वसूली…… विनोद सिन्हा “सुदामा”

मैं जब भी उन्हें अपनी माँ से बातें करती देखती तो जाने क्यूँ मुझे बहुत गुस्सा आता… दूसरी मुझे इस तरह रोज रोज़ उनका मेरे घर आना जाना भी काफी नापसंद था… कभी कभी तो देर रात तक सिर झुकाए घंटों बैठे रहते… मैंने एकाध बार दबी जुबान से इसका विरोध करते हुए अपनी माँ … Read more

मां का चेहरा – चाँदनी झा

निशा अपनी मां का ये चेहरा देखकर,… आवाक रह गई। मां तो बस,…सबकी सुनती हुई, सबकुछ सहती हुई एक सामान्य महिला लगती थी। पर आज…जब निशा की बात आई तो एकदम से शेरनी हो गई। मां के इस चेहरे से हमेशा अनजान थी, निशा,….तो क्या हर किसी के दो चेहरे होते हैं? निशा के मन … Read more

नकाबपोश – पूनम अरोड़ा

पान्डे जी की फैमिली बहुत खुश थी। उनका वर्षों का सपना जो पूरा हुआ था, पॉश कॉलोनी में अपना एक भव्य, आलीशान बंगला बनाने का। सफेद मारबल से लकदक फर्श, नये डिजाइन की टाइलों से चमचमाती दीवारें, अत्याधुनिक व महंगे फर्नीचर से सुसज्जित ड्राईंगरूम व कमरे, बेशकीमती झाड़फानूस व तरह तरह के बल्बों लाइटों से … Read more

 ‘कोमल हूँ, कमज़ोर नहीं ‘ – विभा गुप्ता

  ” मैं तुमलोगों को छोड़ूँगी नहीं, दोहरे चेहरे का मुखौटा उतारकर समाज को तुम्हारा असली रूप न दिखाया तो मेरा नाम कृतिका नहीं।”।एक भद्दी-सी गाली देते हुए बदहवास-सी कृतिका सारंग के कमरे से निकली और लगभग दौड़ती हुई घर चली गई।           तीन महीने पहले ही कृतिका ‘ग्रीनलैंड इंटरनेशनल’ में होटल रिसेप्शनिस्ट के पद पर अपाॅइंट … Read more

दोहरा चेहरा (हाथी के दाँत खाने के कुछ तो दिखाने के कुछ) – के कामेश्वरी

रामचंद्र जी एक छोटे से गाँव में स्कूल टीचर थे । उनकी दो बेटियाँ और एक बेटा था । पत्नी राधिका पति के कमाए हुए पैसों से ही बच्चों को पढ़ाते हुए उसने अपने घर को स्वर्ग बना लिया था । घर में सुख शांति थी। बड़ी बेटी की शादी भी उन्होंने अपने तरीक़े से … Read more

दोहरे चेहरे – मधु झा

दिवाकर अक्सर मंजूला से मज़ाक में ही सही ,कहता रहता था कि अरे,,तुझे मेरे जैसा कहाँ मिलेगा,,? सच है ,,उसके जैसा कहाँ मिलेगा,,और ईश्वर न करे उसके जैसा इस जनम में तो क्या ,,,जब तक जनम हो, कभी न मिले,, ईश्वर दूरी बनाये रखे उससे और उसके जैसों से,,जिसने ज़िन्दगी को पूरी तरह तहस-नहस करके … Read more

दोहरे चेहरे –  सविता गोयल

बेटा वो …… ,,  आफिस के लिए जल्दी में निकलते हुए अपने बेटे अविनाश को अरविंद जी ने आज हिचकिचाते हुए टोक लिया । ” हां पापा, बोलिए ??  कुछ चाहिए क्या ? ,, ” वो….. मेरे जूते थोड़े फट गए हैं ।,, ” अरे पापा, तो ने ले आओ..…  मानसी……  अपनी पत्नी को आवाज … Read more

काश लोग जैसे दिखते वैसे ही होते !! – स्वाती जैन

 आप टेंशन मत लिजिए वैसे भी मुझे आदत हो चुकी हैं इस सबकी शोभा ने अपनी मालकिन संजना से कहा !!                               शोभा तुम्हारे हाथ पर पड़ा यह सिगरेट का निशान साफ जाहिर कर रहा हैं कि अब अति हो गई हैं और तुम तो जानती हो अति किसी चीज की भी अच्छी नही होती !! … Read more

“बहु नहीं बेटी है हमारी” – सुधा जैन

 मध्यम वर्गीय परिवार में पली-बढ़ी अनाया अपने मम्मी पापा दादा दादी सभी  की लाडली बिटिया है… उसमें अपना ग्रेजुएशन पूर्ण कर लिया ..और भी आगे पढ़ना चाहती थी.. कुछ करना चाहती थी पर उसके मम्मी पापा ने सामाजिक दबाव… पारिवारिक… कुछ भी कहो… हमारे परिवारों में विवाह योग्य लड़की सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह है? सभी … Read more

आग – नीलम सौरभ

सुन्दर, सुशील और शान्त स्वभाव की होने के बाद भी सुजाता जी को उनकी बहू हिया कभी पसन्द नहीं आ सकी। हिया का दोष मात्र इतना था कि सुजाता जी के इकलौते बेटे अर्णव ने उनकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ जाकर उससे लव मैरिज की थी, जबकि वे अपनी बचपन की सहेली तरुणा की बेटी तन्वी … Read more

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