आपको बहु नहीं चलता फिरता रोबोट चाहिए और खुद भी कंप्यूटर बनी हुई हैं, घर में सेना के जैसे नियम बनाए हुए हैं। प्रिया अपने कमरे में जाते हुए यूं ही बड़बड़ा रही थी और जाते ही बिस्तर पर पौटी करे हुए अपने बेटे कृष को देखकर गुस्से में झल्ला भी रही थी।
राधिका जी को सब सुन रहा था और आज उन्होंने भी कुछ फैसला किया था। राधिका जी प्रिया की सास थी। वह एक रिटायर्ड प्रिंसिपल थी। अभी भी वह अक्सर समाज सेवा के कार्यक्रमों एवं सेमिनार में जाती ही रहती थी। वह बेहद अनुशासित थी। उनके एकमात्र बेटे गगन की शादी प्रिया से हुई थी। प्रिया एकदम मनमौजी लड़की थी परंतु एक साल के भीतर ही उनके घर कृष का आगमन हो चुका था।
राधिका जी और वर्मा जी आज भी सवेरे 5:00 बजे उठकर बाहर घर के ही पार्क में एक्सरसाइज करते और चाय पीते थे। हमेशा के जैसे ही उनकी काम वाली सवेरे 8:00 तक झाड़ू पोछा और बर्तन निपटा दिया करती थी। राधिका जी तब तक नाश्ते इत्यादि का भी काफी काम निपटा देती थीं। प्रिया अक्सर 8:00 बजे के बाद ही उठती थी,
उसके कमरे में सफाई ही अधिकतर शाम को हुआ करती थी। राधिका जी घर में भी प्रिया को भी अक्सर समझाती थी कि बच्चों के बाथरूम इत्यादि जाने का भी कोई पैटर्न होता है। गगन को उन्होंने 3 महीने तक ही बाथरूम के लिए ट्रेंड कर दिया था
वह हमेशा बाथरूम जाने से पहले हिलकर बतला देता था हर तीन घंटे बाद उठकर वह उसे बाथरूम करवाती थी। ऐसा ही वह प्रिया से भी चाहती थी। कृष को कई बार तो वह खुद ही समय पर बाथरूम इत्यादि करवा दिया करती थी। परंतु प्रिया से अपना ही काम खत्म नहीं होता था।
उस दिन राधिका जी ने जब कमरे में ऊपर जाले लगा हुआ देखा तो उन्होंने प्रिया को हाथ के इशारे से जाले वाली झाड़ू देकर जाले उतारने के लिए कहा। अब पटरे पर चढ़कर खुद ऐसे काम करने में उन्हें उम्र के इस पड़ाव पर गिरने का डर लगता था। प्रिया ने जाला तो उतार दिया परंतु उसके बाद बड़बड़ाती हुई अपने कमरे में गई।
राधिका जी को प्रिया का यह व्यवहार बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। वर्मा जी बैंक से रिटायर होने के बाद अभी भी एक कंपनी में एकाउंट्स का काम देखते थे। राधिका जी ने वर्मा जी को कहा कि उनकी बहन बहुत समय से उन्हें अपने घर मुंबई में बुला रही है। काफी सालों से घर की व्यस्तताओं में कभी नौकरी , कभी गगन का विवाह और फिर कृष का होना वह कहीं घूम भी नहीं पाई अब वह कुछ दिनों के लिए मुंबई जाना चाहती है। उन्होंने वर्मा जी से अनुरोध किया कि चलो टिकट की बुकिंग कर दो हम दोनों कुछ समय के लिए मुंबई चलेंगे।
इन दोनों के मुंबई जाने के प्रोग्राम से प्रिया बहुत खुश हुई और रविवार को सासू मां को एयरपोर्ट छोड़ने के बाद जब गगन घर आया तो प्रिया की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। शाम को दोनों ने खाना बाहर से ही मंगवाया।
दूसरे दिन सुबह उसकी आंखें ही 9:00 बजे खुली। कामवाली और गाड़ी साफ करने वाला दरवाजा बजा कर जा चुके थे। नाश्ते की कोई उम्मीद नहीं थी और कृष को भी अब तक दूध नहीं दिया गया था। घर का बिस्तर भी बहुत गंदा हो रहा था। गगन को क्योंकि देर हो रही थी वह तो जल्दी से तैयार होकर ऑफिस में ही खाना मंगवाने की कहकर घर से निकल गया। प्रिया को समझ नहीं आ रहा था वह कहां से काम शुरू करें और कैसे करे। यूं ही सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम हो गई। खाना शाम को भी बाहर से ही मंगवाया गया।
5 दिन बाद कामवाली ने भी छुट्टी कर ली थी। घर में इतना काम होता है प्रिया को केवल यही नहीं पता चला अपितु उसे अब यह भी ज्ञात हो गया था कि सासूमां के कारण घर का कितना काम उसके बिना करे ही हो जाता था। अब जब गगन ने आकर हमेशा के जैसे खाने के बाद अपने बर्तन यूं ही छोड़ता तो प्रिया राधिका जी से भी ज्यादा गगन पर गुस्सा करने लगी।
रोज बाहर का खाना खाकर दोनों की तबीयत भी खराब हो रही थी। पूरे दिन कृष को संभालना भी बहुत मुश्किल हो रहा था । उस दिन जब राधिका जी का फोन घर का हाल पूछने के लिए आया तो आज प्रिया को राधिका जी की अनुपस्थिति बहुत खल रही थी उसने बड़े प्यार से राधिका जी से पूछा मम्मी आप वहां अब कितने दिन और रहोगी? घर कब लौटोगी।
आज उसकी आवाज में कोई रोष नहीं था अपितु आग्रह ही था। राधिका जी से मुस्कुराते हुए जवाब दिया मैं अगले सप्ताह ही आ जाऊंगी, मैं यहां पर ठीक हूं और मुझे भी कृष की बहुत याद आ रही है।
शायद अब उनके आने के बाद दोनों के बीच अच्छा सामंजस्य बैठ जाए। आपका क्या ख्याल है? पाठकगण कमेंट्स द्वारा जरूर बताइए।
मधु वशिष्ठ, फरीदाबाद, हरियाणा।
#आपको बहू नहीं चलता फिरता रोबोट चाहिए प्रतियोगिता के अंतर्गत#