सन्तू काय रे तै अबे तक काय नहीं जागो काय तैको काम धाम है कछु के नई। जा लड़का को रोज रोज समझा के हम तो परेशान हैं गए लेकिन जाके दिमाग में तनिक बात न घुसत जब तक अम्मा जिंदा है कर ले मौज ताके बाद का करेगो । सन्तू की अम्मा का रोज सुबह उसे जगाने से पहले का वही पुराना राग। लेकिन सन्तू अम्मा की आवाज से बचने के लिए अपने कानों पर तकिया रख सोया रहता।
अरे अम्मा काय को चिल्ला रही वा ने कबौ सुनी तेरी बात देख कैसे कानन पे तकिया रखके सोवत है। इतना कहकर सन्तू के बाबा ने अपना गमछा उठाया और रोटी की पोटली उठा खेत की ओर चल दिए।बाबा के जाने के बाद सन्तू अम्मा से बोला काय अम्मा बाबा के सामने काय चिल्लात हो उठे जात अबे जाने काय परेशान होत हो। कहकर सन्तू फिर सो गया।
कुछ देर में सन्तू की भाभी बड़बड़ाते हुए आई और सन्तू की चारपाई को खड़ा कर दिया जिससे सन्तू जमीन पर गिर पड़ा और जोर जोर से चिल्लाते हुए कहने लगी बस सारा दिन ऐसे ही पड़ो रहत काम धाम कुछ करना नहीं मुफ़्त में खान को बैठ जात। सन्तू कराहते हुए बोला अम्मा भौजी को समझाय लो रोज-रोज ताने मारत है।
देख लेबो सब काउ दिन घर छोड़कर चले जहे हां फिर बैठी रहना अकेली जाओ हमें नहीं करने काम धाम हमाय बाबा खबात है और का कहते हुए संतू अपनी कमर को पकड़कर खड़ा हुआ और पैर पटकते हुए बाहर चला गया।आज उसका मूड़ बहुत खराब हो गया था। बिना कुछ खाए ही वह घर से चल दिया।उसे नहीं पता कि उसे जाना कहां है।
वह तो बस चला ही जा रहा था।पसीने से लथपथ थकान के कारण वह दुकान के बाहर बैठ गया दोपहर का समय था इसलिए कुछ दुकानें कुछ देर के लिए बंद हो रही थी।
इसलिए जिस दुकान के आगे वह बैठा था उस दुकान वाले ने कहा आगे बढ़ो।वह उठकर चल दिया अब तो उसे भूख भी लग रही थी।उसका बुरा हाल था।लोग उसे कातर दृष्टि से देखते और आगे बढ़ जाते ।वह फिर एक जगह पत्थर पर बैठकर पसीना पौछने लगा।आते जाते कुछ लोगों ने उसके सामने कुछ पैसे डाले एक-पल तो उसे पैसे देखकर खुशी हुई
पर जैसे ही वह पैसे उठने लगा तो उसके कानों में भौजाई के जहर उगलते शब्द सुनाई दिए। उसने वे पैसे जा रहे भिखारी को दे दिए उसने मन में ठान लिया था कि अब वह सम्मान की सूखी रोटी ही खाएगा।भूख प्यास से परेशान वह कब गांव से शहर आ गया पता ही नहीं चला उसे तो तब होश आया जब एक बुजुर्ग महिला के रोने की आवाज आई तब उसने अपने चारों ओर देखा तो वह देखता ही रह गया
यहां तो चारों तरफ रौशनी ही रौशनी है यह मैं कहां आ गया। उसने देखा पास ही में एक बूढ़ी औरत रो रही थी पूछने पर पता चला उसका बेटा उसे बिना बताए कहीं चला गया और वह उसे ही ढूंढ रही थी। सन्तू को अपनी अम्मा की याद आ गई वह भी तो बिना बताए घर से निकल आया। उसकी अम्मा भी इसी तरह उसके लिए परेशान हो रही होगी।
सन्तू ने उस बूढ़ी मां को ढांढस बंधाया और फिर अपने गांव की तरफ वापिस लौटने लगा रास्ते में चलते-चलते उसने मन मन यह निश्चय किया कि अब से वह बाबा के साथ खेती में उनका हाथ बंटाएगा। और सूखी रोटी ही सही पर सम्मान के साथ खाएंगे न तो अम्मा का दिल दुखाएगा और न ही भाई भौजाई को ताने मारने का मौका देगा।
यही सब सोचते हुए वहां गांव की ओर लौट रहा था गांव के नजदीक आते-आते उसका सिर तेजी से घूमा शायद भूख-प्यास से उसे चक्कर आ रहा था।वह गिरने लगा अचानक उसके कानों में भौजाई की व अम्मा की आवाज सुनाई दी सन्तू अरे सन्तू उसे लगा कि वह सपना देख रहा है।यह सोचते ही वह गिर पड़ा जब होश आया तो अम्मा,बाबा, भाई भौजाई सामने खड़े थे।उन सबकी आंखों में आंसू थे
सन्तू हड़बड़ा कर उठा वह भौजाई से बोला अब कौनऊ को हमाई चिंता करन की जरूरत न हें अब हम बाबा के काम में हाथ बटाएंगे । और मेहनत की व सम्मान की रोटी खाएंगे। अम्मा तोखो छोड़के कबहु ने जाइए। हमें क्षमा करें और वह अम्मा के गले लगकर रोने लगा। सबने उसे प्यार से गले लगा लिया।
निमीषा गोस्वामी