अपने तो अपने होते हैं..….….. – भाविनी केतन उपाध्याय 

 

” किस के फोन की घंटी बार बार बज रही है मैं आप से पूछ रही हूॅं…” सरिता ने अपने पति मनीष से कहा।

 

” किसी का भी नहीं….” कहते हुए मनीष फोन बेड पर रख वॉशरूम में गया। तभी फिर से फोन की घंटी बजी, सरिता ने नाम में देखा कि उसके देवर रोहित का फोन बार बार लगातार आ रहा है पर वो उठाए कैसे मनीष की इजाज़त के बगैर…!! 

तभी मनीष वॉशरूम से बाहर आया, सरिता ने फोन पर नाम दिखाते हुए कहा,” ये तो रोहित भैया का फोन आ रहा है बार बार, आप उठाते क्यों नहीं ? कुछ परेशानी होगी तब ही ये बार बार फोन कर रहे हैं ।”

सरिता की बात सुनकर मनीष को झटका सा लगा कि कहीं सचमुच में कुछ अनहोनी तो नहीं हुई होगी ? मनीष ने तपाक से फोन उठा कर स्पिकर पर रख दिया, सामने से रोहित ने कहा कि, भैया….. भैया …”

” अब भैया…. भैया ही बोलता रहेगा कि आगे कुछ और भी बताएगा ?” मनीष ने झुंझलाते हुए कहा ।

” भैया, मैं और बाकी सब घरवाले अभी अस्पताल में हैं, हमारी छुटकी को उन्होंने बेरहमी से पीटने के बाद घर से निकाल दिया ” कहते कहते रोहित फफक फफक कर रो पड़ा।

” क्या हुआ हमारी छुटकी को ? कौन से अस्पताल में भर्ती कराया है उसे ? तुम लोग वहीं ठहरो हम दोनों अभी आते हैं ” कहते हुए मनीष ने कार की चाबी ली और सरिता को कुछ पैसे साथ में लेकर साथ चलने को कहा। दोनों आनन फानन में अस्पताल पहुंचे, जहां छुटकी को एडमिट कराया गया है ।




सरिता और मनीष को देख रोहित दौड़कर उसके गले लग कर रोने लगा और मनीष की बार बार माफ़ी मांगने लगा,” भैया, आप सच कह रहे थे,उस दिन मैंने आप की बात को समझा ही नहीं, अगर सच में उस दिन मैंने आप की बात को समझा और माना होता तो आज हमें यह दिन देखना नहीं पड़ता ।” 

” कोई बात नहीं, तुम्हें अपनी ग़लती का अहसास हो गया यहीं बहुत हैं मेरे लिए । अच्छा अब क्या हुआ ये सब बातें बता जिससे आगे क्या करना है वो पता चलें ” मनीष ने अपने छोटे भाई को एक पिता की तरह सहलाते हुए कहा ।

” भैया, भाभी आप लोगों के समझाने के बावजूद भी हमने छुटकी की शादी उसी लड़के के साथ करवा दी जिससे आप लोगों ने मुझसे रिश्ता तोड खुद को दरकिनार कर दिया हमसे । पहले तो शुरुआत में उन लोगों ने छुटकी को बहुत अच्छी तरीके से रखा फिर धीरे धीरे दिन प्रतिदिन उनकी मांगे बढ़ती गई।

जब छुटकी ने उन लोगों का विरोध करना शुरू किया तो उसे मारपीट करने लग गए हद तो कल रात उन्होंने कर दी, छुटकी के सामने कार की मांग कर दी, छुटकी ने हमसे कहने को और बात करने से मना कर दिया तो उसके ऊपर कैरोसीन छिड़कने लगे साथ ही मारपीट भी करते रहे पर ना जाने क्यों छुटकी में इतनी हिम्मत कहां से आ गई वो इस बदहवास हालत में ही घर के बाहर भाग आई ।

जितना भाग सकती थी वो भागी और वो लोग उसका पीछा करते रहे पर छुटकी जब बीच रोड़ पर ही गिर गई और लोगों का जमावड़ा शुरू हुआ तो वो लोग चुपचाप उधर से निकल गए, छुटकी को इस हालत में छोड़कर…!! किसी ने पुलिस को इत्तिला दी तो पुलिस ने केस दर्ज कर छुटकी को अस्पताल पहुंचाया जहां छुटकी की सांसें बस चल रही है ” कहते हुए रोहित फिर से रोना शुरू कर दिया। 

मनीष ने अपने भाई को गले लगाते हुए कहा,” अब हमारी छुटकी को कुछ नहीं होगा देखना। उसके बड़े पापा उसके साथ है तो दुनिया में उसका बाल कोई बांका नहीं कर सकता समझें..!! और इस वक्त अपने ही तो अपनों के काम आते हैं और कोई नहीं समझा..!! अब चिंता मत कर।”

तब तक सविता उसकी देवरानी और बच्चों को संभाल चुकी थी। यह सब देखकर अस्पताल का स्टाफ सोच रहा था सच में अपने तो अपने होते हैं जो हर सुखदुख में एकसाथ खड़े होते हैं ।

स्वरचित और मौलिक रचना ©®

धन्यवाद

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