सम्मान की सूखी रोटी – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

सपना अपनी माँ (विमला जी)पापा (विनोद जी) की,एकलौती संतान थी। सपना के मम्मी, पापा ,ने बड़े ही प्यार से पाला था सपना को। वो सारी सुख सुविधा अपनी बेटी देते थे।  सपना में विनोद जी औऱ विमला जी की जान बसती थी।

सपना बीस  वर्ष की हो गयी थीं। 

विनोद जी पार्क में टहलने गये थे ,वही उनके दोस्त मिल गये ।विनोद जी बड़े खुश हुये।बहुत देर तक दोनो लोगो ने बात चीत किया। बात बात में विनोद जी ने बोला कोई लड़का अच्छा हो तो बताना ,मैं अपनी बेटी सपना की शादी करना चाह रहा हूँ।बोले यार मेरा बेटा है, कल अपनी बेटी को ले के मेरे घर आ जाओ । विनोद जी बोले ठीक है, आता हूँ।अगले दिन सपना को ले के विनोद जी गये।विनोद जी के दोस्त ने बोला ये मेरा बेटा ,रमन हैं, अभी अभी आर्मी ज्वाइन किया है। एक महीने की छुट्टी आया है , घर में बस मैं औऱ रमन की मम्मी रहते है ,सपना  औऱ रमन काफी देर तक एक दूसरे से बात किये सब कुछ अच्छा लगा सबको । विनोद जी ने बोला की अगर आप लोगो को सपना पसंद हो तो रमन के जाने से पहले ही शादी कर देते है। सब लोग बहुत खुश हो गये। शादी बहुत अच्छे से हो गयी ।

सपना के मम्मी पापा भी बहुत खुश थे। की बेटी घर के पास ही रहती है, जब भी मन करता बेटी से मिल आते। 

एक दिन विमला जी का सड़क दुर्घटना में हाथ टूट गया।जैसे ही सपना को पता चला अपने मम्मी से मिलने मायके गयी। देखा तो उसके पापा ने अजीब सी कच्ची पक्की रोटी बनाई थी,पापा ये “सूखी रोटी” मम्मी कैसे खा पाएंगी? मैं यहां रुक भी नही सकती , क्योंकि सासु माँ और ससुर जी कैसे रहेंगे, एक काम करो पापा आप मेरे घर चलो, वहां मैं मम्मी का अच्छे से ध्यान रख लुंगी, औऱ सासु माँ का भी ।बहुत सोचने के बाद विनोद जी जाने के लिए तैयार हो गये। सपना अपने माँ औऱ सासु माँ दोनो का बहुत ध्यान रखती शुरू शुरू में तो सब ठीक था, फिर सपना को लगा की उसके  मम्मी पापा का यहां रहना सासु माँ को अच्छा नही लग रहा है, सपना की सासु माँ का गुस्सा फूट पड़ा एक दिन,, सपना से बोली ,सुनो इस बार बहुत ज्यादा जल्दी घी खत्म हो गया है, थोड़ा कम  घी लगाया करो बहू। बहुत महंगाई  है।इतना सुन सपना मानो काठ की बन गयी हो ,उसको बहुत बुरा लगा लेकिन कुछ बोला नही उसने । 

अब सपना कुछ उदास रहने लगी । वो अपने मम्मी से भी कुछ कह नही पा रही थी। विनोद जी अपनी बेटी का उदास चेहरा देख समझ गये की कोई तो बात है। 

अगले दिन सपना को अपने पास बैठा के पूछा ,की क्या हुआ बेटा? 

सपना रोने लगी। और घी वाली बात बता दी। विनोद जी ने बोला बस इतनी सी बात ,बेटा तुम चिंता मत करो , हम लोग कल घर चले जायेंगे, सपना बोल पड़ी पर पापा मम्मी का हाथ अभी ठीक नही हुआ है, बेटा हाथ का क्या वो तो ठीक हो जाएगा।लेकिन छोटी सी बात के लिये मैं अपनी बेटी को उदास नही देख सकता। 

बेटी हम लोगो की उम्र ही कितनी बची है, पूरी जिंदगी तेरी खुशी के लिये जिये है ,जो उम्र बची है,उसको जीने के लिए “सम्मान की सूखी रोटी” ही बहुत है

सपना को बहुत दुख हुआ। अगले दिन सुबह उठ अपने मम्मी पापा का बैग पैक कर दिया। सपना की सासु माँ  से विमला जी हाथ जोड़ बोली जा रही हूँ ,मेरी बेटी का ख्याल रखना आप ।जाते समय विनोद जी ने सपना के हाथ मे नोटो की एक गड्डी थमा दिया सपना ने लेने से मना कर दिया । विनोद जी ने उसकी सासु माँ को दे दिया । वो बोली अरे नही आप पैसे क्यो दे रहे है?

विनोद जी ने बोला , आप रख ले हमारे घर मे बेटी  के घर का पानी तक नही पीते, मैंने तो आप के घर का घी खाया है, पचा नही पाऊंगा। आप रख ले।हम दोनों सम्मान की सूखी रोटी खा कर रह लेंगे।सासु माँ समझ गई। और बोली हमसे गलती हो गयी माफ कर दे आप । 

नही नही आप ने सही किया समय रहते आँखे खोल दी । बस मेरी बेटी को खुश रखना आप।

सपना के मम्मी पापा चले गये अपने घर । 

सपना फुट फुट कर रोने लगी। सासु माँ बहुत परेशान हो गयी । और सपना को बुलाया औऱ बोली  , बेटा मैं अपनी गलती सुधारना चाहती हूं , तुम्हारे मम्मी पापा यहाँ नही रह सकती तुम  तो जा सकती हो। जाओ बेटा कुछ दिन अपनी मम्मी के पास रहना उनका ध्यान रखना। हमको बहुत अच्छा लगेगा ।बहू हमको तुम भी माफ कर देना। नही मम्मी कोई बात नही । गले लगा 

के सासु माँ को धन्यवाद बोल अपनी मम्मी के घर चली गयी ।

विनोद जी अपनी बेटी सपना को देख बहुत खुश हुये । मानो सब कुछ ठीक  हो  गया हो ।

बस यही जिंदगी है। गलत को, गलत जरुर बोलना चाहिए। “सम्मान की सूखी रोटी ” जीवन में खुश रहने के लिये  सबसे जरूरी है। 

रंजीता पाण्डेय

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