बेटा! देखना जल्दी ही सब अच्छा होगा – गुरविंदर टूटेजा

   अमय बेटा इतनी ठंड हैं और तू बिना रजाई ओढ़ें क्यूँ लेटा है…????

  रजनी ने बेटे को रजाई ओढ़ातें हुए बोला…!!!!

   अमय एकदम चौंक गया और बोला…अरे मम्मी ध्यान ही नहीं रहा बस ओढ़नें ही वाला था…!!!!

सिर पर प्यार से हाथ फेरतें हुए बोली…बेटा! चिन्ता मत कर जल्दी ही सब अच्छा होगा…चल सो जा अब…!!!!

   कमरे में आतें ही नीरज ने कहा…क्या हुआ अमय सो गया…??

नहीं नीरज इतनी ठंड में बिना रजाई ओढ़ें कुछ सोच में डूबा था..उसको तो तसल्ली दे दीं पर…नीरज के गले लगकर रोने लगी…!!!!

नीरज की आँखों में भी आँसू थे…इंजीनियरिंग करें दो साल हो गये है पता नहीं कितनी जगह इन्टरव्यू दे चुका हैं कही से बुलावा नहीं आया…मेरे पास भी इतना पैसा नहीं है कि कोई बिजनैस शुरू करवा देता…सच बेरोजगारी इंसान को तोड़ देती है… पर उसकी हिम्मत बनना हैं भलें ही आज चुप सा हो गया है जब कॉलेज में था तो कितना खुश रहता था…हम हमेशा उसके साथ खड़ें रहेंगे उसकों टूटने नहीं देगें….!!!!



  तीन दिन बाद अमय सुबह तैयार होकर आया और बताया कि कही से इन्टरव्यू के लिये कॉल आया है… खुशी आज भी नहीं था उसके चेहरे पर…रजनी जल्दी से दही-शक्कर ले आयी…उसकी खुशी के लिये बेमन से खाकर निकल गया…!!!!

दोनों को ही चिन्ता थी बस ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहें थे कि उसे नौकरी मिल जायें…!!!!

   घंटी बजी…दोनों ही दौड़कर बाहर आ गए…पर फिर रजनी ने कहा नीरज आप अंदर जाइए मैं खोलती हूँ दरवाजा…हाँ यही ठीक रहेगा कहतें हुए अंदर चलें गए..!!!!

 रजनी ने डरते हुए दरवाजा खोला…अमय ही था इतनी देर क्यों लगा दी मम्मी दरवाजा खोलनें में…पता नहीं क्यों वो कुछ बोल ही नहीं पाई..पापा कहाँ हैं..पापा !बाहर आइयें…हाँ बेटा बोलों…दोनों के पैर छूते हुए बोला..मुझे नौकरी मिल गई…सबकी खुशी का ठिकाना नहीं था…!!!!!

फिर तो बस तरक्की हो गई…शादी और आज वो दोनों दादा-दादी बन गयें थें…प्यारी सी गुड़िया के दोनों की आँखों में खुशी के आँसू थे…सोच रहें थे कि बुरें वक्त पर थोड़ा सब्र रखों तो आगे सब अच्छा होता है….ज़िन्दगी की यही सच्चाई हैं आज धूप है तो कल छाँव भी आयेगीं….!!!!!

#कभी धूप कभी छाँव

गुरविंदर टूटेजा

 उज्जैन (म.प्र.)

 

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