वो अब भी है दिल में! ! – गीता चौबे “गूँज” : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : ‘ शीतल मंद सुरभि बह बाउ…’ तुलसीदास जी की इस पंक्ति को सुरभि के लब गुनगुना रहे थे जिसे वह साक्षात आत्मसात कर रही थी। बड़ा ही सुहावना मौसम था। सुंदर सुवासित समीर मंद गति से बह रहा था मानो हौले – हौले किसी महबूब की भांति सुरभि के बदन … Read more

बेटी – गीता चौबे “गूँज”

फोन का रिसीवर रखने के बाद रजनी के मन में अपनी बिटिया रंजीता के आखिरी शब्द बहुत देर तक गूँजते रहे…  ‘बेटी को बेटी ही रहने दो, उसे बेटा मत बनाओ…’   रजनी अवाक रह गयी और गहराई से सोचने लगी कि उससे चूक कहाँ हुई। इतना आक्रोश कैसे भर गया उसकी बेटी के मन में। … Read more

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