“इंतहा स्वार्थ की” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“देखो बेटा। मैं अब अगले महीने रिटायर होने वाला हूँ। बहुत दिनों से अम्मा के मोतियाबिंद का आपरेशन टाल रहा था कि ऑफिस से छुट्टी पाऊंगा तो आराम से करा दूंगा। घर का खर्च तो मेरी पेंशन में जैसे तैसे हो ही जाएगा। मैं ये चाहता हूँ कि तुम भी अब घर के खर्चे में … Read more

ससुराल वाले अपनी बेटी की चिंता करेंगे या बहू की-बहू तो दूसरे की बेटी है – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“इना!करवा नहीं भेजा तुम्हारी माँ ने?”करवा चौथ के दिन इना की सास सुनीता जी इना के मायके से आए बायने का समान फैलाकर बैठी थीं! इना-“मम्मी जी!माँ ने चेक भेजा है कि अपनी पसंद का चाँदी का करवा मंगा लें, कोरियर में खोने का डर था”, “हाँ पर चेक में पानी भर कर अर्ग देगी … Read more

“जाने कहाँ गए वो दिन” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

देविका जी उम्र के आठवें शतक में अपने आलीशान मकान के बरामदे में अकेली बैठी बाहर होती घनघोर बारिश देख रही थी!बिजली चमकने और बादलों की घड़घड़ाहट से उनका बूढ़ा शरीर डर के मारे रह रह कर कांप जाता! आंघी की वजह से लाईट भी चली गई थी! बैठे बैठे उनका मन अतीत के गलियारे … Read more

कभी खुशी -कभी गम – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“सुनो जी एक बात कहूं!विभा ने डरते डरते अपने पति महेश से कहा!” “जल्दी कहो जो कहना है टाइम नहीं है मेरे पास?”झुंझलाकर. महेश ने जवाब दिया! “वो सिया की सहेली मीना है ना उसके चाचा का लड़का मुम्बई की एक कंपनी में इंजीनीयर है!” विभा के आगे कुछ कहने से पहले महेश गुर्रा कर … Read more

मायके में रिश्ते बने होते हैं -ससुराल में रिश्ते बनाने पड़ते हैं! – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

” बेटा!उठ जाओ 8बज रहे हैं ,देर तक सोना सेहत के लिए अच्छा नहीं,जल्दी से उठ जा मेरा बच्चा! “सीमा जी ने बडे प्यार से अपनी बेटी सना को जगाते हुए पुकारा! ऊं हूं मम्मी !8ही तो बजे हैं आज काॅलेज की छुट्टी है,आज तो सोने दो? “बेटा देखो तुम्हारी भाभी भी तो अभी नई … Read more

घर वापसी – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

सुमित और समर बचपन से साथ-साथ बड़े हुए,,पढ़ लिखकर शहर के नामी गिरामी कालेज में लेक्चरार हो गए!  नौकरी मिल जाने पर दोनो ने एक छोटा सा टू बेडरुम का घर किराए पर ले लिया!खाना बनाने और घर की साफ-सफाई के लिए एक नौकरानी रख ली! दोनो दोस्त अपनी नौकरी और घर में मस्त रहते! … Read more

“बहू हो तो ऐसी” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

मघु जी के पति भरी जवानी में उन्हें और उनके दोनों बच्चों मयंक और मीनू को छोड़कर चल बसे थे जब वे केवल आठ और छः साल के थे! पति की सरकारी नौकरी के कारण उनके जाने के बाद उन्हें पेंशन मिलने लगी!उनके ससुराल का घर था!यही गनीमत थी! उन्होंने उसी स्कूल में नौकरी कर … Read more

आत्मसम्मान – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“आज शाम को जरा ढंग से तैयार हो जाना बड़ी बुआ आऐंगी लड़के वालों को लेकर” मां मीना ने फरमान सुनाया! सुनकर सांवरी का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा!फिर वही नुमाईश फिर वही आवभगत,लडके की मां-बहन की एक्सरे के समान चीरती नज़रें,उनके व्यंग्य बाण”चेहरे का फेशियल वगैरह करवाया करो,उबटन लगाया करो थोड़ा-बहुत रंग निखरेगा” और … Read more

“मन-आंगन ” – कुमुद मोहन   : Moral Stories in Hindi

आज मेरे पास अपना खूबसूरत सा आशियाना है ,सब सुख सुविधाऐं हैं!बेहद प्यार करने वाला ससुराल है,नाज नखरे उठाने वाला हमसफ़र है!नौकर-चाकर घोड़ा गाड़ी सबकुछ है! फिर भी मेरे मन का मयूर गाहे-बगाहे ससुराल की जिम्मेदारियों को छोड़,रीति-रिवाजों के बंधन तोड़ मायके की चौखट लांघ बाबुल के आंगन में उन खट्टी मीठी यादों का चुग्गा … Read more

नाराज – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

सुधा अपने बेटे शलभ से बेहद नाराज थी क्योंकि उसने उनकी मर्जा के खिलाफ सिया से लव मैरिज की थी!वे उठते-बैठते अपने जहरीले वाक्य बाणों के तीरों से बेचारी सिया का दिल छलनी किया करतीं! सिया चुपचाप उनकी नाराजगी और हर अत्याचार को बर्दाश्त करती !शलभ से बेइंतिहा प्यार जो करती थी! सिया हर वक्त … Read more

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