आज जब रेखा आंटी ने फिर से उसका आभार माना और धन्यवाद दिया, तो मनीषा की आंखें भर आई। आंटी जब कमरे से चली गई तो वह कमरे का दरवाजा बंद करके खूब फूट-फूट कर रोई और काजल की फोटो को सीने से लगाकर उससे माफी मांगने लगी। पिछले 5 वर्षों में वह न जाने कितनी बार काजल की फोटो से माफी मांग चुकी थी।
काजल, एक प्यारी सी हंसमुख और सुंदर लड़की, जिसकी आंखों में अपनी उन्नति के अनगिनत सपने थे और वह मनीषा की सबसे पक्की सहेली थी। काजल एक गरीब परिवार से और मनीषा अमीर परिवार से पर दोनों में कोई भेदभाव न था। एक दूसरे से टिफिन शेयर करना,कपड़े अदल बदल कर पहनना, एक साथ पढ़ाई करना,एक साथ घूमना, एक दूसरे के घर पर रहना,बहुत प्यारी दोस्ती थी सगी बहनों से भी बढ़कर।
कई बार काजल सोचती कि अमीर लोग तो गरीबों का साथ पसंद नहीं करते,पर मनीषा बिल्कुल अलग और बहुत अच्छी है मेरा सिंपल सा सूट भी खुशी-खुशी पहन लेती है और हमारे घर का खाना भी कितने शौक से खाती है, उसके अंदर घमंड बिल्कुल नहीं है और उसके घर पर उसके मम्मी पापा भी कितने अच्छे से बात करते हैं वे लोग भी बहुत अच्छे हैं।
उधर मनीषा को लगता कि काजल का छोटा भाई कितने प्यार से उसे दीदी दीदी कहता है और अंकल आंटी कितने प्यार से पेश आते हैं। काजल भी कितनी अच्छी है उन सब में बिल्कुल लालच नहीं है। काजल को कितनी अच्छी-अच्छी ड्रेस दिखाती हूं पर वह सबसे सिंपल वाली ही कभी-कभी पहन लेती है एक बार शायद मेरे पैसे काजल के घर पर गिर गए थे और मुझे पता भी नहीं था तब उन लोगों को जरूरत होते हुए भी उन्होंने मुझे ईमानदारी से सारी बात बात कर लौटा दिए थे,मैं तो यही सोच रही थी कि चलो छोड़ो,कहीं पर गिर गए होंगे।
अब काजल के मम्मी पापा को यही इंतजार था कि काजल पढ़ लिखकर कुछ बन जाए तो उनके भी दिन बदल जाएं, काजल पढ़ाई में बहुत अच्छी थी।
मनीषा रोज काजल को बस स्टैंड से अपनी स्कूटी पर बिठाकर कॉलेज ले जाती थी और वापस वही छोड़ देती थी।उनकी क्लास में एक लड़का था अभिनव वह भी बहुत अच्छे खासे घर से लगता था। देखने में और व्यवहार में बहुत अच्छा था मनीषा उसे मन ही मनपसंद करने लगी थी लेकिन यह बात आज तक उसने काजल को भी नहीं बताई थी।
एक दिन बातों बातों में मनीषा और अभिनव की टक्कर हो गई। दोनों ने एक दूसरे को सॉरी बोला और मनीषा ने देखा कि अभिनव ने एक कागज चुपचाप उसकी किताब में रख दिया।
मनीषा की दिल की धड़कनें तेज हो गई। वह बहाना बनाकर वॉशरूम गई और कागज पढ़ने लगी उसको पढ़ कर उसका सारा उत्साह ठंडा पड़ गया जब उसने पढ़ा कि मनीषा, कभी काजल से बात करवाओ ना प्लीज वह मुझे बहुत अच्छी लगती है।
न जाने क्यों मनीषा को काजल से जलन होने लगी फिर उसने खुद को संभाला,लेकिन मन में ईर्ष्या का पौधा पनप चुका था उसने काजल को इस बारे में कुछ भी नहीं बताया और अभिनव के पूछने पर कह दिया कि काजल इन पचडो में नहीं पडना चाहती उसे पहले कुछ बनना है।
आखिर एक दिन अभिनव ने खुद ही काजल को हेलो बोल दिया और बातचीत शुरू कर दी।धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती हो गई और फिर काजल को भी अभिनव अच्छा लगने लगा लेकिन उसने अभिनव से साफ-साफ कह दिया था कि मैं पहले अपना करियर बनाऊंगी बाद में कुछ और सोचूंगी।इतनी बात होने के बाद भी कभी उनके बीच मनीषा वाली बात क्लियर नहीं हुई।मनीषा खुश होने का दिखावा करती थी लेकिन वह अभिनव को पाना चाहती थी।ईर्ष्या राक्षसी रूप धर रही थी।
एक बार मनीषा ने 5 -6 सहेलियों को अपने जन्मदिन पर अपने घर बुलाया। रात में उन लोगों को देर हो गई। उसे पता था कि आज काजल उसके घर पर किसी भी हाल में रुकेगी नहीं, क्योंकि काजल को घर पहुंच कर अपने भाई को 2 घंटे हर हाल में पढ़ना ही था,,उसका एग्जाम था। पहले ही काजल लेट हो जाने के कारण चिंता में थी।
मनीषा ने कहा- काजल मेरी मान, तो यहीं रुक जा सुबह चली जाना। ”
काजल-” मनीषा तुझे पता तो है आज नहीं रूक सकती।”
मनीषा-” यार, अगर मेरी स्कूटी खराब ना होती तो मैं तुम्हें छोड़ आती और आज कार भी मम्मी पापा ले गए हैं। ”
काजल-” मनीषा तू चिंता मत कर, शिप्रा मुझे छोड़ देगी। उसके घर के रास्ते में ही मेरा घर पड़ता है। ”
शिप्रा-” हां हां जल्दी चल मैं तुझे छोड़ देती हूं। ”
काजल, शिप्रा के साथ चली गई शिप्रा ने उसे उसके घर से कुछ दूरी पर छोड़ दिया, वहां से उसके घर का सिर्फ एक गली का रास्ता था।काजल घर की तरफ चलने लगी,तभी पीछे से किसी ने उसकी नाक पर रूमाल रख दिया और वह बेहोश हो गई।
सुबह उसे होश आया तो उसने उसे अपने आप को किसी गंदे से टूटे-फूटे कमरे में पाया। उसका सिर घूम रहा था उसे समझ में आ रहा था कि उसके साथ कुछ गलत हुआ है। किसी तरह ऑटो में बैठकर वह अपने घर तक पहुंची तो वहां पर मनीषा भी मौजूद थी सब बहुत चिंतित थे।
मनीषा ने ऑटो वाले को पैसे दिए और मनीषा ने पूछा-” क्या हुआ काजल, तेरी मम्मी पापा रात से परेशान है तेरा फोन भी स्विच ऑफ आ रहा था क्या कुछ हुआ है क्या? उन्होंने मुझे फोन करके पूछा, तुम्हारे बारे में, तो चिंता में मैं यहां चली आई। ”
काजल ने रो रो कर पूरी बात बताई। मनीषा ने कहा,-” चल उठ पुलिस में रिपोर्ट लिखवाते हैं और डॉक्टर के पास भी चलते हैं, छोड़ेंगे नहीं हम उसे दरिंदे को। ”
काजल के माता-पिता ने मना कर दिया। उन्होंने कहा-” हम गरीबों के पास सिर्फ एक इज्जत ही तो होती है और हमें उसका तमाशा नहीं बनाना और फिर कोर्ट कचहरी, इतना पैसा कहां से आएगा और इसने तो उसे दरिंदे को देखा तक नहीं है ना शक्ल पता ना सूरत, ऐसे में यह क्या बताएगी पुलिस को। ”
मनीषा यही तो चाहती थी कि वे लोग चुप ही बैठे। फिर भी उसने दिखाने के लिए कहा-” काजल मेरी बहन है मैं कोर्ट का खर्च करूंगी। ”
रेखा,काजल की मां -” नहीं बेटी, तुम बहुत अच्छी हो लेकिन हम तुमसे पैसा नहीं ले सकते। ”
काजल बहुत गुमसुम रहने लगी थी और अभिनव से भी बात करना और मिलाना छोड़ दिया था। अभिनव का दिल टूट गया था कि काजल अब बदल गई है और वह दूसरे शहर में पढ़ाई करने ना जाने कौन से शहर, बिना बताए चला गया। उसके जाने की खबर से काजल बिल्कुल टूट गई थी।
एक दिन अचानक मनीषा के पास फोन आया कि काजल ने आत्महत्या कर ली है। यह सुनकर मनीषा बेहोश होते-होते बची। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि काजल ऐसा कदम उठाएगी। वह भागी भागी काजल के घर पहुंची।
शोकातुर स्वर में काजल की मम्मी बोली-” मनीषा, यह क्या किया काजल ने, हमारे बारे में जरा भी नहीं सोचा और चली गई। ”
मनीषा को लगा कि उसके दिल पर जैसे उन्होंने कोई वार किया हो और उसके गले में कोई कील धंस गई हो।
काजल का भाई तो मनीषा को दीदी कहकर लिपट गया, कितनी वेदना थी उसकी आंखों में और उसके पापा तो जड़ हो गए थे, पत्थर से बैठे थे।
इन विचारों को कितना विश्वास था मुझ पर, कितना स्नेह था। मैं इनका परिवार बिखर कर रख दिया, उसकी आत्मा उसे धिक्कारने लगी। उसकी आत्मा उसे कचोट रही थी कि तू ही खूनी है। काजल की मौत का सदमा उसके पापा को भी ले डूबा। एक सप्ताह के अंदर वे भी चले गए। अब मनीषा से यह बोझ उठाया नहीं जा रहा था वह प्रायश्चित करना चाहती थी लेकिन उसके अंदर सच बताने की हिम्मत नहीं थी।
एक ऐसा सच जो उसे खाए जा रहा था। उसने काजल को अभिनव से दूर करने के लिए एक गुंडे से कहा था कि काजल जब अपने घर से थोड़ी दूर होगी तो तुम उसकी खूब पिटाई करना और उसकी हड्डियां तोड़ देना और उसे धमकी देना कि वह अभिनव से दूर रहे। दरअसल उसे गुंडे ने एक बार एक सुनसान गली में मनीषा को छेड़ा था।
मनीषा को पता था कि वह गुंडा उसी गली में घूमता रहता है और वही जाकर उसने अपने मोबाइल से काजल की फोटो उसे दिखाई थी और उसे बदले में अपनी एक मोटी सी सोने की चेन दे दी थी और कहा था कि काम हो जाने के बाद इस शहर से गायब हो जाना। वह एक मामूली सा गुंडा था और छोटा-मोटा चोर। सोने की चेन के लालच में वह मान गया था, लेकिन मनीषा को यह पता नहीं था कि वह काजल के साथ दरिंदगी भी करेगा।
मनीषा ने अपने माता-पिता से कहा था की चैन कहीं पर खो गई है।
अब मनीषा को अपनी करनी पर बेहद अफसोस हो रहा था। उसने एक हंसता खेलता परिवार उजाड दिया था। प्रायश्चित करने के लिए वह काजल की मम्मी और भाई को अपने यहां ले आई थी।
लेकिन वे लोग आत्मसम्मानी थे। इसलिए काजल की मम्मी ने कहा-” बेटी तुम बहुत अच्छी हो, भगवान तुम्हारी सारी इच्छाएं पूरी करें,लेकिन हम तुम पर बोझ नहीं बन सकते,तुम्हारे माता-पिता हमें अपने घर लाने के लिए मान गए है ये बहुत बड़ी बात है।तुम्हारे घर मै तुम्हारी जिद के कारण चल रही हूं पर अब मैं तुम्हारे घर खाना बनाने का काम करूंगी अगर तुम्हें मंजूर हो, तो बोलो।”
मनीषा ने कहा -“ठीक है आंटी”
मनीषा के माता-पिता बहुत अच्छे थे।उन्होंने काजल की मां को अपने घर का सदस्य ही समझा और काजल के भाई को पढ़ाई में मदद कर रहे थे। आज जब काजल का भाई 12वीं कक्षा में 95% लाया तो उसकी मम्मी की आंखों में खुशी के आंसू आ गए और वह मनीषा को धन्यवाद करने आ गई और मनीषा उनके जाने के बाद कमरा बंद करके फूट-फूट कर रोने लगी और काजल की फोटो से माफी मांगने लगी उसे आज भी किसी से सच कहने की हिम्मत नहीं थी और अपने पाप के सामने उसे अपना यह प्रायश्चित बहुत छोटा लग रहा था।
अप्रकाशित, स्वरचित गीता वाधवानी दिल्ली