तकदीर फूटना – निमीषा गोस्वामी : Moral Stories in Hindi

आज तो भंडारे का भोजन मिलेगा जल्दी-जल्दी सब काम खत्म करके मालिक से छुट्टी ले लेता हूं। फिर मंदिर जाकर भंडारा खा लूंगा कम से कम एक रात का खाना तो बचेगा।भानू यह सब सोचते हुए माल का ट्रक खाली कर रहा था। बड़े-बड़े बाक्स को उठाकर गोदाम में रख रहा था बस ये आखिरी बचा है। लो हो गया काम खत्म अब जाकर छुट्टी ले लूं ।

साहब जी छुट्टी दे दीजिए। सारा काम खत्म हो गया। ठीक है भानू तुम जा सकते हो। साहब के इतना कहते ही।वह जल्दी से बाहर आया। और हाथ मुंह धोकर मंदिर की तरफ जाने लगा आज तो बहुत भूख लगी है। भंडारे के चक्कर में आज सुबह से कुछ खाया भी नहीं जब बनाया नहीं तो खाता कैसे।

मन ही मन सोचता करता हुआ वह तेजी से मंदिर की तरफ भागा जा रहा था।वह इतनी तेजी में चल रहा था कि उसे सामने गड्ढ़ा भी न दिखाई दिया और वह उसमें गिर पड़ा।ओह ओह ये क्या हो गया। उफ़ अब पहले घर जाकर नहाना पड़ेगा।भानू बुरा सा मुंह बनाता है और फिर घर की तरफ भागता है। नहाकर फिर वह मंदिर की तरफ चला।

उफ ये भूख की वजह से पेट के चूहे भी उथल-पुथल मचा रहे हैं कहीं ऐसा न हो कि मैं वहां जाऊं और सबकुछ खत्म हो जाएं सोचते-सोचते वह मंदिर तक पहुंच गया। भगवान को प्रणाम किए बिना ही सबसे पहले वह भंडारे की तरफ गया।ये क्या यहां तो सब खत्म हो चुका तभी उसे किसी व्यक्ति की आवाज सुनाई दी अरे भाई इतनी देर कर दी आने में ये ले प्रसाद इतना ही बचा है।

खा ले भानू ने हां में सिर हिलाया और प्रसाद लेकर बैठने के लिए जगह देखने लगा तभी उसका पैर एक पत्थर से टकराया और उसके हाथ से प्रसाद नीचे गिर गया उफ़ हाय रे मेरी फूटी किस्मत एक तो भूख के मारे मेरा बुरा हाल हो रहा था जैसे ही वह गिरे हुए प्रसाद को उठाने के लिए नीचे झुका एक कुत्ता उस पर झपट पड़ा और प्रसाद अपने मुंह में दबाकर भाग गया भानू लाचार निगाहों से उसे देखता रहा तभी वहां

खड़े एक व्यक्ति ने ताना मारा इसकी तो तक़दीर ही फूटी एक तो देर से आया। जैसे-तैसे थोड़ा प्रसाद मिला वह भी कुत्ता ले गया। बिचारा भानू अपनी तकदीर को कोसता हुआ घर की तरफ चल दिया।

निमीषा गोस्वामी 

मुहावरा #तकदीर फूटना

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