अपना वक्त हम कैसे भूल जाते हैं.. – रश्मि प्रकाश 

“ राशि कल सुबह जल्दी उठ जाना …सुबह के पाँच बजे पूजा तुम्हें ही करनी है…इस घर का यही नियम है …याद रहे नही कर तैयार हजाना ….पहली पूजा तुम्हें ही करनी है ।” जेठानी की बात याद करते हुए राशि चार बजे का अलार्म लगा सो गयी 

सुबह जब अलार्म बजा …. नींद में ही वो अलार्म बंद करके अपनी चादर में फिर से सिमट गई… 

सुबह की नींद वैसे ही सबको बहुत प्यारी होती है… फिर जिसे देर तक सोने की आदत हो वो कैसे जल्दी उठ सकता है…. राशि कल हीब्याह कर आई थी अभी मायके की गलियों से निकले ज़्यादा वक्त तो हुआ नहीं था…। यूँ तो नई जगह पर नींद कहाँ आती पर थकान कीवजह से वो जल्दी ही सो गई थी और ये ध्यान ही नहीं रहा कि वो ससुराल में है… बस फिर क्या था वो कुछ देर और सो गई….

“ राशि उठो… “ दरवाज़े पर दस्तक के साथ फुसफुसाहट सुनाई दे रही थी 

“ क्या है कोई सोने भी नहीं देता।” कह ज्यों ही चादर लपेट करवट बदलने को हुई सामने निकुंज को देख हड़बड़ा कर उठी ….उइई माँ येतो ….

उफ़्फ़ पाँच बजने वाले हैं…. दरवाज़े पर अभी भी राशि का नाम सुनाई दे रहा था 

दरवाज़ा खोल कर देखी तो सामने जेठानी खड़ी थी…

“ लगता है देवर जी ने रात भर जगाए रखा जो नींद नहीं खुल रही तुम्हारी… कब से दरवाज़ा खटखटा रही हूँ…चलो जल्दी से नहा कर आजाओ… नहीं तो ..।”बात वहीं छोड़ राशि को जल्दी आने बोल उसकी जेठानी चली गई 

राशि फटाफट नहा कर जैसे तैसे साड़ी लपेट कर पूजा स्थल पर पहुँच गई…. शादी में आई लगभग सभी औरतें वहाँ एकत्रित थी …

“ नई बहू पहले दिन ही देरी कर दी… और ये क्या साड़ी भी बाँधनी नहीं आती तुम्हें…. अरे कुछ सीखो अपनी जेठानी से…. वैसी बहू बनोजो सबके दिल पर राज करे…।” बुआ सास के एक एक शब्द राशि को तीर की भाँति चुभ गए थे 

फिर भी मन मसोस कर वो बस इतना ही कह पाई“ जी बुआ जी गलती हो गई आगे से ध्यान रखूँगी ।”

राशि की जेठानी जल्दी जल्दी पूजा की सब तैयारी कर राशि को पूजा करने कह रही थी….. सासु माँ एक किनारे पर सबके साथ बैठीहुई थी….

पूजा समाप्त कर राशि ने सबके पाँव छूकर आशीर्वाद लिए तभी जेठानी रति ने कहा,“ राशि पहली रसोई भी निपटा लो…. फिर बहुतलोग चले जाएँगे तो शिकायत करते रहेंगे छोटी बहू ने हमें कुछ बना कर खिलाया भी नहीं…तुम्हें जो आसान लगे वो बना लो…. बाक़ीखाना बनाने को कमला है वो कर लेगी।” 

राशि ठीक है कहकर रसोई की ओर चल दी….कहाँ से क्या शुरू करें कुछ समझ नहीं आया….. पहले कभी रसोई की ज़िम्मेदारी निभाईहो तो जाने… 

कमला ने धीरे से कहा,“ नई बहू आप बस सब्ज़ी और खीर चला दो और पाँच- छह पूरियाँ तल लो बाक़ी मैं सँभाल लूँगी आप सबकोखिला देना…. जब बड़ी बहू आई थी तो उन्होंने भी यही किया था….।”

कमला की बात सुन राशि ने वैसे ही किया पर ये क्या जब सब खाने बैठे तो बुआ जी और ताई जी ने साथ में कहना शुरू कर दिया,“ येक्या नई बहू…. तुमने कुछ बनाया ही नहीं ये सब तो कमला ने ही बनाया है…. भई हम तो तुम्हारे हाथ के खाने का स्वाद लेने बैठे थे….. पर कोई नहीं ये लो शगुन रख लो…. ।” 

“ राशि तुमने बताया क्यों नहीं तुम्हें कुछ भी बनाने नहीं आता …. नहीं तो मैं मदद कर देती।” जेठानी पास आकर धीरे से बोली 

तभी कमला और पूरियाँ लेकर आती हुई सब सुन कर बोली,“ नई बहू को सब कुछ बनाने आता है….. वो तो जब बड़ी बहू आई थी तोउन्होंने जैसा किया वहीं मैं छोटी बहू से कह दी…. फिर घर की मालकिन ने भी मुझे यही कहा हुआ है बहुओं की मदद करना…..अरे अभीअभी तो आई है नई बहू…. वो भी बना कर खिला देंगी आप सब काहे चिंता करती है….. लो नई बहू पूरियाँ डाल दो सबकी थाली में…।” 

राशि चुपचाप पूरियाँ डालते हुए सास के पास जब आई तो उन्होंने उसे एक हार देते हुए कहा,“ बहू मुझे निकुंज ने पहले ही बता दिया थाकि तुम एक बेटी बन कर इस घर आना चाहती हो…. मेरे बस में होता तो मैं कभी भी तुम्हें इतनी सुबह नहीं जगाती….मुझे ख़ुशी हुई कितुमने कोशिश तो की….जानती है दीदी …. राशि को भी आपकी तरह जल्दी उठने की आदत नहीं है पर जैसे अब आप उठ जाती है कलको मेरी बहू भी उठ जाएगी….. और हाँ सलीक़े से साड़ी तो हम भी शुरू में नहीं पहन पाते थे पर अब देखो….. और तुम बड़ी बहू…. तुमनेराशि की मदद करने की ज़रूरत नहीं समझी…. जब तुम आई थी तो क्या मैं साथ खड़ी नहीं थी…..? फिर आज तुम उसे उलाहना कैसे देदी…. तुम दोनों मेरी बहुएँ हो…. उम्मीद करूँगी साथ मिल कर चलो…. एक की कमी को कम करने की कोशिश करो…उसे उजागर करनेकी नहीं…… बहुत देर से देख रही थी सबकुछ …सोचा शायद अब सब बदल गया होगा पर नहीं हम अभी भी आने वालीं बहू में कमियाँ हीतलाशते रहते हैं ये क्यों भूल जाते हैं कि हम भी कभी नई बहू बन कर आए थे…..?”

राशि सासु माँ के मुँह से ये सब सुन कर दंग रह गई वो तब से यही सोच रही थी….. सब बोल रहे पर सासु माँ क्यों चुप बैठी है….. शायदवो सब जानती थी इसलिए वक़्त का इंतज़ार कर रही थी….

राशि की जेठानी को भी एहसास हो रहा था जब वो आई थी तो सासु माँ ने कितने अच्छे से सब सँभाल लिया था और इस बार वो बोलचुकी थी नई बहू को कोई कुछ कहे नहीं इसका ध्यान रखना….. नया रिश्ता प्यार से शुरू करना है किसी तकरार से नहीं….. वो राशि काहाथ पकड़ कर उसके साथ होने का आश्वासन देते हुए गले लगा ली।

ताई जी और बुआ जी राशि की सास की बात सुन चुपचाप खाने लगी….. दोनों को पता था वो अपने बच्चों की बुराई सुनना पसंद नहींकरती चाहे वो बेटा हो बेटी हो या फिर बहू ही क्यों ना हो….

आज के समय में बहुत कम घर ऐसे मिलेंगे जहाँ लोग प्यार से रहते हो… और जो मिल जाए लोग तनाव पैदा करते देरी नहीं करते।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

# वक्त

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