तो मेरे लिए कढ़ी कचोरी बना रहे थे मैंन्यू चेंज हो गया क्या?”

मीताजी मुस्कुरा कर बोली- “मैन्यू चेंज नहीं हुआ है तेरे लिए कड़ी कचोरी तेरी भाभी बना रही है|”

भाभी का नाम सुनकर रूपल तुनक कर बोली- “क्या यार मम्मी आपको पता है ना मुझे आपके हाथ की ही कड़ी पसंद है मैं कभी किसी और के हाथ की कड़ी नहीं खाती| वैसे तो आप किचन में काम करती हो मगर आज मेरे लिए जब स्पेशल बना रही हो तो आप किचन से बाहर हो|”

मीता जी उसके बालों में तेल लगाते हुए बोली-” मुझे पता है बेटा, तुझे किसी के भी हाथ की कड़ी पसंद नहीं आती ,मगर यदि नेहा को मना करती तो उसे बुरा लग जाता| कोई बात नहीं एक बार अपने भाभी के हाथ की भी कड़ी खा कर देख, वह भी खाना अच्छा बनाती है|”



रुपल ने अपनी मां से जो कुछ भी कहा वो भी नेहा ने सुन लिया मगर अब उसे समझ नहीं आ रहा था ,कि वह क्या करें ?यदि मम्मी जी से काम कराती है तो भी दीदी नाराज होती है और नहीं कराती है तो भी दीदी नाराज होती है।

इसी उधेड़बुन में उसकी आंखों में आंसू आ गए| नीता जी कीचन मे आई तो उसकी आखों मे आसूँ देखकर घबरा गई- “क्या हुआ तुझे कोई परेशानी है क्या”?

“नहीं मम्मी जी बस ऐसे ही|” अपने आंसू पोछते हुए नेहा ने जवाब दिया|

“नहीं कोई तो परेशानी है, वरना आज तक तेरी आंखों में कभी आंसू नहीं आए |कोई तकलीफ है मुझे नहीं बताएगी, तो किससे बताएगी?” कहते हुए मीता जी ने उसका हाथ पकड़ लिया|

नेहा अपने आंसुओं पर कंट्रोल नहीं कर सकी और फफक कर रो दी-” मम्मी जी आप किचन में मेरे साथ काम करते हो यह दीदी को पसंद नहीं, इसीलिए मैंने आपको आज खाना बनाने नहीं दिया| मगर मुझे नहीं पता था दीदी को आपके हाथ की कढ़ी पसंद है| दीदी को पता नहीं अब यह सब कुछ पसंद आएगा या नहीं|”

बहू की बात सुनकर  मीता जी हंसते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपनी बेटी रुपल के पास उसे ले आई-” रुपल तेरी भाभी को बहुत सारा कंफ्यूजन है, तू ही उसका कंफ्यूजन दूर कर सकती है|”

रुपल- “कन्फ्यूजन कैसा कन्फ्यूजन|”

मीता जी- यही कि मैं किचन में काम करूं या नहीं? क्योंकि मैं काम करती हूं तो भी तु नाराज होती है और नहीं करती हूं तो भी तु नाराज होती है।”

मां की बात सुनकर रुपल सकपका गई और हकलाते हुए बोली-” अरे वह तो मैं ऐसे ही बोल रही थी ,सॉरी भाभी आप को बुरा लगा हो तो|”



मीता जी -“हां बुरा तो लगा है उसे, तेरे जाने के बाद उसी के आने से मेरे घर में रौनक आई है |जो तू कहती है ना कि तेरी सास कभी किचन में नहीं आती ,तू अकेली परेशान हो जाती है |मैं नहीं चाहती कि मेरी बहू भी यही कुछ कहे और इस दर्द को सहे| जब तक मुझसे बन पड़ता है मैं नेहा की मदद कर देती हूं| बातों का क्या है तू भी किचन में आजा तीनों मिलकर व,ही बातें करेंगे| और नेहा अब तुम्हारा रोना हो गया हो तो मुझे बहुत तेज भूख लग रही है खाना मिलेगा या नहीं?”

मिता जी की बात सुनकर नेहा भी मुस्कुरा दी और रूपल और मीता का खाना लगाने के लिए किचन में चली गई|मीता जी ने रुपल का हाथ पकड़ा ओर कहा-” बेटा मां बाप का क्या है आज है कल नहीं बेटियों का  पियर वास तो भाई भाभियों से ही होता है |मैं नहीं चाहती कि मेरे जाने के बाद मेरी बहू तुझे बुलाने में आनाकानी करें| अपनी भाभी के साथ संबंध अच्छे से बना कर रखना तेरे हाथ में है| उसे मान सम्मान देगी तो वह भविष्य में तुझे मान सम्मान देगी समझ गई मेरी बेटी|”

रुपल भी मां की बात सुनकर मुस्कुरा दी| तभी नेहा उन दोनों के लिए खाना लेकर आ गई | रुपल ने हाथ पकड़कर नेहा को अपने पास बिठा लिया और पहली बाइट उसके मुंह में डाल कर बोली- “भाभी आज माँ ने मेरी आंखें खोल दी| मैं गलत थी जो मां को आपकी मदद करने से रोक रही थी |आगे से हम तीनों मिलकर सारा काम जल्दी-जल्दी कर लेंगे फिर बैठकर ढेर सारी गप्पे लगाएंगे, और हां कड़ी मां के हाथों से भी ज्यादा स्वादिष्ट बनी है|”

रुपल की बात सुनकर नेहा उसके गले लग गई और मीताजी मंद मंद मुस्कुरा रही थी|

लेखिका : विनिता मोहता

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