“बहुत साल पहले की एक कहानी है– एक गाँव में एक छोटी सी बच्ची सोना रहती थी।सोना अकेली थी।उसका इस भरी दुनिया में कोई नही था।माता-पिता बचपन में ही उसे रोता छोड़कर एक अग्निकांड में जल गए थे।
अब वो दस साल की थी– उसने अपने भाग्य को स्वीकार कर लिया था लेकिन उसकी आँख के आँसू कभी थमते नही थे।इस बड़ी दुनिया में अकेली बच्ची करे तो क्या करे– आँसू– बहाना ही उसकी नियति थी।उसका कोई दोस्त भी नही था– बेचारी असहाय थी।वो चूल्हा चौका करती– खेत में भी काम करती और फिर आकर रात को अपनी रोटी बनाती।
धीरे धीरे अब सोना यौवन में प्रविष्ट होगई। उम्र के साथ ही उसका सौंदर्य भी बढ़ गया।वो बहुत खूबसूरत लगती थी।उसकी आँखों से टपकते आँसू भी मोती जैसे खूबसूरत लगते थे हालांकि उनका कोई मोल नही था।
दुखिया के आँसू कौन पूंछने था उस गाँव में।
एक दिन एक बूढ़ी माई उस गाँव में आई।उसने आते ही गाँव वालों से सोना के बारे में पूछा।सबने कहा कि,” ऐ माई– क्या तुम उस हरसमय रोने वाली सोना की बात कर रही हो– वो तो अपनी झोंपड़ी में रो रही होगी अपने भाग पर,”माई तुरंत ही उस झोंपड़ी की ओर गई और आवाज लगाने लगी,” सोना– सोना बेटी– दरवाजा खोलो– मैं तुम्हारी सगी मौसी हूँ,
रास्ते बदल गए – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi
” सोना ने झट से दरवाजा खोला और मौसी के गले से लिपटकर फूट फूटकर रोने लगी।मौसी ने उसे प्यार से समझाया,” बिट्टो– अब मैं आगयी हूँ– अब मेरी लाडो अकेली नही है– मैं तो बिट्टो बहुत सालों से जगन्नाथ जी की सेवा में लगी थी और अब जब लौटकर आई तो मुझे सब पता लगा तो मैं तुरंत चली आई–
मेरे पास इतनी जमीन जायदाद है और एक बेटा है– तुम्हारा भाई– तुम चलो मेरे साथ– एक भाई को बहन मिल जायेगी और मुझे मेरी बेटी” और माई सोना को अपने साथ अपने घर लेगई। उसकी मौसी माई का घर– घर क्या महल था।अब तो सोना के दिन ही पलट गये उसकी मौसी उसे माँ से भी ज्यादा प्यार करती और भाई उस पर जान छिड़कता।
सोना सुन्दर होने के साथ ही कर्मठ भी थी।वो मौसी के घर का सब काम संभालने लगी।मौसी ने उसकी पढ़ाई भी –जो छुट गई थी– शुरु करादी।उसका अच्छे स्कूल में दाखिला करा दिया।उसने बारहवीं पास करी तो उसे आगे पढ़ाना शुरू कर दिया।अब वो एम.ए कर चुकी थी और वहीं कालेज में उसकी मुलाकात एक
नवयुवक से हुई जो उसके साथ ही पढ़ता था।दोनों में धीरे धीरे प्रेम के अंकुर फूटने लगे।उनका प्रेम अब जग जाहिर हो गया।वो नवयुवक अंकुर एक बहुत अच्छे धनाढ्य खानदान से था।और अब तो सोना भी अपनी मौसी की इकलौती बेटी थी– उसकी मौसी उसपर जान छिड़कती थी।उसकी हर ख्वाहिश उसकी मौसी पूरी करती थी। सोना ने अपने और अंकुर के प्रेम की बात अपनी मौसी को बता दी।मौसी बहुत खुश हुयी कि ,”सोना ने इतना अच्छा लड़का चुना है।”
अब मौसी दूसरे दिन ही आपने बेटे के साथ अंकुर के घर सोना के रिश्ते की बात करने गई।सोना की मौसी का परिवार बहुत प्रतिष्ठित था।अंकुर के माता-पिता तुरंत ही रिश्ते के लिए तैयार होगए।
और फिर चार दिन बाद अंकुर और उसका पूरा परिवार मंगनी करने सोना की मौसी के घर आगये।जब उन्होंने सोना को देखा तो देखते ही रह गए क्योंकि सोना बहुत ही सुंदर और गुणवान थी।अंकुर की माँ ने सोना को देखते ही पसंद कर लिया और शगुन में हीरों का सैट और लाल लहंगा सोना को पहनाया– सोना तो अप्सरा जैसी लग रही थी– सब देखते ही रह गए।
और शादी का दिन भी आगया। सोना की मौसी ने अपनी बेटी सोना की शादी में दिल खोलकर खर्च किया।धूमधाम से शादी होगई और विदाई की बेला भी आगई– सोना की आँखों से आँसू बहने लगे– सोना की मौसी ने कहा कि,” ना बिटिया– अब रोना नही– बहुत रोई है– तब तेरे आँसुओं का कोई मोल नही था–
लेकिन अब ये अनमोल हैं,” तभी पास खड़ा अंकुर बोला,” हां सोना डीयर– अब तुम्हारे आँसू मोती से भी ज्यादा कीमती हैं– इन्हें यूँ बेकार में ना लुटाओ– तुम्हारे एक आँसू पर मैं अपनी जान लुटा दूंगा– तुम्हें कभी कोई तकलीफ होने नही दूंगा– अपने मोती जैसे बेशकीमती आँसुओं को कभी बहने नही देना।”
आज सोना के आँख के #आँसू मोती बन गए।।
लेखिका:
डॉ आभा माहेश्वरी अलीगढ