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अब आप को मेरा बड़ा होने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा…. – भाविनी केतन उपाध्याय 

” मम्मा, ये सब ट्रेक्शन और डिवीजन नंबर समझ में नहीं आ रहा … समझा दो ना…” सात साल के जय ने अपनी मां अदिति को कहा । अदिति का पूरा ध्यान अपने लैपटॉप में ही है सो उसने जय की ओर ध्यान नहीं दिया।

जय ने दूसरी बार भी अपनी नोटबुक में देखते हुए ही कहा…. फिर भी अदिति ने कुछ जवाब नहीं दिया तो जय ने अपना मुंह फेर कर देखा तो उसकी मम्मा कुछ उलझन में उलझी हुई निगाहें लैपटॉप पर कुछ सोचती हुई नजर आई उसे…!!

जय ने अदिति को हिलाते हुए कहा,” मम्मा, कुछ परेशानी है क्या ? मैं कुछ मदद कर दूं ?”

अदिति से ना चाहते हुए भी मुंह से निकल गया कि,” जिसे मदद करनी चाहिए वो तो करते नहीं है…’

” मम्मा, आप परेशान मत होइए …. मैं हूॅं ना…. जब बड़ा हो जाऊंगा ना तो आप के हर काम में आप की मदद करवा किया करुंगा …” जय ने इतने प्यार और मासूमियत से कहा कि अदिति की जैसे सारी परेशानियां खत्म हो गई….

वो मुस्कुराते हुए जय के गले लग गईं और फिर कहा,” मेरे बेटे को अभी से अभी से मेरी चिंता है… पर आप छोटे मियां मेरी ज्यादा फ़िक्र मत करिए,जब तक तुम मेरे साथ कोई परेशानी मुझे छू सकतीं हैं क्या ?

अदिति ने लैपटॉप बंद किया और अपने और जय के लिए चाय,दूध और कुछ नाश्ता बनाने में लग गई तब तक जय के पापा मनीष भी घर आ चुका था…. उसने मां बेटे को हंसते हुए देखा तो पूछा,” क्या चल रहा है मां बेटे के बीच ?”

अदिति ने तो कुछ भी नहीं कह कर बात टाल दी,पर जय से रहा नहीं गया तो उसने कहा,” पापा, आप की मम्मा भी आप के बचपन में नौकरी किया करतीं थीं ?”

मनीष ने हंसते हुए कहा,” हॉं, मेरी मम्मा भी तुम्हारी मम्मा की तरह नौकरी किया करतीं थीं पर वो ऑफिस जाकर…!! घर पर रुक कर नहीं…!!” मनीष ने कहते हुए अदिति की तरफ ऐसे देखा कि वो उसे तंज कस रहा है….



” फिर तो पापा आप की मम्मा भी मेरी मम्मा की तरह ऑफिस और घर के काम के लिए परेशान होती होगी ?” जय ने कहा।

” नहीं ना,हम भाई बहन और पापा तीनों मिलकर मम्मा की मदद करवा दिया करते थे तो…..” कहते हुए मनीष रुक गया और अदिति की ओर देखने लगा।

” अच्छा फिर तो मुझे ही उनकी मदद करवानी पड़ेगी क्योंकि ना तो मेरी कोई बहन है और ना भाई…. और आप को तो मम्मा की मदद करवाना अच्छा नहीं लगता…” जय अपनी लय में कहता ही जा रहा है पर मनीष को लग रहा है कि वो उसे उसकी गलतियों का आईना दिखा रहा है।

मनीष ने जय को सीने से लगाते हुए कहा,” बेटे, बातों बातों में आज तुम ने मुझे मेरी ग़लती का अहसास करा दिया…. आज से हम दोनों मिलकर मम्मा की मदद करवा दिया करेंगे…अब तो खुश…. ” मनीष ने तुरंत ही अदिति से भी माफी मांग ली….

जय ने अदिति को गले लगाते हुए कहा,” मम्मा,अब तो मुझे मेरा बड़ा होने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा…”

जय की मासूमियत और प्यार से कहे गए इस वाक्य से मनीष और अदिति दोनों हंस पड़े।

दोस्तों, कभी कभी हम बड़ों को छोटे बच्चे भी अपनी ग़लती बता देते हैं तो उसका खुलकर स्वीकार कर के उस ग़लती को सुधारने का प्रयास करना चाहिए…. कहानी पसंद आए तो शेयर, कमेंट जरुर करे और मुझे फोलो भी करें 🙏🙏

स्वरचित और मौलिक रचना ©®

धन्यवाद,

आप की सखी भाविनी 

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