आईने का सच – माता प्रसाद दुबे

“अरे ये क्या हुआ मेरा खूबसूरत आइना घर के बाहर कैसे पहुंच गया?” खिड़की से बाहर की ओर देखते हुए ममता बोली। उसका खूबसूरत आईना बाहर हवा में लटका हुआ नजर आ रहा था। वह जल्दी से घर के बाहर निकल आई।

ममता आईने के करीब पहुंच कर ठिठक गई। आईने मे खुद का चेहरा देखकर वह भय से कांप रही थी। उसके सुन्दर चेहरे पर झुरियां पड़ी हुई थी। खाल लटक चुकी थी।”नही ये मेरा चेहरा नहीं है?” वह चीखती हुई बोली। “यह तुम्हारा ही चेहरा है ममता?”आईने से आवाज आई। ममता हैरान थी। उसने अपने अगल बगल देखा वहां कोई नहीं था। उसका घर भी गायब हो चुका था। चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। उसने अपने हाथों से अपने मुंह को ढंक लिया।

“तुम जब बूढ़ी हो जाओगी तब ऐसा ही रूप होगा तुम्हारा?”आईने से आवाज आई। क्या आईना भी बोलता है। ममता समझ नहीं पा रही थी। उसने फिर से डरते हुए आईने की तरफ देखा। “नही???”कोई है,बचाओ??”वह चीखने लगी। सामने आइने में में एक चुड़ैल जैसी काली डरावनी आकृति नज़र आ रही थी। ममता जोर-जोर से रोने लगी।” ये ही आज तुम्हारा आज असली चेहरा है ममता,जिस तरह तुम अपनी बूढ़ी  सास पर ज़ुल्म करती हों, तुम एक चुड़ैल ही हो?”आईने से आवाज आई।”मुझे माफ कर दो मैं ऐसा कभी नहीं करुंगी?”आईने के आगे ममता गिड़गिड़ाते हुए बोली।”तुम्हारा अपराध माफ करने लायक़ नहीं है?”आइने से एक हाथ निकलकर ममता की ओर बढ़ने लगा।  ममता चीखते हुए भागने लगी,तभी उसका पैर पत्थर से टकराया और वह जमीन पर गिर पड़ी।

“क्या हुआ ममता,तुम पलंग के नीचे कैसे गिर गई?”। ममता का पति संदीप ममता को उठाते हुए बोला। ममता डर के मारे कांप रही थी। उसके होंठ हिल रहें थे,पर आवाज नहीं निकल रही थी। कुछ देर शांत रहने के बाद ममता एकटक सामने की तरफ उसी खूबसूरत आईने को देखते हुए बोली।”सुनिए आप आज ही जाकर माता जी को गांव से वापस ले आइये?”संदीप को तो जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था। ममता की बातों पर “ठीक है, मैं आज ही अम्मा को वापस लेने जाता हूं?” संदीप ममता को हैरानी से देखते हुए बोला। आईना कभी झूठ नहीं बोलता इसका एहसास ममता को हो गया था।

माता प्रसाद दुबे

लखनऊ,

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