आपकी बेटी अब मेरी बेटी है – किरण विश्वकर्मा 

आभा को आज लड़के वाले देखने आ रहे है आभा देखने में जितनी सुन्दर है उतनी ही स्वभाव से भी अच्छी।सबकी जुबां पर आभा का ही नाम रहता।

निखिल ने जैसे ही आभा को देखा तो शादी के लिए तुरन्त हाँ कह दी।निखिल अपने मां-बाप की इकलौती संतान है।आभा भी बहुत खुश होती है और चट मंगनी पट ब्याह हो जाता है।

आभा विदा होकर ससुराल आ जाती है इतने बड़े घर को देखकर हैरान हो जाती है।

क्या हुआ क्या सोच रही हो ,वो मां जी मैं सोच रही थी कि इतने बड़े घर को साफ कैसे करूँगी।

तुम चिंता मत करो कामवाली आती है वो साफ-सफाई और बरतन धो देगी सिर्फ तुम्हे खाना बनाना है।चलो अच्छा आज तुम्हारी पहली रसोई है कुछ मीठा बना दो।

आभा की बनाई खीर सबको बहुत पसंद आती है।सभी लोग आभा की सास रेखा से कहते हैं तुमने बहू  बहुत अच्छी पाई है जो सुन्दर होने के साथ-साथ गुणी भी है।

निखिल प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है।सुबह दस बजे जाना और रात के नौ बजे आना।रविवार को छुट्टी रहती।

रविवार की शाम को दोनो लोग घूमने चले जाते।



एक दिन आभा रेखा से पूछती है कि दिन में मेरे पास खाली समय रहता है तो क्या मै ब्यूटीशियन का कोर्स कर सकती हूँ,मेरा बहुत मन था।

रेखा कहती है बिल्कुल सीख सकती हो।ये तो अच्छी बात है।

एक दिन निखिल को आने में देर हो जाती है आभा पूछती है कि इतनी देर क्यू कर दी और ये क्या तुमने शराब पी रखी है ।लेकिन निखिल आभा की बातों को अनसुना कर सो जाता है।

सुबह जब नशा उतरता है तो आभा से माफी मांगता है।आभा निखिल को माफ कर देती है।लेकिन अब अक्सर निखिल पी कर घर आने लगता है।

आभा सोचती है अब पानी सर से ऊपर आने लगा है,मां-पापा को बताना ही पड़ेगा।

वह दोनो भी बहुत समझाते हैं पर निखिल को शराब की लत लग जाती है।उसकी नौकरी भी छूट जाती है।अब वह दिन-रात नशे में धुत रहता आखिर में उसे नशामुक्ति केंद्र भेज दिया जाता है और वह सही हो जाता है।



लेकिन थोड़े दिनों के बाद फिर से शराब पीना शुरू कर देता। आभा निखिल को हर तरीके से समझाती पर निखिल पर कोई असर नही होता।

एक दिन निखिल को खून की उल्टियाँ शुरु हो जाती हैं।अस्पताल में जाँच होने पर पता चला कि लीवर डेमेज हो चुका हैं  और कुछ दिनों के इलाज के बाद उसकी मर्त्यु हो जाती हैं।

आभा की दुनिया वीरान हो गई और मां-बाप का सहारा भी चला गया।रेखा आभा से कहती है कि तुम चाहो तो अपने मायके जा सकती हो पर आभा कहती है कि यही मेरा घर है।

रेखा आभा के लिये घर में ही ब्यूटी-पार्लर खुलवा देती है जिससे उसका मन लगा रहे और साथ में किट्टी पार्टी भी ज्वाईन करा देती है।

आज पार्टी में सबको रेड साड़ी पहन के आनी थी। आभा आज कयामत ढा रही थी ,जैसे ही बाहर जाती है , बाहर कुछ औरतों का झुंड बैठा होता है ।

मिसेज शर्मा कहती हैं कि देखो विधवा है लेकिन देखो कैसे तैयार होकर जा रही है।

रेखा सुन लेती है और कहती है आप लोग कौन होते हैं बोलनेवाले,मेरी बहू को पूरा हक है वो सब करने का जो उसको अच्छा लगता है।

दोस्तों मेरी कहानी कैसी लगी बताइयेगा।अगर अच्छी लगे तो लाइक,कम्मेंट और शेयर जरुर कीजियेगा।

किरण विश्वकर्मा 

 

 

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