अक्सर होता वही है, जो ईश्वर चाहता हैं!! – मनीषा भरतीया

आज सुबह से ही शीला बहुत खुश थी क्योंकि पूरे 2 साल बाद उसके पति पंकज घूमने जाने का प्रोग्राम बना रहे थे….. आज से पूरे 2 महीने बाद जाने का प्रोग्राम तय हुआ था पंकज ने कहा था कि वह आज शाम ऑफिस से आकर  फ्लाइट की टिकट और होटल बुकिंग करेगा और साथ ही साथ कितने दिन कहां पर रुकना है यह भी तय करेगा।” वैसे तो उसके पति को और उसको दोनों को ही घूमने फिरने का बहुत शौक था लेकिन पंकज का ऑफिस का कुछ काम होने के कारण इस बार 2 साल के बाद प्रोग्राम बन रहा था और साथ ही साथ इस टि्प में इस बार उसकी दीदी का परिवार और मम्मी भी शामिल हो रहे थे….. इसलिए उसकी खुशी दुगनी हो गई थी यह सोच कर कि कैमरे में अब सिर्फ तीन लोग नहीं होगें बल्कि 8 जन होंगे.. और सब साथ होंगे तो मजा भी दुगना आएगा।

इस बार सभी दार्शनिक स्थल जैसे -केदारनाथ  बद्रीनाथ और उत्तराखंड,  घूमने जाने का प्रोग्राम बन रहा था…. क्योंकि मम्मी और दीदी की  घूमने जाने की पहली प्राथमिकता वही थी…. ” पंकज हमेशा दो-तीन  महीने पहले ही प्लान करते थे क्योंकि उनका मानना था कि टाइम पर प्रोग्राम बनाने से एक तो पैसे भी ज्यादा लगते हैं और प्लान नहीं करने की वजह से ठीक से हर जगह घूमना भी नहीं हो पाता।

पंकज की इस आदत से उसके रिश्तेदार सहमत नहीं थे जब भी वह साथ में घूमने जाने का प्रोग्राम बनाने की बात करते हो तब सब यही कहते कि आप तो दो-तीन महीने पहले प्रोग्राम बनाते हैं….इसलिए हम तो आपके साथ शामिल नहीं हो सकते और फ्लाइट की टिकट भी आफर में लेते है मान लीजिए अचानक कोई काम आ जाए या कोई मुसीबत आन पड़े तो आदमी का जाना नहीं हो पाता…. जिसकी बजह से फ्लाइट की टिकिट के पूरे पैसे भी बर्बाद हो जाते हैं, इससे तो अच्छा है कि एक हफ्ता पहले या तत्काल टिकट ले ले। वैसे भी जरूरी नहीं है कि आदमी टिकट बना ले तो घूमना हो ही जाए….. अक्सर होता वही है, जो ईश्वर चाहता है।

भगवान की मर्जी के बिना एक पत्ता भी इधर से उधर नहीं होता… ” यह सुनकर पहले तो पंकज हंसता और और फिर कहता कि ऐसा कुछ नहीं है मम्मी जी, दीदी, भैया जी, पापा जी और मेरे सभी प्रियजनों, ” ऐसा कुछ नहीं ….भगवान हमारे घूमने जाने में रोड़ा क्यों अटका एंगे? ? यह कोई शादी या जमीन जायदाद का मामला नहीं है जो भगवान की मर्जी जब होगी तब होगा….. सब कुछ ठीक होगा आप निश्चिंत होकर हमारे साथ प्रोग्राम बनाइए मैं आपको विश्वास दिलाता हूं….काफी मशक्कत के बाद वो इस बार दीदी को अपनी बातों से मनाने में कामियाब हो गये थे…. और जब मम्मी ने देखा कि  सरिता ने हां कर दी तो उन्होंने भी अपनी मंजूरी दे दी। अब तो बस इंतजार था शाम होने का, जब पकंज टिकट लेने वाले थे… आखिरकार इंतजार की घड़ियाँ खत्म हुई, पकंज आफिस से आए और उन्होने फ्लाइट की टिकट ले ली और होटल भी 0 रूपया केंसिलेशन पर बुक हो गया ओर साथ ही साथ ये भी तय हो गया कि फ्लाइट से उतरकर कार से कैसे कैसे जाना है, और कहाँ कहाँ कितना रूकना है। सब तय होने के बाद पंकज ने पूछा की अरे खाना मिलेगा या नही, या खुशी के मारे तुमने खाना बनाया ही नहीं है?? वैसे भी घुमने 2 महीने बाद जाना है। तब शीला ने कहा अरी बाबा मुझे पता है…. मैं अभी खाना लगाती हूँ। फिर पंकज, शीला और संजू ( उनका बेटा) तीनों ने खाना खाया ओर सो गये।


दूसरे दिन सुबह शीला पंकज को उठाने गयी क्योंकि 9 बज चूके थे…. और पंकज अभी उठा नही था… ” तो शीला ने कहा कि आज आंफिस नही जाना क्या?? 9 बज चूके है… कब उठोगें, कब नाश्ता करोगे??   तब पंकज ने कहा शीला आज ऑफिस नहीं जाऊंगा आज बाइक मॉडिफिकेशन के लिए जाऊंगा. संजू को लेकर तब शीला ने कहा ठीक है….. फिर पंकज और संजू तैयार होकर बाइक मोडिफिकेशन के लिए निकल गए. …. सब कुछ ठीक ही था बाइक में जो भी चेंज कराना था…  सब हो चुका था बस एक आध समान बाकी था जो कई दुकान में पूछने के बाद भी नहीं मिल रहा था…तब पंकज ने अपने बेटे से कहा कि तुम आगे बढ़कर रोड क्रॉस करो…..”मैं बाइक को स्टेंड करके आता हूं….”क्योंकि सब दुकानें थोड़ी थोड़ी दूरी पर ही है बार-बार रोक कर  देखने से अच्छा है हम  पैदल ही देख लेते हैं…. ” तो संजू ने कहा ठीक है….. ” कहकर आगे बढ़ने लगा…. बह थोड़ा ही आगे बढा़ था…. ” उसे जोर से गिरने की आवाज आई. … पलटकर देखा तो पंकज ( संजू के पापा) के  पैर के ऊपर बाइक पड़ी हुई थी….”और वह बेहोश थे…. दर्द ज्यादा होने की बजह से पंकज बेहोश हो गये थे।” पहले तो संजू  को कुछ समझ नहीं आया कि क्या करें? ?आखिर वह भी तो छोटा ही था 16 साल की उम्र थी….  लेकिन फिर उसने अपनी बैग से एक पानी की बोतल निकाली और पंकज के मुंह पर पानी के छींटे मारे  जिसे पंकज थोड़ा-थोड़ा होश में तो आ गया लेकिन उसकी उठ कर चलने की हिम्मत नहीं थी….. तब संजू को स्थिति समझते देर नहीं लगी और उसने बिना वक्त बर्बाद किए आसपास के दुकानदारों से पूछा कि यहां 1 किलोमीटर या 500 मीटर की दूरी पर कोई हॉस्पिटल है….क्या पापा को इमरजेंसी में एडमिट करना पड़ेगा? ?? ” तब एक दुकानदार ने कहा कि हां यहां से 500 मीटर की दूरी पर एक हॉस्पिटल है….. ” फिर संजू जल्दी से एक रिक्शा ले आया और एक दो दुकानदारों की मदद से किसी तरह अपने पापा को रिक्शा में बैठाया और हॉस्पिटल ले गया….. हॉस्पिटल जाते ही  पंकज को इमरजेंसी में एडमिट ले लिया गया…… पंकज का दर्द की बजह से बीपी भी लो हो गया था….. ” इसलिए सबसे पहले डॉक्टर ने 2 इंजेक्शन देकर बीपी कंट्रोल किया और दर्द को कम किया….. और पैर का एक्स रे निकाला..  फिर 2 घंटे बाद जब पंकज को होश आया तो उसने और उसके बेटे संजू ने पूछा कि पैर में कोई फ्रैक्चर तो नहीं है तब डॉक्टर ने कहा कि एक्सरे में तो ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है….अगर पूरी जानकारी चाहिए तो इसके लिए तो m.r.i. करनी पड़ेगी तभी हम बता पाएंगे कि पैर में फ्रैक्चर है या नहीं संजू ने कहा जो भी करना है कीजिए …..बस पापा ठीक हो जाए। तब  डॉक्टर ने कहा कि रिपोर्ट आने में कल सुबह हो जाएगी इसलिए अच्छा होगा कि आप अपने घर के नजदीक  किसी हॉस्पिटल में एम आर आई करा ले …. मैं प्रिसक्रिप्शन में एम आर आई लिख देता हूं ….अभी दर्द कम हो गया है आप इन्हें टैक्सी से घर ले जा सकते हैं …. ” क्योंकि अगर आप रिपोर्ट यहां कराएंगे तो आपको रिपोर्ट लेने कल सुबह यही आना पड़ेगा और पता भी आपको कल ही चलेगा ” तब संजू ने कहा ठीक है कहकर वो टैक्सी लेने चला गया… “फिर  संजू ने पंकज को टैक्सी में बिठाया और निकल गया थोड़ी देर बाद उसने टैक्सी रोकी अपने घर के नजदीकी हॉस्पिटल के पास और एम आर आई कराई…और घर के लिए निकल गया ” फिर जैसे ही पंकज और संजू घर पहुंचे तो पंकज की ऐसी हालत देखकर शीला घबरा गई और पूछा की क्या हुआ ? ?? तो संजू ने सब कुछ विस्तारपूर्वक बताया और साथ में यह भी बताया  कि मैंने फोन इसलिए नहीं किया कि सुनकर मां आप घबरा जाओगी और आने के लिए जिद करोगी ” अब तक इंजेक्शन का असर भी खत्म हो चुका था पंकज अपना पैर हिला  भी नहीं पा रहा था ” रात को किसी तरह डॉक्टर ने जो पेन किलर दी थी वो खाकर निकाली फिर दूसरे दिन संजू रिपोर्ट लेकर आया और हड्डी के डॉक्टर के पास सब  पंकज को दिखाने चले गए….डॉक्टर ने रिपोर्ट देखते ही कहा कि पैर का लिगामेंट ब्रेक हो गया है आपको सर्जरी करानी पड़ेगी और पैर को ठीक होने में कम से कम 4 महीने लगेंगे ” यह सुनते ही सब के पैरों के नीचे से जैसे जमीन खिसक गई हो कल तक जिस परिवार के चेहरे पर मुस्कुराहट और खुशी की लहर थी एक पल में ही सब कुछ मायूसी में बदल  गया “एक आंधी आई और सब कुछ पत्तों की तरह बिखर गया क्या सोचा था और क्या हो गया ….


खैर संजू और शीला ने नकली मुस्कान के साथ पंकज को हिम्मत बधा़ंते हुये कहा सबकूछ ठीक हो जाएगा।

दो दिन के अन्दर ही सारे टेस्ट करवाकर संजू और शीला ने पंकज को एडमिट करवाकर पंकज की सर्जरी करवा दी….

आज सर्जरी को चार महीने हो गये है। फीजिओथिरेपिस्ट की मदद से ओर एक्सरसाइज के बल पर पंकज फिर से पहले की तरह चलने फिरने लगा है…. और एक बात अच्छी तरह समझ चूका है कि ईश्वर की महिमा अपरंपार है वो जब तक नहीं चाहेगा इंसान अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकता भगवान के दरबार में भी भगवान की मर्जी के बिना नहीं जा सकता….

पंकज की आज भी पहले प्रोग्राम बनाने की आदत नहीं बदली है बस बदला है तो ये कि अब वो ट्रेन कि टिकिट लेते है जिसमें  ट्रेन छूटने के 24 घंटे पहले तक कैंसिल करने पर कुछ पैसे कटकर सारे पैसे रिफंड मिल जाते है।

दोस्तों आपको क्या लगता है?? क्या आप भी मानते है की ईश्वर की मर्जी के बिना एक पत्ता भी इधर से उधर नहीं होता?? अगर हां तो अगर आप इस स्वरचित कहानी से सहमत हो तो प्लीज कहानी को लाइक, कमेंट और शेयर करें, हो सके तो मुझे फालो भी करे मेरी अन्य रचनाओं को पढ़ने के लिए

धन्यवाद🙏💕

आपकी सखी

@ मनीषा भरतीया

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