प्रायश्चित – खुशी : Moral Stories in Hindi

मधु एक सुघड़ लड़की थी।तीन बहनों में सबसे बड़ी । बीए किया कढ़ाई और इंटीरियर डिजाइन का कोर्स किया।पिताजी श्यामलाल कॉलेज में प्राध्यापक थे और मां शर्मिला टेलीफ़ोन विभाग में थी।मधु से छोटी अन्नू और सबसे छोटी काजल थी वो दोनों अभी स्कूलों में पढ़ रही थी।गंजबासौदा  जैसे छोटे से शहर में परिवार  हंसी खुशी अपनी जिंदगी बसर कर रहा था।

मधु विवाह योग्य हो गई थी इसलिए उसके लिए लड़के देखे जाने लगे।तभी उनके रिश्ते दारी में किसी ने एक लड़का सुझाया लड़के का नाम था राजन वो CA  था ।मां बैंक में और पिताजी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में बाबू थे ।अच्छा खासा परिवार था।खाते पीते लोग दिल्ली जैसे शहर में अपना घर और क्या चाहिए।राजन एक सुदर्शन युवक था जो देख ले देखता ही रहे।

बहुत सोच विचार कर इस रिश्ते पर हामी हुई और मधु विवाह हो कर दिल्ली राजन के घर आ गई। मधु सीधी साधी लड़की थी सब घर पहुंचे अच्छे से स्वागत सत्कार हुआ ।रिश्ते दारी में किसी ने दबी जुबान में कह भी दिया कि जीजी दुल्हन  से ज्यादा तो अपना राजन जमे है।तो सुलक्षणा बोली ऐसा नहीं है

मेरो बहु सूरत और सीरत दोनों में ही अच्छी है।शादी निपट गई रिश्तेदार चले गए। मधु को पहले दिन से ही लगा कि राजन उससे खींचा खींचा सा है पर उसने सोचा शादी की थकान होगी और अभी नया नया रिश्ता है। फिर घर खाली हो गया घर में चार लोग जिनमें से तीन सुबह सुबह ही घर छोड़ देते अकेली मधु भरेपूरे घर से आई मधु को बड़ी उकताहट होती

फिर उसने एक दिन रसोई को करीने से सवार। सफाई की उस दिन बाई की जगह उसने खाना बनाया ।सास तो घर आते ही बहु पर वारी गई इतनी साफ रसोई उन्होंने पहली बार देखी थी खाना इतना स्वादिष्ट था कि ससुर साहब ने नेग और खाने की जिम्मेदारी उसी को दे दी।मधु खुश थी और राजन के आने का इंतजार कर रही थी।

राजन आया बोला मै तो खाकर आया हूं।मधु बोली आपने बताया नहीं ।थोड़ा चख लीजिए मैने बनाया है।राजन अंदर चला गया मधु भी रसोई समेट आ गई भूखी थी बेचारी पर अब क्या करती ।राजन अंदर आते ही चिलाने लगा मै तुम्हारा गुलाम नहीं हूं जो तुम्हे जवाब देता फिरू और ये क्या गवार की तरह पांच मीटर कपड़ा लपेट लेती हो ।

तुम अब बड़े शहर में रहती हो ये ग्वार पने की हरकते छोड़ दो।और मुंह पलट कर सो गया।मधु की आंखें भर आई और वो सिसक सिसक कर सो गई सुबह जल्दी उठी ।उठकर सूट पहना गुलाबी रंग में बड़ी प्यारी लग रही थीं।जल्दी से रसोई में गई चाय नाश्ता सबका टिफिन बनाया 7:30 बजे सब टेबल पर लग चुका था।सबने अच्छे से नाश्ता किया।

राजन बोला मम्मी आप रोज इतना अच्छा नाश्ता क्यों नहीं बनाती आज ऑफ लिया है क्या? सुलक्षणा बोली आज नाश्ता मधु ने बनाया है। राजन बोला ओह अच्छा बना लेती है।फिर अपने पिता राजेंद्र जी के अंदर जाने पर अपनी मां से बोला इसे ढंग की शॉपिंग करवाओ क्या गवारा की तरह रहती है।सारी अब ये सूट इतनी चूड़ियां थोड़ा मॉर्डन बनाओ नहीं

तो इसे बाहर ले जाते मुझे शर्म आएगी।तभी राजेंद्र जी अंदर से आए और बोले ये मेरी तरफ से तुम्हारा तोहफा जाओ शिमला घूम कर आओ पहले तो राजन ने मना किया पर राजेंद्र जी के सामने एक ना चली।सुलक्षणा मधु को शॉपिंग करवा लाई और बोली वही सब रखना जो राजन को पसंद है।पूरे रास्ते भी राजन ने कोई बात ना की सिर्फ फोन पर लगा रहा।

होटल में पहुंचते ही चेक इन कर वो मधु को छोड़ कही चला गया और शाम तक ना आया ।मधु भूखी प्यासी बैठी रही शाम को आया तो उसे लेकर नीचे डिनर करने आया वहां उसने बहुत शराब पी ऊपर आकर वो मधु पर टूट पड़ा और अपनी जरूरत पूरी कर सो गया।मधु दर्द से कराहती रही।सुबह उठकर मधु नहा कर आई तो वो वही बैठा था।मधु ने डरते डरते पूछा एक बात पूछ सकती हूं।

राजन बोला बोलो मधु बोली क्या मै आपको पसंद नहीं।राजन बोला नहीं ये शादी मेरे माता पिता की मर्जी से हुई है उन्हें एक आदर्श घर संभालने वाली बहु चाहिए थी जबकि मुझे मेरे जैसी आजाद ख्याल लड़की ।मै अपने ऑफिस की कुलीग प्रिया से प्यार करता हूं उससे शादी भी करूंगा वो मेरे साथ यहां भी आई है अपना मुंह बंद रखना ये लो पैसे नीचे ड्राइवर को बोल दिया है तुम्हे घुमा लाएगा

इससे ज्यादा मुझसे उम्मीद मत रखना।और घर में कुछ बताया तो यही मार के फेंक दूंगा । मधु सारा दिन कमरे में पड़ी रोती रही।शाम को रूम सर्विस से कॉल आया मैडम आपने घूमने जाना है मधु उठी थोड़ी लीपापोती कर बाहर निकली।तभी उसकी बहन अन्नू का फोन आया दीदी कैसी हो हनीमून पीरियड एन्जॉय कर रही हो एक बार तो मधु के मन में आया सब बता दे पर अगले ही पल उसे राजन की धमकी याद

आ गई वो बोली हा सब अच्छा है।काजल बोली जीजाजी से बात करवाओ ।मधु बोली वो बाथरूम में है बाद में बात करवाती हूँ।तीन दिन ऐसे ही गुजरे राजन नहीं आया मधु अकेली होटल में रही ।4 दिन सुबह राजन आया बोला सामान पैक करो हम जा रहे है। मधु ने सामान समेटा खोला ही क्या था उसने सब सामान जैसे लाई थी वैसा ही पड़ा था।

घर आकर राजन ने अपने ऑफिस जाना शुरू कर दिया ।मधु के पापा उसे कुछ दिन अपने साथ अपने घर ले जाने की गुजारिश की सास ससुर ने इजाजत दे दी पर राजन ने मधु को धमकाया अगर कुछ बताया किसी को तो अंजाम बुरा होगा। और मधु घर आ गई।मधु ने यहां आकर सुख की सास ली।शर्मिला बोली श्याम मेरी बेटी बहुत चुप लग रही है

और कमजोर भी ।मधु मां बाप का स्नेह पाकर फफक कर रो पड़ी और अपनी मां को सब बता दिया।शर्मिला बोली तुम घबराओ नहीं हम तुम्हारी ससुराल में बात करेंगे।अगले दिन सुबह जब मधु उठी उसकी तबियत ठीक नहीं थी कमजोरी भी लग रही थी शर्मीला उसे डॉक्टर के पास ले गई वहां पता चला कि वो गर्भवती है।

सब खुश थे शर्मिला बोली बेटा बच्चा आने से सब ठीक हो जाएगा। मधु की ससुराल फोन कर ये खुशखबरी सुनाई गई अगले दिन सास ससुर गाड़ी से बहु को लिवाने आ गए।सबने पूछा राजन नहीं आया।राजेंद्र जी ने बताया कि वो काम के सिलसिले में लखनऊ गया है उसके लिए तो ये सरप्राइस है।शर्मिला ने समझा बुझा कर मधु को घर भेज दिया।

मधु घर आ गई सास ससुर उसका ध्यान रखते एक हफ्ते बाद राजन आया उसे पता चला तो उसने मधु को दो थप्पड़ मारे और बोला ये बच्चा मेरा नहीं है। सुलक्षणा बोली ये क्या कह रहा है तेरा नहीं है तो किसका है राजन बोला मुझे क्या पता मै शिमला इसके साथ नहीं था।राजेंद्र जी बोले चुप बेशरम अगर बहु के साथ नहीं था तो किसके साथ था।

राजन बोला मुझे तो इस पर पहले दिन से ही शक था ये फोन पर बात करती थीं मुझे पास नहीं आने देती थीं। शिमला में भीं ये किसी और के साथ घूमने चली गई।मधु बोली मांजी ये सब झूठ है मै कही नहीं गई ये ही मुझे छोड़ कर चले गए और ये बच्चा इनका ही है।पहले दिन शराब के नशे में आपने जो मुझ पर अत्याचार किया ये उसी का नतीजा है।

मधु के माता पिता को बुलाया गया और उनके सामने भी राजन मुकर गया और मधु पर गंदे गंदे आरोप लगाए।मधु के पिता श्यामलाल ने कहा मेरी बेटी यहां नहीं रहेगी जहां उसके चरित्र पर दाग लगाया जा रहा है।मधु जाते जाते बस इतना बोली मै निर्दोष हूं ये ईश्वर जानता है वक्त आने पर वही इंसाफ करेगा।

मधु के पिता ने उसका तलाक करवा दिया।इधर राजन ने प्रिया से शादी कर ली और वो दोनों अलग रहने लगे। प्रिया घर का कोई काम ना करती सुबह देर से सोकर उठती तैयार होती ऑफिस जाती और वही से शाम को पार्टी या क्लब रात को देर से घर लौटती कभी कभी तो राजन और वो साथ ही होते पर कभी कभी वो अकेली भी जाती।

राजन को ना अब टाइम पर नाश्ता मिलता ना खाना कपड़े धुले बिन धुले न प्रेस ना जगह पर रोज बाहर का खा खा कर उसकी तबियत खराब हो गई। कभी कभी राजन अपने मां बाप से मिलने जाता तो भी प्रिया मना कर देती ।2 साल बीत गए अब राजन ने प्रिया से कहा चलो हम भी अपना परिवार शुरू करते है प्रिया ने साफ मना कर दिया

मैं बंधन में नहीं बंध सकती।ये बच्चे मैं नहीं पालूंगी।उसके लिए वो गवार ही ठीक थी।मुझसे शादी क्यों की।आज राजन को कही अपने व्यवहार पर ग्लानि थी। तभी उसका एक मित्र जो भोपाल में रहता था वो उससे मिलने आया बोला परसो मैने तुम्हारी पहली पत्नी मधु को देखा उसका इंटीरियर डिजाइन का इतना बड़ा ऑफिस है भोपाल में एक बेटा अगले भी हैं।

मुझे समझ नहीं आया तुमने उसे तलाक क्यों दी क्या सच में वो चरित्र हीन थी या कुछ और था उस दिन राजन पहली बार फूट फूट कर रोया यार वो चरित्रहीन नहीं थी मै ही उसके लायक नहीं था मेरा मेरे घर का इतना ध्यान रखती थी वो बच्चा भी मेरा ही था।पर मुझ पर प्रिया के प्यार की पट्टी बंधी हुई थी कि मैं सही गलत जान ही नहीं पाया।

इसलिए ईश्वर मेरे  कर्मों की सजा दे रहा है मै अपने गुनाह का प्रायश्चित करना चाहता हूं। अगले दिन सुबह राजन अपने घर गया अब माता पिता रिटायर थे तो वो घर पर ही होते थे।आज घर जाकर राजन अपने माता पिता के सामने भी फूट फूट कर रोया और उन्हें सब सच बताया । राजेंद्र जी बोले मै ये बात पहले ही जानता था

कि तूने उस मासूम लड़की पर गलत इल्ज़ाम लगाए हैं।इस लिए हमने उस बच्ची को जाने दिया नहीं तो तेरे जैसा राक्षस तो उस बच्ची को मार डालता।अब क्या चाहिए तुझे उससे बस माफी उस की बदुआ मुझे रात को सोने नहीं देती मैं प्रिया से शादी करके एक दिन भी सुखी नहीं रहा।मां मै प्राश्चित करना चाहता हूं एक बार उससे माफी मांगना चाहता हूं।

अगले दिन सुबह सब भोपाल के लिए रवाना हुए और शाम तक मधु के घर पहुंचे ।दरवाजा शर्मिला ने खोला राजेंद्र जी को देखकर वो चौक गई बोली आप यहां राजेंद्र जी ने कहा मै ही नहीं आपका अपराधी भी मेरे साथ है सब अंदर आए ।मधु अभी घर नहीं लौटी थी श्यामलाल जी बोले राजेंद्र जी आप इसे यहां क्यों लाए कितने मुश्किल से मेरी बेटी के ज़ख़्म भरे है।

राजन बोला में सिर्फ माफी मांग कर और अपने गुनाह का प्रायश्चित कर चला जाऊंगा।तभी राजन का फोन बजा । फोन प्रिया का था प्रिया बोली राजन मै तुम्हारे साथ बोर हो गई हूं इसलिए मैं तुम्हे तलाक़ दे कर अपनी जिंदगी जीने जा रही हूं और फोन कट गया।तभी मधु और एक आठ साल का लड़का अंदर आए।मधु सबको देख कर चौक गई

और अपने पापा से बोली ये यहां क्यों आए हैं मेरा बच्चा छिनने इन्हें कहो यहां से जाए ।राजन बोला मै तुमसे माफी मांगता हूं मुझे माफ करदो आओ हम साथ मिल इस बच्चे की परवरिश करेंगे।मधु बोली नहीं ये तो सिर्फ मेरा बच्चा है तुम्हारा कुछ नहीं तुम्हे माफी भी नहीं मिलेगी।तुमने मेरे आत्मसम्मान को मेरी आत्मा को मेरी मासूमियत को और मेरे चरित्र को दागदार किया तुम्हारे लिए कोई माफी नहीं है।

और आप सब यहां से जाए आप भी तो अपने बेटे के प्रेमप्रसंग से वाकिफ थे फिर इसकी शादी क्यों करवाई छोटे शहर की लड़की इसलिए ढूंढी की वो गाय बन सब सहेगी।पर एक औरत जब अपने चरित्र की बात आती हैं ना तो जान ले भी सकती हैं और दे भी।निकलो यहां से दुबारा हमारी ज़िन्दगी में आने की कोशिश ना करना।

मां दरवाजा बंद कर दीजिए।राजेंद्र ,सुलक्षणा और राजन तीनों बाहर आ गए और गाड़ी में बैठे उन्हें अब आजीवन प्रायश्चित की आग में जलना था क्योंकि कुछ गुनाहों की माफी नहीं होती।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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