अब हुआ ना हिसाब बराबर – सविता गोयल

” अरे बोला ना साॅरी ….. अब क्यों बेफालतू में बात को बढ़ा रही हो ?? चलो…. अपना हुलिया थोड़ा ठीक करो और बाहर चलो। सब वेट कर रहे हैं । ,,  

थोड़ी देर पहले ही अजय ने सबके सामने रूपाली को  थप्पड़ मारा था । कारण ये था कि आज अजय और रूपाली की शादी की सालगिरह के उपलक्ष्य में घर पर छोटी सी पार्टी थी जिसमें सभी रिश्तेदार और घर वाले मौजूद थे।  रूपाली ने अपनी ननद को चाय बनाने के लिए कह दिया था जिससे वो भी पार्टी के लिए तैयार हो सके …..  रूपाली की सास को ये बर्दाश्त नहीं हुआ कि मेहमान बनकर आई हुई बेटी को बहू ने काम करने के लिए कह दिया।

जब सास ने रूपाली को इसके लिए डांट लगाई तो रूपाली बोल पड़ी, ” मम्मी जी, दीदी कोई मेहमान थोड़े ही हैं, इस घर की बेटी हैं … और चाय बनाना कौन सा बड़ा काम है । ,, 

रूपाली के इतना कहने की देर थी कि सास ने चिल्ला चिल्ला कर सारा घर सर पर उठा लिया कि बहू मुझसे जुबान लड़ा रही है। इतना सुनते ही अजय ने बिना कुछ सोचे समझे सबके सामने रूपाली को जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। 

  रूपाली को थप्पड़ के दर्द से ज्यादा सबके सामने अपमानित होना ज्यादा चुभ रहा था। वो सुबकते हुए कमरे में भाग गई। सभी मेहमान आ चुके थे लेकिन रूपाली अभी तक कमरे से बाहर नहीं आई तो सब रूपाली के बारे में पूछने लगे।  

सास ने इशारे से बेटे को बहू को बाहर लाने के लिए कहा नहीं तो सबको क्या जवाब देते । अजय को भी लगने लगा कि अब यदि उसने रूपाली से माफी नहीं मांगी तो सबके सामने उसकी बेइज्जती हो जाएगी  । यही सोचकर अजय रूपाली को मना रहा था 

” छोड़ो ना रूपाली , तुमने मां और दीदी की बेइज्जती की तब  गुस्से में मेरा हाथ उठ गया। हिसाब बराबर हो गया ,,

रूपाली का दिल भीतर ही भीतर रो रहा था। जिस खुशी वैवाहिक जीवन के एक साल पूरे होने की खुशी में ये पार्टी रखी गई थी उसमें उसकी खुशी और सम्मान कहां  है …… ? क्या सबके सामने इस तरह थप्पड़ मारने के बाद अकेले में साॅरी बोलने से हिसाब बराबर हो गया ? ,,

   रूपाली की मुट्ठी गुस्से और अपमान के कारण कस रही थी। उसका सारा शरीर कांप रहा था। वो उठी अपने आंसू पोंछे और अजय की तरफ देखा। अजय की आंखों में कोई पछतावा या मलाल नहीं था। वो तो रूपाली को उठते देख कुटिलता से मुस्कुरा रहा था ।




रूपाली खड़ी हुई अजय के पास आई और खींच कर एक थप्पड़ उसके गालों पर जड़ दिया।  अजय अवाक सा अपने गालों को सहलाते हुए गुस्से से रूपाली को देखने लगा तो रूपाली दूसरे ही पल सामान्य होते हुए बोली, ” ओह!! साॅरी अजय, पता नहीं कैसे हाथ उठ गया।  साॅरी……. , अब चलो भी सब बाहर वेट कर रहे होंगे … ,,

कहकर रूपाली मुस्कुराते हुए बाहर की ओर चल दी। अजय भी अपने गुस्से और अपमान को छिपाते हुए चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए बाहर आने को मुड़ा। दरवाजे पर उसकी मां और बहन खड़ी थी जो कुछ भी ना देखने का नाटक कर रही थीं  । अजय चुपचाप कमरे से निकल कर रूपाली के पीछे चल दिया।

रूपाली मन ही मन सोच रही थी,

” अब हुआ ना हिसाब बराबर”

सविता गोयल

S P 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!