अब बहू घर के तौर तरीके सीख गई है। – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

पवन ने बहुत बार अपनी माताजी और बहनों को समझाया भी था कि उसकी पत्नी रानी को घर का इतना काम करना नहीं आता।वह बहुत थक जाती है और रोती रहती है।  उससे घर का इतना काम ना करवाया करो।  पवन तो यह कह कर चला जाता था परंतु पराई लड़की ने मेरे बेटे और भाई को बहका लिया,

ऐसा विचार मां बहनों के मन में आ जाता था  उसके बाद रानी अगर रसोई में आकर कोई भी काम करना  चाहे तो भी रूठी हुई बहने खुद वह काम करने लग जातीं थी और बोलती आप भैया को शिकायतें करती हो। कई बार घर में सबका मौन रहना ही रानी को अपने ही घर में अलग था थलग कर देता था। 

       रानी के विवाह को अभी 6 महीने ही हुए थे। मायके में रानी का पूरा समय पढ़ाई में ही जाता था। उसका केवल एक छोटा भाई था और घर में हर काम के लिए नौकर थे। ग्रेजुएशन करने के बाद सरकारी नौकरी करने वाले पवन का रिश्ता मिलते ही उसके पापा मम्मी ने मौका नहीं गंवाया और उसका विवाह पवन के साथ कर दिया।

पवन के परिवार में पवन के अतिरिक्त ‌ उसकी दो बहने और एक छोटा भाई था। बड़ी बहन का तो विवाह हो चुका था , छोटी बहन और भाई स्कूल में ही पढ़ रहे थे। विवाहित बहन भी घर नजदीक होने के कारण अक्सर मायके में ही आई रहती थी। वर्मा जी का मानना था कि घर के काम तो सबके अपने ही होते हैं इसलिए घर के काम के लिए थोड़े ही कोई नौकर होते हैं। 

       ऐसा नहीं था कि रानी को कोई घर का काम ना आता हो या कि उसको ही सारा काम करना पड़ता हो परंतु   यह एक ऐसा घर था जिसमें कि सुबह से ही पवन के भाई बहनों के लिए टिफिन का खाना बनना होता था उसके बाद पवन के लिए दफ्तर का टिफिन वर्मा जी दुकान पर जाने से पहले 10:00 बजे तक खाना पैक करना होता था। 

फिर झाड़ू पोछा, बर्तन करके किसी तरह से काम 12:00 तक सिमटता था तो दोपहर में पवन के भाई बहनों के स्कूल से आने के बाद उनका लंच इत्यादि फिर काम शुरू हो जाता था। शाम को रानी सोचे कि वह अच्छे कपड़े पहन कर थोड़ा घूमने फिरने पवन के साथ कहीं जाए परंतु उससे पहले ही दोपहर के ढेर सारे बर्तन मांजने को हो जाते थे,

कपड़े धोने उठाने सूखाने और फिर रात का खाना शुरू हो जाता था। विवाह के बाद जैसा कि सुना देखा और सोचा था, वैसा तो कुछ भी नहीं था। घर में काम ही काम। घर के रूटीन से अलग कभी भी कोई भी मेहमान आ जाए तो  मुश्किलें और भी बढ़ जाती थी। रानी को काम करने की समझ तो थी नहीं इसलिए वह सवेरे से शाम तक अत्यधिक व्यस्त रहकर कई बार तो बीमार भी हो जाती थी और फिर उसे अपने मायके जाना पड़ता था।

        हमेशा के जैसे अब के भी अत्यधिक थकान और परेशानी के कारण जब उसकी तबीयत खराब हुई और वह मायके गई तो उसकी मौसी भी आई हुई थी। मौसी ने रानी को समझाया कि विवाह केवल पति-पत्नी का ही संबंध नहीं होता विवाह में पूरे परिवार के साथ संबंध जोड़ा जाता है। ससुराल की सारी बातें जानकर उन्होंने रानी को समझाया कि तुम्हारी सबसे बड़ी गलती यह है कि तुमको अपने ही कामों को प्रबंधित करना नहीं आता और तुम यह सोचती हो कि तुम्हारे पति तुम्हारे लिए बोलें।

तुम उस घर की बहू और भाभी हो। जैसे तुमको पवन अपना लगता है ऐसे ही घर के और सदस्य भी तुम्हारे अपने हैं अपनी समस्याएं खुद उन्हें समझाओ और खुद ही निवारण करने की कोशिश करो। तुम्हारे घर में सबसे अच्छी बात यह है कि सब अपना काम स्वयं करते हैं अपने कपड़े स्वयं धोते हैं।‍  तुम्हारे पति भी तो अपने दफ्तर  समस्याएं खुद ही झेलते होंगे।

उस घर में सब मिलजुल कर काम करते हैं तो तुम जितना काम कर सकती हो उतना करो। यदि फिर भी कोई समस्या है तो अपनी सासू मां के साथ बैठकर स्पष्ट करो। तुम खुद ही कहती हो कि घर में सफाई तुम्हारी ननद भी करती है। यहां तक कि बर्तन धोने में, सफाई में सब हाथ  बंटवाते हैं। तुमने कभी घर का काम होते हुए नहीं देखा और ना ही तुम्हें प्रबंधन आता है इसलिए तुम सारा दिन काम करती रहती हो और परेशान होती रहती हो।

शायद कुछ रानी को समझ ही आ गया होगा। 

       अबकी बार जब वह अपने ससुराल गई तो उसकी दिनचर्या ही बदल चुकी थी। वह सुबह उठती, अपना काम निपटा कर, साफ सफाई करके पवन के जाने के बाद आराम से अपने कमरे में आ जाती थी। दोपहर का लंच भी वह सुबह ही अपने कमरे में आने से पहले बना कर रख देती थी। अपने लिए अब उसको बहुत समय मिल जाता था।

अनावश्यक रूप से अब वह सबके काम में ना तो हस्तक्षेप करती थी और ना ही खुद तंग होती थी। थोड़ी बहुत परेशानी के साथ अब उसकी दिनचर्या निर्धारित हो चुकी थी।  सारा काम निपटा कर अपना और पवन का खाना अपने कमरे में ही लेकर आ जाती थी। अब दोनों आराम से अपना खाना खाते थे। अपनी हर समस्या वह सब को स्पष्ट कहती थी

कि एक बार मैंने पोंछा लगा दिया अब गंदा होने के बाद में यह जिम्मेदारी छोटी या बड़ी बहन की होगी। चाहे तो इन काम के लिए किसी को पैसे देकर भी रखा जा सकता है। धीरे-धीरे सब सही होने लगा और अब पवन को भी कई बार कोई बात मम्मी से कहने में डर लगता था तो वह  पवन का भी बचाव करने लगी थी।

    सासू मां से आज जब ताई सास ने रानी के लिए पूछा तो उन्होंने भी यही कहा कि अब तो बहू घर के तौर तरीके और घर में रहना अच्छे से सीख गई है। अब केवल पत्नी ही नहीं रह गई थी आज वह घर की बहू और भाभी भी बन चुकी थी।

मधु वशिष्ठ, फरीदाबाद, हरियाणा 

अब केवल पत्नी ही नहीं रह गई थी अब वह बहू और भाभी भी बन चुकी थी प्रतियोगिता के अंतर्गत।

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