जल्दी-जल्दी पैकिंग करके सरला अपने मायके जाना चाह रही थी लगभग 2 साल हो गए थे मायके नहीं गई थी।
तभी मां की तबीयत खराब होती तो कभी भाई की लेकिन ससुराल से कभी भी छुट्टी नहीं मिलती ।
सरला यदि जाना चाहे तो मायके जा नहीं पाती ससुराल में इतना काम होता है।
काम तो जैसे तैसे सरला कर ही लेती थी कई बार कहती भी थी कि मम्मी आप एक बाई लगा लो… मैं जाती हूं तब वह आपका काम कर देगी ।
लेकिन सास कहती कि मुझे बाई के हाथ का खाना अच्छा नहीं लगता।
सरला आज बहुत खुश थी बहुत दिनों के बाद उसे लग रहा था कि मायके जा रही हैं ।
जैसे ही वह सामान पैक करके सीढ़ियां उतर ही रही थी कि सरला मंजू ने आवाज दी ..सरला कहां चली गई हो।
सरला ने कहा मैं आ रही हूं मां बेटा सुनो आज तुम्हारी नंद रितु आने वाली है ।
सरला ने कहा मम्मी मैं आपसे कल बात की थी कि मैं मायके जा रही हूं मैं 2 सालों से नहीं गई हूं ।
और मुझे अपनी मम्मी से मिलना है मेरी बहन भी ऑस्ट्रेलिया से आ रही है ।
मंजू ने कहा ठीक है मैं समझ गई हूं लगभग दो-चार दिन बाद चली जाना।
कोई तुम्हें रोक थोड़ी ना रहा है तुम्हें तो जब जाना है तब चली जाती है कभी तुम किटी पार्टी में चली जाती हो।
घूमने जाना है तब चली जाती हो और नंद भी तुम्हारी इतने दिनों बाद आ रही है।
और तुम मायके जाने की सोच रही है इतना सुनते ही सरला ने अपना सामान कमरे में जाकर पटक दिया।
और बिस्तर में जाकर लेट गई…अब भगवान के सामने रोने लगी कहने लगी.. कि मेरे से क्या गलती हो गई है।
जो मैं अपनी मम्मी पापा से नहीं मिल पाती हूं कितना जतन करूं।
फिर से आवाज सास देने लगी बेटा नीचे आओ… रितु आ गई है तभी सरला आंसू पूछते हुए सीधे किचन में चली जाती है ।
और सबके लिए पानी लेकर आती है और रीत के पैर छूकर बोलती है दीदी आप आ गई ।
बस इतना कहकर रितु को अपना सामान कमरे में रखने के लिए कहने लगती ।
तभी पीछे से सास कहती है कि रितु को सामान रखने क्यों बोल रही हो खुद जाकर रख लो ..सरला ने कुछ भी नहीं कहा -और किचन में फिर से काम करने लग गई।
काम करते-करते रात हो गई दूसरे दिन सबके फरमाइश थी की भाभी बहुत अच्छे साभंर बड़े बनाती है।
सरला ने सब की बात मानी और सांभर बड़े बना दिये।
इसी तरह से आम का पाना बर्फी शाम का खाना सब कुछ तैयार करके सरला अपने कमरे में पहुंची थी ।
कि थोड़ा रेस्ट कर लेंगे तभी नीचे से आवाज आती है की ऋतु की सहेलियां मिलने आई है।
जल्दी आओ नीचे और मैंगो शेक बना दो तभी सरला के मुंह से निकला कि मेरी मम्मी को तो “बहू नहीं चलता फिरता रोबोट” चाहिए था।
मैंगों शेक तो कोई भी बना सकता है लेकिन वह मुझसे ही बनवाएंगी फ्री का जो रोबोट मिल गया ।
जब घर में एक व्यक्ति काम का मिल जाता है तो कोई काम करना नहीं चाहता है छोटे से छोटा भी काम उसे व्यक्ति से कर लेते हैं।
और उसके बारे में कोई कुछ नहीं सोचता है कि उसको भी आराम चाहिए उसकी बॉडी को थोड़ी देर रेस्ट चाहिए।
यह दुनिया की रीत है सब उसको रोबोट ही समझते हैं।
विधि जैन