अधूरी इच्छा – पूजा मिश्रा

आज फिर शिवांगी ने अपनी सहेलियो को स्कूल जाते देखा तो वह झाडू छिपाकर खड़ी हो गई ,वह उन्हें -बाय बाय कह कर अंदर चली गई ।

जब भी वह स्कूल जाते अपने साथ के बच्चों को देखती उसको बहुत बुरा लगता वह भी पढ़ना चाहती है परंतु पापा की बीमारी ने मम्मी को घरों में काम करने के लिये मजबूर कर दिया और उसे घर के कामो के लिये स्कूल छोड़ना पड़ा ।तीन छोटे भाई बहिन की जिम्मेदारी उसके चौदह साल के कंधों पर आ गई खाना बनाना घर साफ करना सब सुबह से करती ,मम्मी तो उठते ही चाय पीकर काम पर निकल  जाती थी ।

   आज उसकी माँ अनीता को बुखार था उसने शिवांगी को बंगला में और एक फ्लैट में भेजकर कहलवाया की वह नही आ पाएगी ,फोन में चार्ज के लिये पैसे नही थे इसलिये फोन पर बात नही हो पा रही थी ।

   चार नंबर बंगले में एक बुजुर्ग आंटी अंकल रहते थे उन्होंने पूछा -तुम किस क्लास में पढ़ती हो

आंटी मैं सातवी में पढ़ती थी पर अब इस साल से स्कूल छूट गया है

क्यो स्कूल क्यों छोड़ा ?

मम्मी काम पर आने लगी तो घर के काम अब मैं करती हूँ 

क्या तुम पढ़ना चाहती हो ?

हाँ आंटी मेरी सहेलिया स्कूल जाती हैं उनको देखकर मुझे बुरा लगता है कहते हुए शिवांगी के आंसू आ गए ।




 तुम घर के काम करने के बाद आ सकती हो तो मैं देखू की तुमको कितना आता है आगे हम तुम्हे पढ़ाई करवाने के लिये तुम्हारी माँ से बात करेंगे ।

  आंटी की बात सुनकर वह खुशी से उनका काम करने लगी चलते हुये पूछा – आंटी क्या –  कल से आ जाय पढ़ने ?

हाँ बेटी कल से तीन बजे आना साथ मे अपनी कापी

किताब भी लाना ।

आज शिवांगी बहुत खुश थी उसने जल्दी जल्दी खाना बनाया घर साफ करके मा से बोली -मम्मी तीन नंबर बंगले की आंटी मुझे पढ़ाया करेंगी एक घंटे के लिये रोज मुझे जाना है ।

पढ़ कर क्या टीचरी करोगी पहले रोटी और कपड़ा चाहिये हम उसी के लिये जाते हैं तुम्हारे पापा की दबा दारू देखे

तुम सबका पेट भरे कि तुमका पढ़ाये ।

मम्मी सरवन भी तो स्कूल जाता है उससे कहो वह भी घर का काम करे ।

तुम लड़का की सरीकत करोगी  ,सर्वनॉ घर का काम करी

ओइ लड़का है मर्द बाहर के काम को होते हैं समझउ

 अपनी इक्षा को मारकर शिवांगी ने किताबे रख दी ।

              पूजा मिश्रा   ।।

 

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