मां की साड़ी!! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

मां बहुत ही ग्रेसफुल तरीके से साड़ी पहना करती  थी। उनके गरिमामई व्यक्तित्व की चर्चा सभी ओर थी  मुझे याद नहीं कभी जल्दबाजी में भी वो अच्छे से तैयार ना हुई हों।   बालों का जूड़ा बना कर, साड़ी को सलीके  से पिनअप करके , हाथ में घड़ी लगा कर, जिससे वो अपने काम  करें, विशेष … Read more

सपने में… जोर कहां – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

 कब से जी हलकान  हुआ जाए रहा है  जाना भी जरूरी है ई टिकटवा तो मिल नहीं रहा है  सभी ट्रेनों में रिजर्वेशन फुल दिख रहा है  अब ऐन वक्त पर  तो ऐसा ही होगा  का कह रहे हैं?…. वो जो दूर के रिश्ते के भैया हैं ना.. वो दिलवा देंगे,?  कोई वी आई पी, … Read more

लो सखि – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

 आज फिर तुमसे, अपने दिल की बात करने बैठी हूं  अब ये दुनिया दारी और घर गृहस्थी के चक्कर में, दिल- विल जैसा तो कुछ रह  नहीं गया है  भले ही चले… अरे वेलेंटाइन वीक…. हमें क्या?  हम दिमाग़ लगाए के अपनी घर गृहस्थी संभाले या  दिल?  सैंया जी अपने काम धंधे में खटे और … Read more

सबक जिंदगी का! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

 रिद्धि की विवाह के समय की बात है…  उसके स्वयं के विवाह में सगाई में इतनी खराब साड़ियां आई थी कि सब देख कर कहा उठे थे इससे अच्छी साड़ियां तो तुम्हारी ननदें पहन कर आई हैं,और होने वाली  बहू के लिए इतनी देहाती जैसे कपड़े लाए हैं?  मगर रिद्धि की मां,… वो  तो उदार … Read more

बात में दम तो है – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

श्रुति कालेज से लौटी तो पता चला लड़के वाले आ चुके थे। मम्मी -पापा  उनकी खातिरदारी का काम अकेले ही संभाल रहे थे। भाभी कमरे में बंद थी… जानबूझकर.. हां उनका व्यवहार कुछ ऐसा ही था, परिवार में कोई भी काम पड़े,कमरा बंद करके पड़ी रहती थी।    मम्मी कहती थी कि पहले बेटे का ब्याह … Read more

अंतिम प्रणाम – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

विद्या जी सूनी आंखों से सबको देख रही थी। आज उनके  पति सीताराम जी की तेरहवीं थी। सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हुए थे। अपने बनाए बड़े से आवास में रहते थे।  लंबे समय से सेवानिवृत्त ही थे।  यूं तो कहने को उसी घर में उनके बेटा बहू,पोता पोती भी रहते थे।  मगर ऐसे कि हर … Read more

सुगना – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

सुगना, देखो सबके नाश्ता करने के बाद ये( बचा हुआ) नाश्ता मिट्ठू को बुला कर खिला देना…. कहते हुए बड़ी ताई जी निकल गई अरे और कहां, अपने मोहल्ले की सहेलियों के साथ गप – शप करने  बड़ी ठसक थी ताई जी की घर और मोहल्ले सब जगह और हो भी क्यों ना?  घर में … Read more

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