मंजू पढ़ी-लिखी होशियार …अचानक मां बाप के पास एक अच्छा रिश्ता आया …अच्छे घर से और उन्होंने कुंडली मिलान की कुंडली मिल गई… यही सोचकर मंजू की शादी एक अच्छे घर में कर दी गई।
जो ऊपर से लिखवा कर आए हैं वह तो हमें सहना ही पड़ता है यह बात मंजू के साथ लागू हो गई ।
मंजू के घर वालों को नहीं पता था कि लड़का कैसा है जब रिश्ता तय करने गए थे तो उन्होंने कहा था कि लड़का एमकॉम किया है ।
और अच्छी नौकरी करता है अच्छा खासा कमा लेता है बाहर से देखने पर तो हम किसी को पहचान नहीं सकते हैं।
और जब पंडित से कुंडली मिलाई तो सारे गुण मिल गए मां बाप ने सोचा …कि हमारी मंजू तो राज करेगी ।
लेकिन यह नहीं पता था कि मंजू ने अपनी किस्मत में क्या लिखाया हुआ है …रिश्तेदारों ने भी नहीं बताया लड़के के बारे में …यह सब बात मंजू के मां-बाप से छुप गए।
और मंजू की शादी जब हुई तब सबको लगा कि लड़का देखने में बहुत स्मार्ट है पढ़ा लिखा है।
और अच्छी नौकरी करता है मंजू के पापा ने हैसियत से ज्यादा उसे दहेज दिया…
लेकिन क्या पता था कि वह सब सामान… एक दिन ऐसा आएगा कि बिक जाएगा।
कहते हैं ना की औलाद के कारण सब कुछ सहना पड़ता है बस वही हुआ।
मंजू की शादी के बाद इतने सारे संकट उसके जीवन में आएंगे यह किसी को भी नहीं पता था ।
लेकिन उस लड़की ने इतना कुछ सहा और अंत में सिर्फ उसके साथ ईश्वर ही रहे
घर घर जाकर खाना बनाने का काम करती है ।
और जो भी कोई कहता है वह भी काम कर देती बहुत सरल स्वभावी मंजू कभी किसी को दुख नहीं पहुंचाती ।
लेकिन उसको कभी सुख नहीं मिला मंजू की जब शादी हुई तब उसे पता ही नहीं था कि उसका पति बहुत बीमार रहता है।
शादी बड़े धूमधाम से की थी जब वह ससुराल आई अचानक उसे पता चला कि उसके पति रमेश को कई बीमारियां है ।
यहां तक की डॉक्टर ने कह दिया था की पता नहीं कितने दिन तक यह जिंदा रहेगा लेकिन घर वालों ने इसलिए शादी कर दी थी कि हो सकता है बहू के आने से बेटा ठीक हो जाए ।
लेकिन उन्हें क्या पता था कि वह एक नहीं दो जिंदगियां बर्बाद कर रहे हैं।
रमेश 2 साल तक तो ठीक रहा लेकिन उसकी बीमारियां चरम सीमा पर पहुंच गई डॉक्टर का इलाज हकीम का इलाज झाड़ फूंक सब कुछ बराबर चलता रहा।
लेकिन पता नहीं क्यों रमेश ठीक होने का नाम ही नहीं ले रहा था।
घर का इतना पैसा लग चुका था की दूसरों से उधार लेना पड़ रहा था।
कुछ दिनों के बाद मंजू ने एक बेटे को जन्म दिया वह भी बेटा ऐसा था कि उसे एक ऐसी बीमारी थी जिसके कारण वह चल फिर नहीं सकता था।
उसे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि भगवान किस चीज की परीक्षा ले रहे हैं।
और लगातार उसके साथ कुछ ना कुछ चलता ही रहता था जब मंजू सोचती थी तो उसे लगता था कि यह पिछले जन्म के कर्म है ।
और वह सहम तक जाती थी अचानक एक दिन पति रमेश उसे छोड़कर चला गया ।
घर में ना पैसा था यहां तक की खाने के लिए भी कुछ नहीं बचा था तभी उसने हिम्मत नहीं हारी और भगवान पर आस्था रखते हुए।
उसने सोचा कि मैं अपनी औलाद का पालन पोषण अकेले ही कर लूंगी ।
रिश्तेदारों ने किसी ने भी साथ नहीं दिया और उसने किसी की एक न सुनी और घर घर में जाकर खाना बनाना नाश्ते का आर्डर लेने लगी ।
धीरे-धीरे उसकी उसका जीवन पटरी पर आ गया और उसने औलाद की खातिर हमेशा अपने चेहरे पर मुस्कुराहट राखी।
धीरे-धीरे बेटा अब बड़ा होने लगा उसे स्कूल छोड़ने जाती है लेने जाती…. और उसका पूरा पढ़ाई पर ध्यान रखती जितना पैसा कमाती है वह अपने बेटे के ऊपर खर्च करती।
उसे खुश रखने की कोशिश करती किराए के मकान में एक कमरे में रहती थी उसी में गुजारा कर रही थी।
उसके स्वभाव के कारण एक दिन ऐसा हुआ कि मकान मालिक ने कहा कि तुम्हारे पास यदि पैसे नहीं रहते हैं।
तो तुम मेरे मकान में फ्री में रह सकती हो लेकिन मंजू ने कहा कि नहीं मेरा वजूद यही नहीं कहता।
मैं इतना कमा लेती हूं कि आपका किराया दे सकती हूं धार्मिक प्रवृत्ति के होने के कारण ईश्वर उसका साथ कभी नहीं छोड़ा।
और उसने अपने बेटे को पढ़ा लिखा कर एक अच्छी नौकरी लगवा दी बस यही था कि वह अपंग था।
लेकिन वह भी बहुत मेहनती था होशियार क्लास में अव्वल रहने वाला लड़का अब मां के साथ खुद भी कमाने लगा ।
और दोनों की जिंदगी अच्छे से चलने लगी।
इस कहानी के माध्यम से मैं यही बताना चाहती हूं कि हमारे ऊपर कितनी भी कष्ट आए संकट आए।
हमें ईश्वर की ऊपर विश्वास आस्था कभी नहीं खोना चाहिए एक न एक दिन आएगा जिसमें हमें भी सुकून मिलेगा और हम दूसरों की मदद करेंगे उनका विश्वास नहीं तोड़ेंगे यकीन हमारे साथ भी अच्छा ही होगा।
विधि जैन