रमन एक आलसी लड़का था l वो कोई काम नहीं करना चाहता था।उसके घर में मां शांति और पिता रामपाल थे। रामपाल बढ़ई का काम करते थे अच्छी दुकान थी आमदनी भी अच्छी होती। दो बहने मीरा और योगिता के बाद रमन पैदा हुआ तो मां बाप का लाडला था।पिता तो कभी फटकार लगा भी देते पर मां की आंखों का तारा था वो मां मनुहार करती लाड लड़।ती
कई बार उसकी गलतियों पर पर्दा डालती।स्कूल जाने के वक्त भी वो सोता रहता मां बड़े प्यार से उठाती रहती पर उसके कानो पर जू तक नहीं रेंगती।पढ़ाई में भी वो ऐसा ही था दसवीं में फेल हो गया और पढ़ाई छूट गई।पिता ने दुकान पर काम सीखने को कहा वहां भी कभी जाता कभी नहीं । रामपाल हमेशा कहते की हमारी तो तकदीर ही फूट गई है
इतना आलसी लड़का है हमारा जो कुछ है इसी से है और इसे देखो शांति कहती अरे सीख जाएगा।मीरा और योगिता पर मा बाप ध्यान नहीं देते पर फिर भी वो दोनों पढ़ लिख कर मा पिताजी का नाम रोशन कर रही थी।।योगिता ने बारहवीं में जिले में सर्वप्रथम आकर मेरिट से कॉलेज में दाखिला लिया और वजीफा लेकर पढ़ रही थी उसका आखिरी साल था।
अब वो upsc का पेपर देने जा रही थी।बड़ी बहन मीरा ने कॉलेज पूरा कर बीएड कर लिया और स्कूल में पढ़ाने लगी।और निखट्टू रमन कुछ ना करता खाता सोता और मटर गश्ति करता।मीरा के स्कूल में ही उसके साथ अनंत पढ़lता था उसके घर से मीरा लिए रिश्ता आया बिना दान दहेज लिए शादी निपट गई और योगिता का भी upsc में सिलेक्शन हो गया और वो कलेक्टर लग गई
बस उसकी पोस्टिंग दूर हुई ।कुछ समय बाद उसकी शादी भी अपने सहयोगी अरुण से हो गई।अब घर में मां बाप और रमन । रामपाल बूढ़े हो रहे थे वो चाहते थे कि ये चलता कारोबार उनका
बेटा संभाले पर वो तो आवारा गर्दी करता कभी कभी दुकान पर जाता तो वहां से पैसे उठा के निकल जाता।
एक दिन रामपाल दुकान से आ रहे थे अचानक उन्हें चक्कर आया और वो गिर पड़े ।अस्पताल ले जाया गया उन्हें फालिज का दौरा पड़ा और उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया।काम लगभग ठप हो गया।बेटियां आई घर खर्च देकर गई इलाज का सारा खर्चा उठाया ।रमन को समझा कर गई भाई जिम्मेदारी समझ काम कर दुकान जाया कर पर रमन किसी की कहा सुनता वो
जुआ भी खेलने लगा और इतना कर्जा चढ़ा लिया कि दुकान बेचने की नौबत आ गई।आज रामपाल बोले हमारी तकदीर फूट गई जो ऐसा लड़का मिला शांति बड़ी मन्नत से तूने लड़का मांगा था लड़कियों को हमेशा अनदेखा किया इस नास पीटे के लिए देख इसने क्या किया। शांति बोली सच कह रहे हो जी सच में हमारी तकदीर ही फूटी है ऐसी औलाद पाकर फिर दो चार दिन घर नहीं आया।
अगले दिन घर के बाहर लोग खड़े थे शांति बाहर आई बोली क्या बात हैं वो आदमी बोले ये घर खाली कर देना एक महीने में शांति बोली क्यों जी घर तो हमारा है।वो आदमी बोला तेरा बेटा उसे हमे बेच गया घर खाली कर देना।खबर सुन मीरा दौड़ती आई और नोटिस पढ़ बोली मां सच में रमन ने 50 लाख में ये घर बेच दिया पर घर तो पापा के नाम था अरे कुछ दिन पहले वो किसी कागज पर इनसे अंगूठा लगवा रहा था।
नासपीटे ने छत भी छीन ली मीरा बोली कोई नहीं आप दोनो मेरे साथ चलो।मीरा रामपाल और शांति को अपने घर ले आई ।योगिता ने कुछ ही दिनों में आकर धोखाधड़ी का केस दर्ज करवा अपना घर वापस ले लिया ।रमन के खिलाफ पर्चा कट गया अब वो भागा भागा फिर रहा था। सच कहा है औलाद का अच्छा होना भी वरदान है और बुरा निकालना तकदीर फूटने जैसा है।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी